18-Aug-2018 10:13 AM
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बांग्लादेश में इसी साल दक्षिणी और उत्तरी बांग्लादेश को जोडऩे वाला पुल बनकर तैयार हो जाएगा। छह किलोमीटर लंबा यह पुल दोनों इलाकों को सड़क और रेल के जरिए जोड़ेगा। बांग्लादेश बनने के बाद से यह इंजीनियरिंग की सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजना थी जो बनकर तैयार होने वाली है। यह सेतु पदमा नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक है। इस पुल के निर्माण में चीन ने 3.7 अरब डॉलर की रकम लगाई है।
चीन ने इसमें न केवल पैसा दिया है बल्कि इंजीनियरिंग में भी मदद की है। चीन-बांग्लादेश में 30 अरब डॉलर की परियोजना पर काम कर रहा है और गंगा नदी पर छह किलोमीटर लंबा यह पुल इसी परियोजना का हिस्सा है। कई राजनयिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बांग्लादेश में चीन की बढ़ती मौजूदगी का भी मजबूत प्रमाण है और यह भारत के लिए चिंताजनक है। इससे पहले विश्व बैंक ने बांग्लादेश को मिलने वाली 1.2 अरब डॉलर की मदद को रद्द कर दिया था। विश्व बैंक का कहना था कि उसके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि इस परियोजना में बांग्लादेश के सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त थे। इसके बाद ही चीन ने इस परियोजना को अपने हाथ में लिया था। बांग्लादेश में चीन के भारी निवेश को बिल्कुल नए सबूत की तरह देखा जा रहा है कि दक्षिण एशियाई देशों में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। चीन इसी तरह की परियोजना पर काम पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव और नेपाल में भी कर रहा है। दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को भारत की कमजोरी और पड़ोसियों से बढ़ती दूरी के तौर पर भी देखा जा रहा है। बांग्लादेश को भारत का स्वाभाविक पार्टनर माना जाता था, लेकिन अब यह धारणा टूटती दिख रही है। जाहिर है बांग्लादेश के निर्माण में भारत की बड़ी भूमिका रही है, लेकिन चीन पाकिस्तान के करीब तो है ही बांग्लादेश के भी करीब आ गया है। हाल के वर्षों में चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना वन बेल्ट वन रोड के तहत उसके विस्तार से भारत चिंतित दिखा है। जिन देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध थे, वहां भी चीन की मौजूदगी बढ़ी है। मालदीव में भारत की हाल तक अच्छी मौजूदगी थी, लेकिन सैन्य सरकार आने के बाद से वहां भी चीन कई बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहा है।
चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर परियोजना के तहत चीन पाकिस्तान में रोड, रेलवे और बिजली प्लांट पर 60 अरब डॉलर खर्च कर रहा है। इस परियोजना के कारण पाकिस्तान के दक्षिण समुद्री तट पर ग्वादर पोर्ट के जरिए चीन की पहुंच समुद्र में आसानी से बन रही है। मालदीव ने भी चीन के साथ फ्री ट्रेड समझौता किया है। इसके तहत मालदीव ने भारतीय कंपनी जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर से एयरपोर्ट बनाने का ठेका लेकर चीन को दे दिया था। श्रीलंका भी चीन के सरकारी बैंकों का
कर्ज नहीं चुका पाया तो उसे हम्बननोटा
पोर्ट 100 सालों के लिए चीन के हवाले करना पड़ा। श्रीलंका में चीन को हम्बननोटा मिलना भारत की रणनीतिक हार के तौर पर देखा जा रहा है।
-माया राठी