04-Jul-2013 09:24 AM
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मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार का मानसून सत्र या यूं कहें कि वर्तमान सरकार का अंतिम विधानसभा सत्र हंगामाखेज होने के पूरे आसार हैं। विपक्ष ने तो सरकार को घेरने की पूरी तैयारी

कर ही ली है और अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा रहा है, लेकिन सत्तासीन दल के कई विधायक भी इस बार कुछ चुभने वाले प्रश्न पूछ सकते हैं। दरअसल प्रदेश में चल रहे विकास कार्यों की धीमी गति विधायकों के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। बहुत से विधायक अपने-अपने क्षेत्रों में बिजली पानी सड़क आदि की कमी से जूझ रहे हैं। बहुत से विकास कार्य अधूरे हैं। ऐसे हालात में सरकार से विधानसभा में प्रश्न पूछने और सार्वजनिक रूप से चिंता प्रकट करने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं है। डेढ़ हजार से ज्यादा प्रश्न तो 28 जून तक ही आ चुके थे और 98 विधायकों ने सवाल पूछने में रुचि दिखाई थी जिनमें से ज्यादातर सत्तापक्ष के हैं।
वैसे तो यह सत्र एक सप्ताह का है पर देखना यह है कि एक सप्ताह में से कितने दिन यह सत्र चल पाता है या नहीं। चुनाव निकट होने के बावजूद प्रदेश में सड़कों की हालत जर्जर है। नर्मदा और विकास के नाम पर भोपाल शहर में करोड़ों रुपए की सड़कें नर्मदा पाइप लाइन डालने वाले ठेकेदार ने स्वाहा कर दीं। अब रेस्टोरेशन के नाम पर ठेकेदार दाएं-बाएं हो रहा है। निगम कहीं उसको भुगतान रोकने की धमकी देता है परंतु शहरवासियों को इन सड़कों की खुदाई के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अटल ज्योति अभियान को उतनी प्रभावी सफलता नहीं मिली है ऐसे हालात में विधानसभा में सरकार को अपनों की ही तल्खियां और नाराजगी परेशान कर सकती है। सरकार ने भी तैयारी शुरू कर दी है अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बोलने वाले मंत्रियों की टीम तैयार की गई है। सरकार किसी भी मोर्चे पर पीछे नहीं रहना चाहती। क्योंकि विधानसभा सत्र के दौरान ही सरकार को अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा। इस बीच मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक मोर्चा खोल दिया है। 26 जून को भारतीय जनता पार्टी जेल भरो आंदोलन करना चाहती थी, किंतु उत्तराखंड की त्रासदी के कारण इस प्रदर्शन को फिलहाल टाल दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री जनआशीर्वाद यात्रा की तैयारी पूरी जोर-शोर से कर रहे हैं। जुलाई के अंत से प्रारंभ होने वाली इस यात्रा के लिए समय को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निकटस्थ थोड़ा चिंतित हैं क्योंकि इस दौरान सरकारी कामों को भी निपटाना होगा। चौहान की कोशिश रहेगी कि मिशन 2013 से पहले वे प्रदेश के ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचकर जनता का आशीर्वाद ले सकें। शिवराज सिंह ने कुछ दिन पहले कहा था कि भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव के दौरान टिकिट के दावेदारों की भीड़ भोपाल में नहीं देखना चाहती उसके लिए नया प्रयोग किया जाएगा और दावेदारों को स्पष्ट बता दिया जाएगा कि उनकी किस्मत का फैसला जिलों के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों तथा अनुषांगिक संगठनों के फीडबैक पर निर्भर करेगा और यह फीडबैक लिखित में गोपनीय रूप से लिया जाएगा। यदि यह प्रयोग सफल रहता है तो टिकिट को लेकर होने वाला हो हल्ला शायद कम हो सके वैसे भी भाजपा में टिकिट की दावेदारी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है क्योंकि नेताओं की अगली पीढ़ी भी मैदानेजंग में है। मुख्यमंत्री के सुपुत्र कीर्तिकेय की लाँचिंग तो हो ही चुकी है। दीपक जोशी के पुत्र जयवर्धन जोशी, नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेन्द्र प्रताप सिंह, तुकोजीराव पवार के पुत्र विक्रम सिंह पवार, कृष्णा गौर के पुत्र आकाश और अमन गौर, विजय शाह के पुत्र दिव्यादित्य शाह भले ही टिकिट की कतार में न हो लेकिन राजनीतिक विरासत की दावेदारी तो इन लोगों ने ठोंक ही दी है और भी कई नेता ऐसे हैं जिनके सुपुत्र पहले से ही अपने-अपने क्षेत्र में राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं यह सक्रियता इतनी प्रभावी है इसका आंकलन फिलहाल विधानसभा चुनाव के समय ही हो सकेगा। कुछ नेता पुत्रों ने अपने पिताओं का नाम रोशन किया है तो कुछ के वीरतापूर्ण कारनामें भी चर्चा का विषय बने हैं। हाल ही में पचमढ़ी जाते समय पिपरिया में एक मंत्री पुत्र ने काफी उपद्रव मचाया था चर्चा बहुत दिनों तक होती रही। इस बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भाजपा के शीर्ष पदाधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिया है कि चुनावों में जीतने के लिए हर हाल में एकजुटता दिखानी होगी। संघ चाहता है कि अनुशासन से कार्य हो ताकि जीत सुनिश्चित हो सके। संघ और उसके 40 अनुषांगिक संगठनों ने हाल ही में एक बैठक की थी जिसमें एकजुटता के साथ-साथ यह भी कहा था कि नए चेहरों की तलाश की जाए जो लगन से काम करें। शायद इसीलिए भारतीय जनता युवा मोर्चा को सशक्त बनाने का काम संघ ने अपने हाथ में लिया है। 18 से 23 वर्ष के युवाओं को पार्टी से जोडऩे के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष विश्वास सारंग को प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी है। लेकिन युवा मोर्चा में जिस गति से काम चल रहा है उसके चलते आगामी दिनों में कुछ खास नतीजे मिलने की संभावना नहीं है।