02-Aug-2018 08:20 AM
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मप्र में पशुपालन को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार 15 अगस्त को 1962 पशुधन संजीवनी योजना शुरू करने जा रही है। इसके लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। इस योजना के तहत पशुपालकों के पशुधन को त्वरित इलाज मुहैया कराया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पशु पालकों को बेहतर पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विभाग अंतर्गत वर्तमान में 1063 पशु चिकित्सालय तथा 1585 पशु औषधालय संचालित है। पशु चिकित्सालय में पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ प्रभारी रहता है तथा चिकित्सालय द्वारा लगभग 15000 पशुओं को पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाती है। पशु औषधालय का प्रभारी सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी होता है तथा औषधालय द्वारा लगभग 5000 पशुओं को पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाती है। इस मापदण्डानुसार वर्तमान में प्रदेश के 363.00 लाख पशुधन में से केवल 65.50 प्रतिशत पशुधन को पशु चिकित्सा के संस्थागत आच्छादन अंतर्गत लाया जा सका है। शेष 34.50 प्रतिशत को पशु चिकित्सा के संस्थागत अच्छादन अंतर्गत लाने हेतु पशु चिकित्सा सेवाओं के विस्तार की अत्यंत आवश्यकता है। साथ ही आकस्मिक परिस्थितियों में पशुपालकों को त्वरित चिकित्सा उपलब्ध कराने हेतु यह अत्यंत आवश्यक है कि पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार करते हुए दूरस्थ क्षेत्र के पशु पालकों को ग्राम पहुंच पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं।
अत: इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु 1962 चलित पशु कल्याण सेवाए योजनान्तर्गत प्रदेश के समस्त 313 विकासखण्डों के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में चलित पशु चिकित्सा इकाईयों के माध्यम से आकस्मिक पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है। प्रदेश के समस्त विकासखण्डों में चलित पशु चिकित्सा इकाई के संचालन हेतु ऐसे प्रयास किए जाएंगे कि इससे विभाग अंतर्गत पूर्व से उपलब्ध अमले एवं संसाधनोंं का अधिक से अधिक उपयोग करते हुए योजना पर होने वाले वित्तीय भार को कम से कम किया जा सके। 12वीं पंचवर्षीय योजना अंतर्गत प्रदेश के 89 आदिवासी विकासखण्डों में अनुबंध के आधार पर चल पशु चिकित्सा इकाई का संचालन किया जा रहा है। इस योजना के स्थान पर 1962 पशुधन संजीवनी योजना प्रदेश के समस्त 313 विकासखण्डों में संचालित किया जाना प्रस्तावित है।
इस योजना के तहत प्रदेश के 313 विकासखण्डों में निजी एजेंसी के माध्यम से अनुबंधित चलित पशु चिकित्सा इकाई का संचालन किया जाएगा। प्रत्येक चलित पशु चिकित्सा इकाई में एक वाहन, एक पैरावेट (विभागीय प्रशिक्षित गौसेवकों) तथा एक विभागीय पशु चिकित्सक के माध्यम से पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। प्रत्येक चलित पशु चिकित्सा इकाई हेतु अनुबंधित संस्था द्वारा एक वाहन तथा एक पैरावेट की व्यवस्था की जाएगी।
पशुपालन विभाग की इस योजना पर वर्ष 2018-19 में 903 लाख रुपए और वर्ष 2019-20 में 1807 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है। इस योजना के तहत पशुओं को टोल फ्री नंबर पर फोन लगाते ही चिकित्सा सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी। निश्चित रूप से यह योजना पशुओं और पशुपालकों के लिए संजीवनी साबित होगी।
योजना सवालों के घेरे में
पशुपालन विभाग की यह योजना अभी कागजों में है, लेकिन इसको लेकर सवाल उठने लगे हैं। कहा जा रहा है कि एक तरफ मुख्यमंत्री ने कहा है कि पशुपालकों को 24 घंटे चिकित्सा सेवा मुहैया कराई जाएगी। वहीं यह योजना 24 घंटे के लिए नहीं है। इस योजना के तहत सेवा का समय सुबह 8 से शाम 5 बजे तक का दिया गया है जो कि सामान्यत: विभाग द्वारा वर्तमान में दी जा रही है। यही नहीं योजना के अनुसार रविवार तथा छुट्टियों के दिन कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं बंद रहेंगी जिससे पशुओं के गर्मी में आने पर कृत्रिम गर्भाधान नहीं हो सकेगा तथा पशु एक माह सूखा रहेगा जिससे पशुपालक पर एक माह का आर्थिक बोझ बढ़ेगा। यही नहीं इस सेवा का स्पष्ट वर्गीकरण भी नहीं है। चलित इकाई के बारे में समय और सेवा के बारे में स्प्ष्ट नहीं किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि इतनी भ्रांतियों के बाद सरकार इस योजना को क्यों क्रियान्वित करना चाहती है।
- बृजेश साहू