02-Aug-2018 08:06 AM
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पाकिस्तान के आम चुनावों में चरमपंथी और धार्मिक संगठनों की हार हुई है। मुंबई हमलों के मुख्य आरोपी हाफिज सईद की अल्लाह ओ अकबर तहरीक को एक भी सीट नहीं मिली है। हाफिज सईद ने खुद भी प्रचार किया था। उसकी पार्टी को पाकिस्तान चुनाव आयोग ने मान्यता नहीं दी थी। वहां से आ रही खबरों में बताया गया है कि बड़ी संख्या में ऐसे उम्मीदवारों की प्रांतीय और राष्ट्रीय असेंबली में हार हुई है। नतीजों का एलान नहीं हुआ है मगर इनकी हार पक्की बताई जा रही है। चंद उम्मीदवारों को छोड़कर किसी के जीतने के आसार नहीं है। चुनाव से पहले कट्टरपंथी ताकतों के उभरने की आशंका जताई जा रही थी मगर कई चरणों की गिनती के बाद ऐसा लग रहा है कि जनता ने ऐसे तत्वों को ठुकरा दिया है। पर चुनाव में हारने से कट्टरपंथी ताकतें कम हो गई हैं इस नतीजे पर पहुंचने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। उनकी हरकतें चुनावी राजनीति पर निर्भर नहीं हैं।
दूसरी तरफ इमरान खान की पाकिस्तान तहरीके इंसाफ पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज ने नतीजों को स्वीकार नहीं किया है। आम तौर पर यही रिवाज था कि महिलाएं वोट नहीं करेंगी। उम्मीदवार, राजनीतिक दल और घर के मर्द रोकते भी थे और प्रोत्साहित भी नहीं करते थे कि महिलाएं मतदान करें। 2015 के डिर उपचुनाव में एक भी महिला वोटर ने वोट नहीं डाला था, इस कारण पाकिस्तान चुनाव आयोग ने उस उपचुनाव को भी खारिज कर दिया। उसके दो साल बाद 2017 के इलेक्शन एक्ट के तहत कानून बन गया कि अगर किसी क्षेत्र में दस फीसदी से कम महिलाएं वोट करेंगी तो उसका चुनाव रद्द माना जाएगा। बस इस एक नियम से उम्मीदवार और राजनीतिक कार्यकर्ता घर-घर से महिलाओं को निकाल कर मतदान केंद्र तक लाने लगे। सही है कि महिला वोटर का मतदान प्रतिशत कम रहा मगर चुनाव बचाने के लिए उन्हें घर से निकालना बहुत कुछ कहता है।
अब आते हैं इमरान खान पर। पाकिस्तान के होने वाले नए प्रधानमंत्री पर। इमरान ने आज पाकिस्तान को संबोधित करते हुए कई बातें कहीं। इमरान की बातों का आने वाले समय में विश्लेषण होगा, लेकिन पहले दिन जो बातें कही हैं वो महत्वपूर्ण है। तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान शाही महल में नहीं रहेंगे। छोटी सी जगह पर रहेंगे। मंत्री से लेकर सांसद भी सामान्य घरों में रहते हुए जनता की सेवा करेंगे। इमरान के भाषण का सारा जोर इस बात पर है कि वे सरकार के उन खर्चों को कम करेंगे जो प्रोटोकॉल के नाम पर किए जाते हैं। जो शाही शान शौकत के लिए किए जाते हैं। ताली बजाने से पहले एक मिनट के लिए यह भी सोच लें कि आज कल सत्ता में आने के लिए ऐसी बातें कही जाती हैं। दुनिया भर में कुछ नया करने के लिए कह तो दिया जाता है, कर भी दिया जाता है मगर आम जनता की जिंदगी पर क्या वाकई पहले से ज्यादा असर पड़ता है, ऐसा बहुत कम देखने को मिला है। फिर भी देखना चाहिए कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का निवास कैसा है जिसे इमरान खान होटल में बदल देंगे।
वाकई होटल जैसा है। यहीं दफ्तर भी है। निवास भी है। 1973 से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इस शाही महल में रहते आए हैं। अब यहां नए प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खऩ नहीं रहेंगे। इस बार प्रधानमंत्री निवास के रखरखाव का बजट 16.17 प्रतिशत बढ़ा दिया गया था। पाकिस्तानी रुपये में इसका बजट करीब 100 करोड़ रखा गया है। इसे लेकर कई सवाल भी उठे थे। यह इमारत इस्लामाबाद में है। क्या वाकई यह शाही महल है।
यह सब बातें अच्छी लगती हैं सुनने में। आज कल रिवाज हो गया है, जनता यकीन भी कर लेती है मगर कुल मिलाकर बहुत ठोस रिजल्ट नहीं आता है। इसका मतलब यह नहीं कि नेता को सादगी से नहीं रहना चाहिए मगर उसकी कुछ जरूरतें होती हैं वो तो होना ही चाहिए। आप कहीं भी रहें, जनता को यह देखना चाहिए कि आपकी नीतियों की वजह से उसका जीवन बदल रहा है या नहीं। क्या इमरान खान नौजवानों को रोजगार दे पाएंगे, उनकी बातों से कोई खास और नया फॉर्मूला तो नहीं दिखा, जरूर सुनने में अच्छा लगा, क्योंकि ऐसी बातें हमेशा सुनने में अच्छी लगती है।
कहीं सेना की कठपुतली तो नहीं बन जाएंगे
इमरान खान को सेना की कठपुतली कहा जा रहा है। वे ठोस प्रमाण देने पर जांच की बात भी कर रहे हैं। इमरान ने अपने संबोधन में गरीबी दूर करने और गवर्नेंस पर जोर दिया है। वे मानव सूचकांक में सुधार की बात करते हैं। अच्छा है कि कोई नेता इन सब बातों को रेखांकित करे और भी अच्छा हो जब वो वाकई कुछ करके दिखाए। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की आबादी का 39 फीसदी हिस्सा गरीबी में जीता है। सबसे ज्यादा गरीबी फाटा और बलूचिस्तान में है। इमरान ने अपनी बात की शुरुआत में बलूचिस्तान के लोगों का शुक्रिया अदा किया कि आतंकवादी हमले के बाद भी वहां के लोग वोट देने के लिए निकले। पाकिस्तान को निवेश प्रिय मुल्क के रूप में भी कायम करना चाहते हैं। निवेश प्रिय मुल्क बनाने का फॉर्मूला भी वही है जो सबके पास है। गौर से देखेंगे तो किसी के पास नया आइडिया नहीं है। सबके पास वही बाते हैं कि निवेश आएगा तो रोजगार आएगा, विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानी अपने देश में और भारतीय अपने देश में निवेश करेंगे।
-बिन्दु माथुर