युवाओं के सहारे सत्ता की आस
18-Aug-2018 09:16 AM 1234781
मप्र में विधानसभा चुनाव संपन्न होने में करीब 3 से 4 माह बाकी है। राजनीतिक दलों ने चुनाव मैदान में उतरने के लिए कमर कस ली है। पार्टियों का मुख्य फोकस युवा मतदाता हैं। प्रदेश में करीब ढाई करोड़ से ज्यादा मतदाताओं की उम्र 40 साल से कम है। वोटरों की इस बड़ी संख्या में 50 प्रतिशत से ज्यादा का हिस्सा युवा और नौजवान वोटरों का है। वर्तमान में मतदाताओं के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि आगामी चुनाव में सत्ता की चाभी युवा हाथों से होकर गुजरेगी। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटी हुई है। भाजपा नेताओं का मानना है कि विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर 18 वर्ष और इससे ऊपर के जो मतदाता हैं, कांग्रेस उन्हें बरगला रही है। इन नव मतदाताओं ने दूसरी सरकार देखी नहीं है इसलिए वे कांग्रेस के बहकावे में आ रहे हैं। हालांकि भाजपा ने ऐसे युवाओं पर ध्यान केंद्रित किया है और नाराजगी दूर करने के उपाय किए जा रहे हैं। 4 अगस्त को एक लाख युवाओं को रोजगार दिए गए हैं। प्रदेश में इस समय 30 वर्ष से कम आयु के दो करोड़ मतदाता हैं। युवा मतदाताओं की नाराजगी को वोटों में बदलने के लिए कांग्रेस जी-जान से जुटी है। उधर, कांग्रेस ने प्रदेश में बेरोजगारों की बढ़ती फौज को मुद्दा बनाया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ हों या चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया, दोनों ही नेता युवाओं को रोजगार दिलाने सहित भाजपा राज में घटे रोजगार के अवसरों का हवाला दे रहे हैं। भाजपा ने इससे निपटने के लिए अगले कुछ महीने के भीतर सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र में दो लाख युवाओं को रोजगार से जोडऩे का लक्ष्य रखा है। यही नहीं नए मतदाताओं को रिझाने के लिए ही सरकार ने मुख्यमंत्री मेधावी योजना शुरू की है। इसमें अब तक 28 लाख छात्रों की फीस सरकार ने भरी है। ये सभी युवा 18 साल से अधिक उम्र के हैं, जो इस चुनाव में पहली बार वोट डालेंगे। अब दबाव युवाओं पर फोकस करने का है। विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने ज्यादा से ज्यादा युवा पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपने की रणनीति बनाई है। एक जानकारी के मुताबिक भाजपा अकेले मध्यप्रदेश में इन चुनावों के लिए 65 हजार से ज्यादा युवा संयोजकों की नियुक्ति पर विचार कर रही है। सूत्रों की मानें तो युवा मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस समय लगभग 100 पदाधिकारी हैं। इनमें से 40 को मध्यप्रदेश भेजा जा रहा है। बताया जा रहा है कि युवा मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम महाजन भी मध्यप्रदेश में चुनाव के दौरान प्रत्यक्ष रूप से मोर्चा संभालेंगी। युवा मोर्चा प्रदेश के हर बूथ पर एक संयोजक बना रहा है। इसकी जिम्मेदारी केंद्र और राज्य की योजनाओं को मतदाताओं तक पहुंचाने के साथ ही युवा मतदाताओं को साधने की भी रहेगी। उधर, प्रदेश के अधिक से अधिक युवाओं को कांग्रेस की ओर आकर्षित करने के लिए पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 30 प्रतिशत युवाओं को टिकट देने की घोषणा की है। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि कांग्रेस इस बार 30 प्रतिशत ऐसे युवाओं को टिकट देगी जिन्होंने इससे पहले कोई चुनाव ही नहीं लड़ा। कांग्रेस लगाएगी प्रशिक्षण शिविर कांग्रेस अपनी सियासी रणनीति में युवाओं मतदाताओं पर ज्यादा फोकस करना चाहती है। आखिल भारतीय कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए कि वह ज्यादा से ज्यादा युवाओं तक अपनी पहुंच बनाएं। 18 से 25 वर्ष के युवाओं को कांग्रेस की विचारधारा से अवगत कराएं। उन्हें वर्तमान सरकार की नाकामियों के बारे में स्पष्ट संदेश दें। कांग्रेस आलाकमान का मानना है कि इस तरह से आगे होने वाले विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में पार्टी को युवा मतदाताओं का साथ मिल सकता है। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष केशवचंद यादव का कहना है कि देश भर में युवाओं और आम जनता तक पार्टी की विचारधारा को पहुंचाने के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाए जाएंगे। इस शिविर को हर विधानसभा क्षेत्र में लगाने की कोशिश की जा रही है। खासकर चुनावी क्षेत्र राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में इस तरह के आयोजन कराने की तैयारी जल्द की जाएगी। केशवचंद का कहना है कि आने वाले समय में विचारधारा की लड़ाई तेज होगी। कांग्रेस अपनी विचारधारा को लोगों के सामने पेश करेगी और इसे संदेश के रूप पहुंचाएगी। गौरतलब है कि भाजपा की तरह कांग्रेस भी अब अपने कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर उतारना चाहती है। भाजपा को जहां संघ का साथ मिलता रहा हैै। - विशाल गर्ग
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