02-Aug-2018 07:50 AM
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केंद्र सरकार द्वारा घोषित स्मार्ट सिटी योजना में नगर निगम ने राजबाड़ा और उससे जुड़े 731 हेक्टेयर, यानी 1800 एकड़ क्षेत्रफल को शाामिल किया है। इसमें से अब 300 हेक्टेयर, यानी 750 एकड़ जमीन पर एबीडी प्लान के मुताबिक विकास अनुमतियां जारी की जाएंगी, जिसके चलते पुराने इंदौर में भी अब 15 मंजिला इमारतें तानी जा सकेंगी, जिनकी अधिकतम ऊंचाई 45 मीटर तक रहेगी। इंदौर के मास्टर प्लान में मध्य क्षेत्र को मरीमाता से लेकर रेलवे स्टेशन तक माना गया है, लेकिन स्मार्ट सिटी के लिए अभी प्लान के मुताबिक जो एबीडी एरिया किया गया है उसमें सुभाष मार्ग से नदी, यानी कृष्णपुरा पुल तक का हिस्सा लिया जा रहा है। यानी अब गणेशगंज, सुभाष मार्ग से लेकर महूना का क्षेत्र में ये ऊंची इमारतें बन सकेंगी। हालांकि राजबाड़ा और उससे जुड़े घने क्षेत्र में ऐसी इमारतों को मंजूरी नहीं मिल सकेगी।
इन ऊंची इमारतों के लिए अतिरिक्त एफएआर भी खरीदा जा सकेगा और शासन द्वारा जो टीडीआर व टीओडी पॉलिसी लाई जा रही है उसका भी लाभ इन इमारतों के निर्माण में मिल सकेगा। नगर तथा ग्राम निवेश विभाग ने धारा 23 (क) की उपधारा 1 के खंड क के अधीन नई सूचना जारी की है, जिस पर 20 जुलाई तक आपत्तियां या सुझाव मंगवाए गए हैं। उसके पश्चात नए प्रस्तावित संशोधनों को पुराने इंदौर के लिए लागू कर दिया जाएगा।
अभी इस क्षेत्र में अधिकतम 4 से 5 मंजिला इमारतें ही बनाई जाती हैं, लेकिन अब संशोधन के बाद 45 मीटर ऊंचाई तक, यानी 15 मंजिला हाईराइज (बहुमंजिला) इमारतें बन सकेंगी। इसके लिए भूखंड के आकार और सड़कों की चौड़ाई को आधार बनाया गया है। अगर सड़क की चौड़ाई 9 मीटर से कम है तो भवन की ऊंचाई भी इतनी ही रहेगी और 9 मीटर होने पर भवन की ऊंचाई 12 मीटर और 18 मीटर सड़क चौड़ी है तो भवन की ऊंचाई 24 मीटर तक ले जाई जा सकेगी। वहीं जो सड़कें मास्टर प्लान में 24 मीटर चौड़ी हैं, उन पर 30 मीटर ऊंचाई तक अनुमति मिलेगी, यानी 10 मंजिला भवन बनाए जा सकेंगे। वहीं 30 मीटर चौड़ी सड़कों पर 45 मीटर ऊंची, यानी 15 मंजिला इमारतों का निर्माण किया जा सकेगा। इसका मतलब यह हुआ कि सुभाष मार्ग, गणेशगंज से लेकर कलेक्टोरेट के आगे महू नाका और अन्य क्षेत्रों में ये ऊंची इमारतें निर्मित की जा सकेंगी, जिसके लिए अतिरिक्त एफएआर तो लिया ही जा सकेगा, वहीं टीडीआर सर्टिफिकेट भी मान्य होगा। आवासीय के साथ वाणिज्यिक और वाणिज्यिक सह आवासीय मार्ग के लिए भी भूखंडों की चौड़ाई से लेकर पार्किंग के नए मानदंड अपनाए जा रहे हैं। वहीं संगठित बाजार क्षेत्र को भी अलग से चिह्नित किया जा रहा है, जिसमें राजबाड़ा के अधिकांश पुराने बाजार शामिल होंगे।
इंदौर के मास्टर प्लान में मध्य क्षेत्र के मामले में कई तरह की बंदिशें लगा रखी है। पुराने इंदौर के इन क्षेत्रों में जहां सड़कें कम चौड़ी हैं, वहीं भूखंडों के संयुक्तिकरण, अतिरिक्त एफएआर के साथ-साथ कई तरह की अनुमतियां जमीन मालिकों को नहीं मिल पाती है। नगर निगम ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पुराने इंदौर के संकरे क्षेत्रों को चौड़ा करने का अभियान भी शुरू किया, जिसकी चपेट में सैंकड़ों रहवासियों को आना पड़ा और उनके सालों पुराने मकानों, दुकानों को जमींदोज भी कर दिया गया और उन्हें नकद मुआवजा तो मिला नहीं, अलबत्ता प्रस्तावित टीडीआर का लाभ देने के आश्वासन जरूर दिए गए। लिहाजा अब शासन ने स्मार्ट सिटी के लिए जो एबीडी एरिया प्लान बनाया गया है उसके मुताबिक मास्टर प्लान में आवश्यक बदलाव शुरू किए हैं। इससे अब प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर में विकास गतिविधियों को तेजी मिलेगी। साथ ही स्मार्ट सिटी इंदौर का सपना जल्द ही साकार होगा।
अभी सुपर कॉरिडोर पर ही मिलता है तीन एफएआर
इंदौर के मास्टर प्लान को चूंकि होरिजेंटल डवलपमेंट के हिसाब से तैयार किया है, लिहाजा हाईराइज यानी ऊंची इमारतों के लिए कम एफएआर निर्धारित किया गया। एबी रोड पर वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए अधिकतम दो एफएआर का ही प्रावधान है, वहीं सिर्फ सुपर कॉरिडोर पर ही तीन एफएआर मिलता है। ऐसे में अधिक ऊंचाई की बिल्डिंगों के निर्माण के लिए बिल्डरों-डेवलपरों या अन्य व्यवसायिक प्रोजेक्टों के लिए अधिक एफएआर की आवश्यकता पड़ती है, जिसकी प्रतिपूर्ति जल्द आने वाली टीडीआर और टीओडी पॉलिसी के जरिए हो सकेगी। इसके साथ ही नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मास्टर प्लान की विसंगतियों को भी दूर कर रहा है, जिसमें डेंसिटी यानी घनत्व का भी मुद्दा शामिल है, जिसको लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की गई है। अब स्मार्ट सिटी एरिया में भी अतिरिक्त एफएआर मिलने के कारण ऊंची इमारतें निर्मित की जा सकेंगी। इसके लिए अतिरिक्त एफएआर खरीदा जा सकेगा। अभी मध्य क्षेत्र में सड़कों के चौड़ीकरण के चलते लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, मगर अब नई पॉलिसी के कारण उन्हें टीडीआर सर्टिफिकेट हासिल होगा, जिसे वे अच्छी कीमत पर बिल्डर-डवलपरों को बेच सकेंगे।
-विकास दुबे