18-Aug-2018 10:24 AM
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देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस पर लंबे समय से वंशवाद का आरोप लगता रहा है। समय-समय पर कांग्रेसी नेता इसका माकूल जवाब देने की कोशिश करते नजर आए हैं लेकिन वंशवाद की बेल को काटना कांग्रेस में कभी भी संभव नहीं हो पाया। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में भी ऐसी ही तस्वीर नजर आ रही है। यहां भी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की विरासत संभालने के लिए युवा पीढ़ी तैयार खड़ी है। विधानसभा चुनाव में 2 दर्जन से अधिक नेताओं के बेटे और बेटियां टिकट के प्रबल दावेदार हैं।
राजस्थान कांग्रेस में अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि विधानसभा चुनाव में टिकट का फार्मूला क्या रहेगा। ये परेशानी उन नेताओं-कार्यकर्ताओं के लिए है जिनका बैकग्राउंड राजनितिक नहीं है। जिन्हें राजनीति विरासत में मिली है उनके लिए टिकट को पाना कोई मुश्किल काम नहीं। भले ही कांग्रेसी नेता सार्वजनिक मंचों पर कहते आए हो की उन पर लग रहा वंशवाद का आरोप तथ्यहीन और निराधार है। लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर ऐसे लोगों की एक लंबी सूची है जिन का इतिहास बताता है कि कांग्रेस में कैसे नेताओं के पुत्र-पुत्रियों को तवज्जो मिलती रही है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के मुखिया सचिन पायलट यह साफ कर चुके हैं कि विधानसभा चुनाव के लिए टिकट का कोई निश्चित फार्मूला तय नहीं किया गया है केवल साफ छवि युवा और जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाएगा। लेकिन यह सब कहने की बातें हैं राजनीति के जानकार मानते हैं कि फार्मूले सहूलियत के हिसाब से बदल दिए जाते हैं।
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मांगने वाले दावेदारों की फेहरिस्त पर नजर डालें तो एक लंबी सूची उन नामों की है जो राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में लगे हैं। दो दर्जन से अधिक नेताओं के पुत्र-पुत्रियां इस बार दामाद और पुत्र वधू भी टिकट की मांग कर रहे हैं। यह सूची इस बार इसलिए भी लंबी हो चली है क्योंकि कांग्रेसी नेताओं को सत्ता में वापसी की पूरी उम्मीद है। वंशवाद के आरोपों पर टिकट के दावेदारों का कहना है कि आरोप सही नहीं है। अगर डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन सकता है अगर इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बन सकता है तो राजनेता का बेटा राजनेता क्यों नहीं बन सकता। यह ठीक है कि टिकट की दावेदारी आसान हो जाती है लेकिन अंतत: फैसला जनता को तय करना होता है। राजनीतिक माहौल विरासत में मिलने की वजह से ऐसे युवाओं के पास एक अलग किस्म का अनुभव भी होता है जिसे जनता पसंद करती है। अगर जनता नकार देगी तो कोई भी पार्टी चाहे कितने भी बड़े नेता की संतान क्यों ना हो उसे टिकट नहीं देगी। साफ है कि विधानसभा चुनाव में जब इन नेताओं के पुत्र-पुत्रियों को टिकट दिए जाएंगे तो कांग्रेस को एक बार फिर से वंशवाद के आरोपों का सामना करना पड़ेगा और सवाल यह भी है कि राजनीतिक विरासत संभालने वाले यह नए चेहरे क्या कांग्रेस की आसानी से मिलने वाली टिकट का महत्व समझ पाएंगे।
आंतरिक कलह से कांग्रेस की सीटों में आई गिरावट
कांग्रेस के भीतर जिस तरीके से सेनापति पद को लेकर बयानबाजी का दौर चल रहा है और कांग्रेस कई खेलों में बढ़ती हुई नजर आ रही है इसका असर सट्टा बाजार पर भी दिखाई दे रहा है। पिछले 10 दिनों में कांग्रेस के भीतर जो कलह चल रही है उससे कांग्रेस की सीटों में गिरावट भी देखी गई है। यही सट्टा बाजार 10 दिन पहले कांग्रेस को 135 दे रहा था जो घटकर अब 125 रह गई है।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी