दो वर्ष पहले राघवजी की यह दुर्गति न होती
17-Jul-2013 08:49 AM 1234782

अपने नौकर के साथ आप्राकृतिक सेक्स संबंध बनाने के आरोप में गिरफ्तार हुए मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री राघवजी आज से दो वर्ष पहले  इस स्कैंडल में फंसे होते तो शायद उनकी गिरफ्तारी तो दूर उन्हें निष्काषित भी नहीं किया जाता। राघवजी के साथ जो कुछ हुआ उसकी टाइमिंग गलत थी, भाजपा के हिसाब से। कांग्रेस की दृष्टि से यह एकदम सटीक समय पर उछला प्रकरण है।
राघवजी के शौक के विषय में विदिशा में लंबे समय से चर्चा चल रही थी। उनके बहुत से राजदार दबे छुपे मुस्कुराहटों में यह बात संकेत में बता ही देते थे। लेकिन सब कुछ इतना खुला नही था। जो कुछ भी दबी जुबान से सुना गया था वह कथित रूप से सत्य था किन्तु किसी ने पुष्टि नहीं की थी। राघवजी के परिजनों को भी कहीं न कहीं इस बात का संकेत तो था लेकिन उन्हें किसी ने सचेत नहीं किया वे बेफिक्र होकर अपने शौक पूरे करते रहे और उनके विरोधी उनकी करतूतों को रिकार्ड करते रहे। कांग्रेस के भीतरी सूत्रों ने लगभग दो माह पूर्व इस स्कैंडल के विषय में संकेत दिया था। एक पुराने नेता ने आफ  द रिकार्ड कहा भी था कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता शौकीन हैं तभी यह आशंका तो थी ही कि कांग्रेस समय आने पर कुछ चेहरों को बेनकाब कर सकती है। लेकिन मानसून सत्र से पहले यह विस्फोट हो जायेगा इसकी आशंका किसी को नहीं थी। क्योंकि इससे अविश्वास प्रस्ताव का प्रभाव उतना नहीं रह जाता। मीडिया का ध्यान सारा राघवजी पर केन्द्रित होने का खतरा था। लेकिन कांग्रेस ने यह जोखिम उठाया क्योंकि उसे मालूम था कि अविश्वास प्रस्ताव में उतना दम नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव केवल सदन में अपनी बात कहने का मौका देगा। जिस तरह कांग्रेस बिखरी हुई है उसके चलते सदन में कोई बड़ा हंगामा करने की स्थिति में कांग्रेस नहीं थी, कांग्रेस आक्रामक बनेगी तो इससे कोई विशेष फर्क पडऩे वाला है नहीं इसीलिए राघवजी के प्रकरण ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया सरकार संभल नहीं पाई। सरकार को लगा कि राघवजी के विरूद्व कोई कठोर कदम नहीं उठाया गया तो भारी नुकसान हो जाएगा। अत: राघवजी की बलि चढ़ाने में सरकार ने देरी नहीं की। अब प्रश्न यह उठता है कि राघवजी के खिलाफ  कांग्रेस तो ठीक है, भाजपा के ही कुछ नेताओं ने घेरा बंदी क्यों की। पटेरिया जो कभी राघवजी के करीबी माने जाते थे, वे अचानक दुश्मन की भूमिका में क्यों आ गए। इस पूरे घटना क्रम ने भाजपा के भीतर चल रही राजनीति को सड़क पर ला दिया है और अब यह साफ हो चुका है कि भाजपा के कुछ प्रभावशाली लोगों को धराशायी करने के लिए भाजपा में बकायदा कुछ लोग काम कर रहे हैं। जिन्होंने नेताओं की कुंडली तैयार कर ली है। कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि यह तो केवल शुरूआत है आगे और भी भंडाफोड़ हो सकता है। दिग्विजय के इस कथन से पहले कैलाश विजयवर्गीय कांग्रेस पर कमर के नीचे प्रहार करने का आरोप लगा चुके हैं। लेकिन यह लड़ाई इतने निचले स्तर पर क्यों जा रही है? क्या कांग्रेस के पास या भाजपा में ही अपने नेताओं की कब्र खोदने वालों के पास मुद्दों का अभाव है?
भाजपा में एक दूसरे को धराशायी करने में जूटे नेताओं की क्या चाल है इस बारे में तो केवल यह कहा जा सकता है कि कुछ महत्वाकांक्षी नेता वटवृक्ष बन बैठे बड़े नेताओं की छांव में पनप नहीं पाते इसी कारण उन्हें तबाह करने का मौका तलाशते रहते हैं। विदिशा में ज्यादातर बाहरी लोगों को सीट दी जाती है। चाहे लोक सभा हो या विधानसभा इसी कारण इस बार स्थानीय महत्वाकांक्षाएं आकार ले रही हैं देखा जाए तो यह कहना गलत भी नहीं है। जहां तक कांग्रेस का प्रश्न है कांग्रेस भ्रष्टाचार के मुद्दे को उतने प्रभावी ढंग से उठा नहीं सकती क्योंकि कांग्रेस की केन्द्र सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के जो प्रकरण उज्जागर हुए हैं उनकी संख्या अच्छी खासी है इसलिए कांग्रेस ने राघवजी को निशाना बनाकर एक चुनावी हवा कायम करने की कोशिश की है।  ध्रुवनारायण सिंह के खिलाफ  जिस तरह के आरोप लगे हैं वे सब के सामने हैं। अरविन्द्र मेनन के विषय में भी बहुत कुछ अखबारों में छप चुका है। अजय विश्नोई पर उनके ही विभाग के एक व्यक्ति ने आरोप लगाया हुआ है। शगुफ्ता कबीर के कथित प्रकरण में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर पर भी छिं छीटे पड़ चुके हैं। मध्यप्रदेश में स्कैंडलों की भरमार है और कांग्रेस का दावा है कि बहुत से बड़े भाजपाई नेता, मंत्री इन गतिविधियों में लिप्त हैं। देखना यह है कि आने वाले समय में और कौन से स्कैंडल सामने आते हैं। राघवजी के खिलाफ मुँह खोलने वाला राजकुमार उसी क्षेत्र का है उसने राघवजी पर कई गंभीर आरोप लगाए  थे। उसने कहा कि राघवजी हाथ-पैर की मालिश कराते-कराते उत्तेजना बढ़ाने वाले तेल और क्रीम से गुप्तांग की मालिश कराने लगे। जब ऐसा करने से मना किया तो उनके नौकर ने जान से मारने की धमकी दी। धमकी और परिवार की गरीबी को देखते हुए राजकुमार को यह घिनौना कृत्य करना पड़ा। उसके कुछ दिनों बाद ही राघवजी प्रतिदिन कुकृत्य करने लगे। राजकुमार ने आरोप लगाया है कि राघवजी के कई महिलाओं से संबंध हैं। उसने उनके निवास पर कार्यरत एक कर्मचारी की पत्नी का भी जिक्र करते हुए कहा कि राघवजी के उससे पंद्रह साल से रिश्ते हैं। राघवजी हर बार लालच देते थे कि तुम शादी कर लो और लड़कियों से दोस्ती करो। इस सब के लिए राघवजी खर्चा उठाने की भी बात करते थे। राघवजी के यहां काम करने वाले शेर सिंह और उसके साले सुरेश ने भी उसका यौन शोषण किया। ये दोनों उसे जान से मारने की धमकी देते थे। राघवजी ने उसे पीएससी में पास कराने का लालच दिया था। कुरवाई के विधायक हरिसिंह सप्रे ने उसके पिता से बात कर उसे राघवजी के बंगले पर भिजवाया था।
इस मामले में पुलिस को जैसे ही हरी झंडी मिली उसने राघवजी के खिलाफ अप्राकृतिक सेक्स करने का केस दर्ज किया है। उधर, भाजपा ने उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है। मुख्यमंत्री निवास पर बुलाई गई आपात बैठक में यह फैसला लिया गया। घटनाक्रम की सूचना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी इंटेलीजेंस द्वारा लगातार दी जा रही थी। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अपने निवास पर बुलाया। दो घंटे तक माथापच्ची के बाद नरेंद्र सिंह तोमर सीधे पार्टी दफ्तर पहुंचे और पत्रकारवार्ता में राघवजी के निष्कासन की घोषणा कर दी। पुलिस के अनुसार धारा 377 गैर जमानती है। राघवजी गिरफ्तार है। इस मामले में नाटकीय मोड़ उस वक्त आया था जब पीडि़त युवक के पिता ने शपथ पत्र देकर कहा था कि उनका बेटा मानसिक रूप से विक्षिप्त है । पिता द्वारा मानसिक रूप से विक्षिप्त बताए जाने की बात को राजकुमार ने गलत बताया। उसने कहा कि वह पूरी तरह स्वस्थ है और पिता भाजपा नेता के दबाव में ऐसा कह रहे हैं। मीडिया से बात करने के बाद वह कांग्रेस नेताओं के साथ सीधे हबीबगंज थाने पहुंच गया। थाने में उसने पुलिस के सामने अप्राकृतिक कृत्य और यौन शोषण से जुड़ीं दो सीडी पेश की और अपने बयान दर्ज कराए।  राघवजी को गुजरात से कुछ राहत मिलने की उम्मीद थी इसीलिए उन्होंने विदिशा में अपना 79वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया। समर्थकों ने उनसे केक कटवाया और चांदी का मुकुट भेंट किया। लेकिन बाद में गुजरात से अच्छी खबर नहीं मिलने के कारण उनके  चेहरे पर मायूसी छा गई। भाजपा से निकासन पर उन्होंने कहा- 58 साल की सेवाओं के बाद भी मुझे पार्टी ने दूध में से मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया। पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए था। एफआईआर दर्ज होना कोई अंतिम निर्णय नहीं है। लेकिन राजकुमार को प्यार से राजकुमारी कहने वाले और उसे समलैंगिकता पर विवश करने वाले राघवजी के प्रकरण को मुद्दा बनाने वाले कांग्रेसी शायद यह भूल रहे हैं कि स्कैंडलों के हमाम में वे भी नंगे हैं। प्रदेश में पहला सेक्स स्कैंडल संभवत: 1969 में चर्चा में आया था, तब कांग्रेसनीत प्रदेश सरकार में श्रम मंत्री गंगाराम तिवारी एक नर्स के साथ पाए गए थे। राघव जी जैसा शौक रखने वाले भी बहुत से दलों में हैं। पहले जब तकनीक इतनी विकसित नहीं थी और सीडी आदि बनाकर सबूत नहीं मिल पते थे तब आम जनता नेताओं की रंगरेलियों से महरूम रहा करती थी। लेकिन आज तकनीक ने यह प्रेमदर्शन सुलभ करा दिया है। राघवजी के मामले में भाजपा ने जो तात्परता दिखाई उसके चलते कांग्रेस का अभियान फीका पड़ता नजऱ आया। अब कांग्रेस हवा बनाने की कोशिश कर रही है तो भाजपा ने साफ कर दिया है कि उसने तुरत कार्यवाही की थी। इसी कारण कांग्रेस ने जो सरकार को घेरने की कोशिश की वह एक तरह से असफल ही रही।
भोपाल से अजय धीर

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