04-Sep-2018 08:12 AM
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बुंदेलखंड भले ही सूखे के लिए बदनाम हो, मगर यह भी उतना ही सच है कि इस इलाके में जितने तालाब और बांध हैं, उतने शायद ही देश के किसी दूसरे हिस्से में हों। ललितपुर इकलौता ऐसा जिला है, जहां सात बांध हैं। मानसून के मौसम में तालाब और बांधों का नजारा ही निराला होता है, क्योंकि हिलोरें मारता पानी और लहरें सम्मोहित कर लेती हैं। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के पर्यटन विकास निगम के झांसी स्थित वीरांगना होटल के प्रबंधन ने एक टूर पैकेज तैयार किया है। टूर पैकेज के तहत महज 375 रुपये खर्च करने पर एक पर्यटक न केवल कई तालाबों और बांधों का नजारा देख सकेगा, बल्कि नौकायन (बोटिंग) का भी मजा ले पाएगा।
उत्तर प्रदेश की पहल को देखते हुए मप्र सरकार भी इस दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाने जा रही है। बुंदेलखंड वह इलाका है, जो उत्तर प्रदेश के सात और मध्य प्रदेश के छह जिलों को मिलाकर बनता है। इस क्षेत्र में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के साथ धार्मिक स्थलों की भरमार है। इन स्थलों पर पर्यटकों को भ्रमण कराया जा सकता है, मगर दोनों राज्यों के पर्यटन विकास निगम से नाता रखने वालों ने कभी भी इस महत्व को नहीं पहचाना। इस इलाके में पर्यटन एक उद्योग के तौर विकसित हो सकता है। यहां के चित्रकूट में भगवान राम ने वनवास काटा था, राम का प्रमुख मंदिर ओरछा में है, आल्हा-ऊदल की नगरी महोबा के किस्से कहीं भी सुनने को मिल जाएंगे। दुनिया में पाषाण कला के लिए विशिष्ट तौर पर पहचाना जाने वाला खजुराहो भी इसी इलाके में है। रानी लक्ष्मीबाई का किला और पन्ना में जुगल किशोर का मंदिर है। उसके बावजूद यह इलाका उपेक्षाओं का शिकार है। अब पहली पहल झांसी से हुई है, उम्मीद की जाना चाहिए कि यह सफल होगी और आगे बढ़ेगी।
प्रकृति की गोद में बसा चित्रकूट अवैध खनन और वन से जुड़े माफिया के लिए बदनाम रहा है। अवैध रूप से पेड़ों की कटाई और तेंदुपत्ता ने न जाने कितने लोगों को करोड़पति बना दिया। तेंदुपत्ते से ही बीड़ी तैयार होती है। सोने जैसी इस संपदा को कभी सफेदपोश तो कभी डकैत मिलकर लूटते आए हैं। सरकार को करोड़ों का नुकसान भी हो रहा है। कई नेता तो डकैतों के बल पर सांसद और विधायक होते रहे हैं। लेकिन अब इस क्षेत्र की पहचान बदलने की कवायद चल रही है। वीरांगना होटल के प्रबंधक मुकुल गुप्ता के मुताबिक झांसी और ललितपुर जिले के सुकवां-ढुकवां, माताटीला बांध और तालबेहट स्थित मानसरोवर तालाब का चयन किया गया है। यहां पर्यटकों को एक वातानुकूलित मिनी बस से ले जाया जाएगा। इस दौरान मिनरल पानी, पर्यटन से संबंधित साहित्य, टोल टैक्स, बोटिंग, जीएसटी आदि पैकेज में शामिल है। तालबेहट के सरोवर में नौकायन के बेहतर इंतजाम हैं, जहां लोग सुरक्षित तरीके से नौकायन का आनंद ले सकेंगे। प्रबंधक गुप्ता बताते हैं कि बुंदेलखंड में कई ऐसे स्थान हैं, जहां पर्यटकों को ले जाया जा सकता है। जो एक बार वहां हो आएगा उसका न केवल दोबारा जाने का मन करेगा, बल्कि वह अपने परिचितों को भी वहां भेजेगा। जो पैकेज तैयार किया गया है, उसमें लगभग सात से आठ घंटे का समय लगेगा, यात्रा लगभग डेढ़ सौ किलो मीटर की होगी। इस पैकेज में भोजन शामिल नहीं है, पर्यटक अपनी सुविधा के अनुसार घर से भोजन ले जा सकता है या मांग पर उसे उपलब्ध कराया जाएगा।
बुंदेलखंड धर्मनगरी के लिए भी प्रसिद्ध
बुंदेलखंड के चित्रकूट का पाठा इलाका भौगोलिक रूप से डकैतों के लिए अनुकूल था। चारों ओर पहाड़ी होने के कारण वे यहां आसानी से छिप सकते थे। घना जंगल होने के कारण आम लोगों का आना-जाना भी बहुत कम होता था। ये पूरा जिला ही डकैतों के लिए जाना जाने लगा। इसका दुष्परिणाम ये हुआ कि जिला विकास की पहुंच से बहुत दूर होता गया। लेकिन इत्तेफाक देखिए कि चित्रकूट पूरी दुनिया में धर्मनगरी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इसका उल्लेख भगवान श्रीराम की कर्मस्थली के रूप में किया गया है। बावजूद इसके पिछले चार-पांच दशक से लगातार डकैतों के आतंक के लिए जाना जाता रहा है। चित्रकूट का पाठा इलाका मुख्य रूप से डकैतों की शरणस्थली थी। यहां के दस्यु (डकैत) प्रभावित क्षेत्र के थानों में आदिवासी (कोल) जाति के लोगों का बाहुल्य है। अन्य जातियां भी मिश्रित रूप से बसी हुई हैं। दस्यु गिरोहों में प्रत्येक जाति के लोगों का वर्चस्व रहा। पटेल, कोल और यादव जाति के लोगों की सक्रियता ज्यादा रही। जिन्हें जातीयता के आधार पर संरक्षण भी मिला।
-सिद्धार्थ पांडे