18-Aug-2018 09:06 AM
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बिहार के मुज्जफरपुर में पिछले साल हुए सृजन घोटाले का आकार अब 1900 करोड़ के पार पहुंच गया है। सरकार की ऑडिट रिपोर्ट में इसका पता चला है। 625 पेज की रिपोर्ट में सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर से उपकृत होने वालों की लंबी सूची है। कार्रवाई के दायरे में कई पूर्व डीएम और कई सीनियर अफसर आएंगे। राज्य स्तर के आधा दर्जन पदाधिकारी ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा कर रहे हैं। गत वर्ष अगस्त माह में घोटाला उजागर होने के बाद सरकार ने ऑडिट कराने का निर्देश दिया था। इससे पहले सीबीआइ की जांच में 1600 करोड़ के करीब सरकारी राशि की अवैध निकासी का पता चला था। अब घोटाले का आकार 300 करोड़ और बढ़ गया है।
ऑडिट का कार्य करीब 11 महीने में पूरा हुआ है। रिपोर्ट पटना में निबंधक, सहयोग समितियों को सौंपी गई है। रिपोर्ट की समीक्षा करने के लिए निबंधक ने सात सदस्यीय टीम का गठन किया है। यह टीम ऑडिट रिपोर्ट का अध्ययन कर रही है। इसके बाद उच्चस्तरीय टीम इसके दायरे में आने वाले वीआइपी के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई की अनुशंसा करेगी। चर्चा है कि सूची में पिछले एक दशक से अधिक समय में संस्था से उपकृत होने वाले कई आइएएस, डिप्टी कलेक्टर, राजनीतिक दलों से जुड़े लोग, जनप्रतिनिधि, मीडिया प्रतिनिधियों के नाम हैं। अंकेक्षण के दौरान सृजन संस्था की डायरी, सफेद व लाल रजिस्टर तथा छोटे-छोटे नोटबुक में की गई इंट्री में लिखे तथ्य को भी शामिल किया गया है। सृजन के व्यापार का फलक बढऩे की भी चर्चा की गई है। किस तरह छोटे से कारोबार करने वाली यह संस्था करोड़ों का कारोबार करने वाली बन गई। रिपोर्ट में उन महिलाओं के भी नाम हैं जिन्होंने यहां काम किया और दैनिक मजदूरी कर राशि सृजन बैंक में जमा की। गरीब महिलाओं की जमा राशि का किस तरह उपयोग किया जाता था, इसकी भी चर्चा है। ऐसी हजारों महिलाओं की राशि वापसी की अनुशंसा भी रिपोर्ट में की गई है। बड़े लोगों ने यहां से लोन लेकर कैसे अपने व्यापार को बढ़ाया, इसका भी उल्लेख है।
सूत्र बताते हैं कि अब गेंद विभाग की निबंधक के पाले में है। गत वर्ष सृजन घोटाला उजागर होने के बाद जहां सीबीआइ कानूनी पक्ष को ध्यान में रखकर जांच कर रही है वहीं सहकारिता विभाग से निबंधित संस्था होने के कारण विभाग ने भी इसकी ऑडिट कराई थी।
सृजन में खाता बंद करने के पूर्व डीएम की जिस चि_ी की तलाश एजी की टीम कर रही है, वह जिला से गायब है। लेकिन ताजा खुलासा यह हुआ है कि पूर्व डीएम की चि_ी के माध्यम से खाता बंद करने के दिए गए निर्देश के बाद भी जिला भू-अर्जन, सबौर, गोराडीह और पीरपैंती प्रखंड का खाता वहां चालू रहा। करीब सालभर बाद उन खातों को बंद किया गया। लेकिन सृजन में खोले गए खाते से भू-अर्जन, कल्याण, जगदीशपुर और पीरपैंती प्रखंड के अफसरों ने जमा राशि की निकासी भी नहीं की। करीब 19.46 करोड़ रुपए सृजन में ही पड़े रह गए।
मास्टर माइंड गिरफ्त से बाहर
सृजन घोटाला को उजागर हुए एक साल बीत गया पर मास्टर माइंड अमित और प्रिया अभी तक फरार हैं। सीबीआई जांच एजेंसी देश के कई मामलों की जांच कर रही है और हरियाणा के भी एक मामले में सीबीआई ने अपनी जांच को सबके सामने लाया था। उस तरह भागलपुर के सृजन घोटाले की जांच क्यों नहीं हो रही है। ऐसे कई अहम सवाल सृजन घोटाले में उठ रहे हैं। आखिर पर्दे के पीछे इतने बड़े राजनेता है इसकी सच्चाई कब और कैसे मालूम पड़ेगी इस सवालों के बीच एक साल बीत चुका है। केस की अहमियत व बड़ी राशि के होने पर राज्य सरकार ने केस को सीबीआइ के हवाले कर दिया। सृजन समिति के किंगपिन रजनी प्रिया समेत अन्य जांच एजेंसी की जद से बाहर है। पूरे खेल के मास्टर माइंड अभी भी बेनकाब नहीं हो सके। कार्रवाई के नाम पर कुछ सरकारी पदाधिकारी व बैंक कर्मचारी जेल के अंदर गये हैं, जो रैकेट का महज हिस्सा मात्र थे। पूर्व जिला अधिकारी के पी रमैया से सीबीआई ने अभी तक पूछताछ नहीं की है। सृजन घोटाले में कलिंगा के मालिक राजू भागलपुर में लगातार ट्रेन से जा रहा है। भागलपुर से अपना कारोबार पूरी तरह समेट लिया है। उससे भी पूछताछ नहीं हुई है। आखिर क्या सीबीआई किसी के दबाव में काम कर रही है।
- विनोद बक्सरी