19-Jul-2018 10:00 AM
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आमतौर पर सहज रूप से मिलने वाला आलू इन दिनों ढूंढने से भी मिल नहीं रहा है। जहां मिल रहा है, वहां भी महंगे दामों में बिक रहा है। दरअसल, जमाखोरों ने प्रदेशभर से आलू गायब कर दिया है। सावन मास शुरू होने से पहले आलू के अच्छे दाम मिले, इसके लिए आलू का सारा स्टाक कोल्ड स्टोरेज में रख दिया गया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि दिसंबर-जनवरी में 5-7 रूपए, मार्च-अप्रैल में 8-10 रूपए और मई-जून में 10-12 रूपए प्रति किलो में मिलने वाला आलू अचानक 20 से 30 रूपए प्रति किला हो गया है।
गौरतलब है कि प्रदेश में इस साल करीब 21 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ है। लेकिन तीन-चार माह में ही यह आलू कहां गायब हो गया? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि प्रदेश की मंडियों में इन दिनों उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात से आलू आ रहा है। इससे मंडियों में आलू की आवक कम हो रही है। प्रदेश की सबसे बड़ी मंडी इंदौर की चोइथराम मंडी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सावन मास इसी माह के अंत में शुरू हो रहा है और अधिकांश लोग इस दौरान उपवास रखते हैं। चूंकि उपवास में आलू का महत्व है, इसलिए अधिकांश आलू के बड़े व्यापारियों ने आलू की जमाखोरी कर ली है और इसे कोल्ड स्टोरेज में रख दिया है। छोटे-मोटे व्यापारी जरूर आलू बाजार में ला रहे हैं।
इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, सागर, दमोह की मंडियां हो या कोई और मंडी वहां आलू का स्टॉक पहुंचते ही बड़े व्यापारी उसे खरीब ले जाते हैं। बताया जाता है कि खरीदे गए आलू कोल्ड स्टोरेज में रखे जा रहे हैं। अभी चोइथराम मंडी में थोक में आलू 13 से 15 रुपए के बीच बिक रहा है, मगर मंडी में आलू की कमी बनी हुई है।
जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में आलू के दाम में और उछाल आएगा। ग्वालियर की लक्ष्मीगंज थोक सब्जी मंडी के व्यापारियों का कहना है कि मंडी में आलू की आवक कम होने के कारण दामों में उठाव बना हुआ है, जानकार इसके पीछे आलू की कालाबाजारी होना बता रहे हैं। ग्वालियर की मंडी में आलू उत्तरप्रदेश के इटावा, शमशाबाद, आगरा से आ रहा है। व्यापारी कोल्ड स्टोरेज में रखे हुए आलू की कालाबाजारी करके मोटा मुनाफा कमा रहे हैं वहीं कारोबारियों का कहना है कि किसान ने आलू को डंप कर रखा है और वह धीरे-धीरे बाजार में छोड़ रहा है इससे दाम बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि सहालग की मांग ने भी आलू को महंगा कर दिया है। आलू के कारोबारी आने वाले दिनों में आलू के दामों में और तेजी होना भी बता रहे हैं।
आलू की कालाबाजारी रोकने के लिए अब जिला प्रशासन छापा मार कार्रवाई करने की तैयारी में है। कारोबारी सूत्रों का कहना है कि मुनाफाखोरों द्वारा मिलकर आलू के भाव तय किए जा रहे हैं तथा इनकी सप्लाई भी उनके कहने के अनुसार ही होती है। इनके अलावा बहुत से कारोबारियों के पास अभी भी माल न आने के कारण आलू की किल्लत बनी हुई है। ऐसी ही हालत रही तो आने वाले दिनों में आलू लोगों को और रुलाएगा। बंगाल से कम आवक के साथ ही यूपी से भी इन दिनों आलू की आवक हो रही है, लेकिन यह भी कम मात्रा में तथा अधिक कीमत में हो रही है। आलू की कीमत में तेजी का इसे भी एक कारण माना जा सकता है। कारोबारियों का कहना है कि आलू की कमजोर आवक को इन दिनों मुनाफाखोरों ने फायदे का सौदा बना लिया है। इसके थोक व चिल्लर भाव भी मुनाफाखोर ही तय करते हैं। आलू की जमाखोरी भी इसलिए आसानी से हो पा रही है, क्योंकि यह जल्दी खराब होने वाली सब्जी नहीं है।
किसानों की नहीं निकली लागत व्यापारी मालामाल
प्रदेश में जब किसानों ने आलू का उत्पादन किया तो उस समय किसी मण्डी में वह 50 पैसे तो किसी मण्डी में एक रुपए किलो बिका। इसका परिणाम यह हुआ कि किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पाए। अब वही आलू व्यापारियों के हाथ में आने के बाद सोना बन गया है। सब्जियों का राजा कहे जाने वाले आलू के भाव आसमान पर पहुंचने लगे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि थोक और फुटकर के दामों में लगभग दोगुने का अंतर है। बाजार में वर्तमान में स्टोर का आलू पहुंच रहा है। सबसे ज्यादा माल उत्तरप्रदेश का होता है। जानकार बताते हैं कि इस साल वहां भी फसल बहुत अच्छी नहीं हुई है। बीते दिनों अचानक इसके दामों में 5 से 10 रुपए का इजाफा हो गया है। जानकार बताते हैं कि जमाखोरी के कारण मंडियों में आलू की आवक कम हो गई है। इसलिए व्यापारी मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि अगस्त सितंबर तक आलू सारे रिकार्ड तोड़ देगा। उधर आलू की बढ़ती कीमतों ने सरकार को भी असमंजस में डाल दिया है।
- नवीन रघुवंशी