महाकुंभ में चुनावी शंखनाद
04-Sep-2018 09:00 AM 1234794
आगामी 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 102वीं जयंती पर भाजपा एक साथ दो काम करने जा रही है। इस दिन पहला काम जो होना है वो मुख्यमंत्री की जन आशीर्वाद यात्रा के समापन और दूसरा चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं का महाकुंभ। जिसमें प्रदेशभर से करीब दस लाख पार्टी कार्यकर्ताओं को भोपाल लाने की योजना है। महाकुंभ में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आने की मंजूरी दे दी है। लेकिन प्रदेश भाजपा चाहती है कि प्रधानमंत्री मोदी भी महाकुंभ में आए। आयोजन राजधानी के जंबूरी मैदान पर होगा। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने बताया कि पिछले दो विधानसभा चुनावों में भी कार्यकर्ता महाकुंभ से ही चुनावी शंखनाद हो रहा है। इस बार भी ये परंपरा निभाई जाएगी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती भाजपा वैसे तो हर साल प्रदेशभर में बड़े पैमाने पर मनाती है। पर इस बार चुनाव से पहले इस दिन भोपाल में पार्टी महाकुंभ का आयोजन करने जा रही है। इसी दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जनआशीर्वाद यात्रा का औपचारिक समापन महाकुंभ में हो जाएगा। कार्यकर्ता महाकुंभ में प्रदेश के सभी मतदान केंद्रों से पार्टी की टोली (पन्ना प्रमुख) और इससे ऊपर के सभी पदाधिकारी बुलाए गए हैं। दरअसल भाजपा का मानना है कि प्रदेश में कांग्रेस के कमजोर होने के कारण लगातार चौथी बार उनकी सरकार बननी तय है। भाजपा मानती है कि राज्य में शिवराज के अलावा कोई दूसरा ऐसा चेहरा नहीं जो चौथी बार राज्य में बीजेपी की सरकार बना सके, यानी शिवराज ही चुनाव में भाजपा के ट्रंप कार्ड हैं। मप्र के मामा शिवराज का चेहरा ही भाजपा की जीत की गारंटी बना हुआ है। इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए भाजपा चुनाव से पहले पूरे राज्य में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जन-आशीर्वाद यात्रा निकाल रही है। इस यात्रा के जरिए सीएम शिवराज राज्य की सभी 230 विधानसभा सीटों पर पहुंचकर लोगों से सीधा संवाद कर रहे हैं। इस यात्रा के लिए मुख्यमंत्री लगातार रोड शो और सभाएं कर रहे हैं। यात्रा के दौरान अब तक कई ऐसे मौके आए हैं जब मुख्यमंत्री ने आधी रात के बाद भी जनसभाओं को संबोधित किया है। बारिश या आधी रात में हो रही सभाओं में उमड़ रही भीड़ के फोटो-वीडियो भाजपा के सोशल मीडिया सेल जमकर वायरल कर रहे हैं। ऐसे में यह साफ हो गया है कि एंटीइनकमबेंसी की संभावनाओं को शिवराज के ग्लेमर ने नकार दिया है। इस दृश्य को देखकर भाजपा के रणनीतिकार भी खुश हैं। इसलिए उन्होंने एक तीर से कई शिकार करने के लिए 25 सितम्बर को कार्यकर्ताओं के महाकुंभ का आयोजन कर दिया है। निश्चित रूप से इस दिन भाजपा प्रदेश में चुनावी शंखनाद कर लगातार चौथी बार सरकार बनाने के लिए मोर्चा संभाल लेगी। कांग्रेस की हर रणनीति फेल मध्यप्रदेश में चुनावी रण का शंखनाद हो चुका है। राष्ट्रीय चुनाव आयोग की टीम के भोपाल दौरे के बाद अब राज्य में चुनावी काउंटडाउन भी शुरू हो गया। हालांकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पूरी ताकत से अपने चुनावी अभियान में जुटे हुए हैं, लेकिन चुनाव से ठीक पहले जहां कांग्रेस ने कमलनाथ को अध्यक्ष बनाकर राज्य में संगठन को नई ऊर्जा देने की कोशिश की है तो दूसरी ओर राज्य में डेढ़ दशक से सत्ता में काबिज भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार भी मुख्यमंत्री शिवराज के चेहरे पर ही भरोसा जताया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह का कहना है कि कांग्रेस सत्ता के लिए उतावली हो रही है। उसे मालूम नहीं है कि जनता ने उससे मुंह मोड़ लिया है। यही कारण है कि कांग्रेस भाजपा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरने की जो भी रणनीति बना रही है वह फेल होती जा रही है। वह कहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान की छवि के आगे कांग्रेसी नेताओं को कोई पूछ नहीं रहा है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का कहना भी कुछ हद तक सही है। क्योंकि लंबे समय से सत्ता में रहने से भाजपा को जो एंटी-इनकंमबेंसी का सामना करना पड़ रहा है उसको अकेले शिवराज अपनी सभाओं के जरिए दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका असर भी दिखने लगा है। शिवराज सिंह चौहान जहां भी जाते हैं जनसमुदाय उन्हें देखने उमड़ पड़ता है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि यह 15 साल के दौरान प्रदेश में किए गए विकास का असर है। - अजय धीर
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