02-Aug-2018 08:09 AM
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पूर्व उपराष्ट्रपति और राजस्थान में बीजेपी के कद्दावर नेता रहे भैरों सिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी की एक चि_ी ने राजस्थान की सियासत में उबाल ला दिया है। चि_ी में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। राजवी की ये चि_ी यूं तो जयपुर नगर निगम से संबंधित है लेकिन इसे सीधे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लिखा गया है। हालांकि मीडिया में मामला खुलने से पहले तक इस पर कोई चर्चा नहीं थी लेकिन अब मामला संभाले नहीं संभल रहा है। राजस्थान में केंद्रीय नेतृत्व की आवाजाही बढ़ रही है। इन सबके बीच मुद्दा बनी चि_ी ने प्रादेशिक नेतृत्व के हाथ पांव फुला दिए हैं। इसी हफ्ते अमित शाह जयपुर आ रहे हैं। 7 जुलाई को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जयपुर में रैली कर के गए हैं। पार्टी, सरकार और नगर निगम अब इसी उधेड़बुन में हैं कि इस तूफान को शाह के आने से पहले शांत किया जाए तो कैसे?
नरपत सिंह राजवी जयपुर शहर की विद्याधर नगर विधानसभा सीट से विधायक हैं। उन्होंने बीजेपी शहर अध्यक्ष संजय जैन, शहर मंत्री हिम्मत सिंह और यहां के वार्ड नम्बर 8 के पार्षद भगवत सिंह देवल पर सिंडिकेट बनाकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। आरोप है कि इन तीनों ने मिलकर एक कंपनी बनाई और अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर जयपुर के आधा दर्जन से ज्यादा मेट्रो स्टेशन की पार्किंग का ठेका हासिल कर लिया। इस कंपनी में हिम्मत सिंह का रिश्तेदार भी शामिल है जो युवा मोर्चा का पदाधिकारी है। आरोपों की फेहरिश्त यही तक सीमित नहीं है। आरोप है कि गुप्ता एंड कंपनी को शहर के नालों की सफाई का ठेका भी दिलाया गया। राजनीतिक रसूख से ठेके हासिल करने का खुलासा तब हुआ जब सफाई न होने की शिकायत की गई। राजवी के मुताबिक जब उन्होंने मेयर अशोक लाहोटी से कार्रवाई न होने के बारे में पूछा तो मेयर ने अपनी लाचारी जता दी।
राजवी के मुताबिक मेयर ने कहा कि तमाम अनियमितताओं के बावजूद इस कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे बीजेपी के पदाधिकारी जुड़े हुए हैं। राजवी का दावा है कि मेयर ने उन्हें बातों-बातों में इशारा भी दिया कि ठेकेदार फर्मों द्वारा भ्रष्टाचार होता कैसे है। बेमानी ठेके लेने वाले 10-12 महीने बाद बिल लगाते हैं। इतने लंबे वक्त के कारण मामला ठंडा पड़ जाता है, ठेके में जमा सिक्युरिटी राशि का समय भी निकल जाता है और इस तरह भुगतान फौरन करा लिया जाता है। राजवी के मुताबिक निगम पार्षद जोन उपायुक्तों को पहले अवैध इमारतों के बारे में चि_ी लिखते हैं। इनको नोटिस जारी करवाते हैं और इसके बाद शुरू होता है, इमारतों के मालिकों से वसूली का खेल।
बताया जा रहा है कि इसी साल फरवरी में पार्षद देवल ने 23 इमारतों को अवैध बताते हुए इनकी लिस्ट निगम को सौंपी। इनमें से सिर्फ 4 को नोटिस जारी किए गए। आरोप है कि भगवत सिंह देवल और उनके पड़ोसी जेईएन धर्मसिंह की मिलीभगत से ये खेल चल रहा है। हालांकि जिन पर आरोप लगाए गए हैं, वे इसे विधायक की हताशा बताते हैं। पार्षद देवल का कहना है कि इस बार राजवी को शायद टिकट नहीं मिलने वाला है। इसीलिए वे पार्टी पर दबाव बनाने की नीति के तहत काम कर रहे हैं। बीजेपी शहर अध्यक्ष संजय जैन ने भी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है।
इस पूरे विवाद ने विपक्ष को भ्रष्टाचार के मुद्दे को भुनाने का मौका दे दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने आरोप लगाया कि बीजेपी संस्थागत भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है। पायलट के मुताबिक कांग्रेस के बाद अब खुद बीजेपी वाले भी अपनी ही सरकार की पोल खोलने में लगे हैं। पायलट ने घनश्याम तिवाड़ी की मिसाल देते हुए कहा कि बीजेपी नेतृत्व बजाय शुचिता के पालन के, भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को ही बाहर जाने पर मजबूर कर देता है। कांग्रेस के मुद्दा लपकते ही बीजेपी में ऊपर से लेकर नीचे तक बैठकों के दौर शुरू हो गए हैं। संगठन मंत्री चन्द्रशेखर और नरपत सिंह राजवी के बीच लंबी बातचीत हुई। प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल सैनी की तरफ से भी मीडिया में सफाई दी गई। सरकार को ये डर है कि मुख्यमंत्री के विरोध में कई और नेता भी हैं जैसे रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा। अगर इस मामले को ठीक से हैंडल नहीं किया गया तो आहूजा जैसे दूसरे विधायक भी नई परेशानी खड़ी कर सकते हैं।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी