18-Aug-2018 09:10 AM
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कांग्रेस ही नहीं अन्य विपक्ष दल भी भाजपा पर आरोप लगाते हैं कि पार्टी का कंट्रोल संघ के हाथों में है। राहुल गांधी के इस बयान पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि वाकई कांग्रेस बिना रिमोट की है। तभी तो कांग्रेस के नेताओं के सुर और ताल अलग-अलग है।
अगर राहुल और रमन के बयानों का आकलन करें तो यह पाते हैं कि राजनीति में एकता के लिए किसी न किसी के हाथ में रिमोट होना चाहिए। कांग्रेस बिना रिमोट की पार्टी है इसीलिए उसमें अनुशासनहीनता और असंतोष सबसे ज्यादा है। कांग्रेस छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद सरकार बनाने का दावा कर रही है। लेकिन पार्टी में न तो तैयारी उस स्तर की दिख रही है और न ही नेताओं में एकता। अगर कांग्रेस का रिमोट किसी एक नेता के हाथ में होता तो उसकी यह स्थिति नहीं होती।
हालांकि छत्तीसगढ़ कांग्रेस इस बार चुनाव में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। यही वजह है कि कांग्रेस ने इस बार अपने दावेदारों से आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी भी मांगी है। कांग्रेस इस बार सत्ता के रण में कोई चूक नहीं करना चाहती। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस साफ सुथरी छवि वाले दावेदारों को ही टिकिट देने की तैयारी में है। कांग्रेस के दावेदारों को अब टिकिट के लिए आवेदन के साथ ही यह बताना होगा कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड है या नहीं। सभी दावेदारों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी मांगी गई है। पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल का कहना है कि चुनाव के समय तो यह जानकारी मांगी ही जाती है। हमने पहले मांग ली तो क्या बुरा किया। वहीं कांग्रेस द्वारा अपने प्रत्याशियों से आपराधिक रिकार्ड मांगे जाने पर आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल ने चुटकी लेते हुए कहा कि अच्छी बात है उन्हें अपनी गलती का एहसास हो रहा है। पहले वे अपराधियों को टिकट देते थे अब सुधार कर रहे है।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा का टिकट देने के लिए कांग्रेस दावेदारों से न केवल उनके राजनीतिक कद की जानकारी ले रही है बल्कि जाति और उपजाति भी पूछ रही है। पार्टी इस बार दावेदारों से फार्म भरवा रही है। इसमें उनके आपराधिक रिकार्ड से लेकर कई तरह की जानकारी मांगी जा रही हैं। ज्ञात हो, कांग्रेस ने एक से सात अगस्त तक ब्लाक कमेटियों में फार्म जमा करने के लिए अभियान शुरू किया है। नामांकन फार्म में दावेदारों से एक संकल्प पत्र भी भरवाया जा रहा है, जिसमें लिखा है कि पार्टी जिसे उम्मीदवार बनाएगी, उसे विजयी बनाने के लिए चुनाव में निष्ठापूर्वक काम करेंगे। आमतौर पर टिकट वितरण के बाद दावेदार या तो चुनाव से दूर हो जाते हैं या अधिकृत प्रत्याशी को हराने में जुट जाते हैं। इसी की काट के लिए शपथ पत्र बनाया गया है। नामांकन फार्म में पिछले चुनाव के बारे में जानकारी मांगी गई है। इसमें दावेदारों को लोस, विस, पंचायत के साथ ही नगरीय निकाय के चुनाव लडऩे तथा जीत और हार के अंतर के बारे में भी जानकारी मांगी गई है। दावेदार की स्थानीय स्तर पर राजनीतिक साख को परखने के लिए यह कॉलम डाला गया है।
उधर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया ने कहा है कि 90 सीटों के लिए कांग्रेस की पहली सूची सितंबर के पहले सप्ताह में आ जाएगी। इस बार छत्तीसगढ़ में सरकार के खिलाफ माहौल इसी से पता चलता है कि हमारे एक-एक विधानसभा से 15-20 दावेदार सामने आ रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि ब्लाक अध्यक्षों को सभी नाम पीसीसी तक भेजने को कहा गया है। सभी जगह सिंगल नाम संभव नहीं है। पीसीसी और स्क्रीनिंग कमेटी एक सीट से सिर्फ दो से तीन नाम ही एआईसीसी को भेजेगी। इससे पार्टी में बगावत और तेज होगी।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला