19-Jul-2018 08:47 AM
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छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिरी में चुनाव है। बीजेपी को हराने के लिए बनते बिगड़ते फार्मूले में अजित जोगी नया राजनीतिक गणित बैठा रहे हैं। अजित जोगी ने बीएसपी की अध्यक्ष मायावती से मुलाकात की है। जिसमें 2018 के विधानसभा चुनाव और 2019 के आम चुनाव को लेकर चर्चा हुई है। हालांकि गठबंधन पर अभी औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के नेता काफी उत्साहित हैं। अजित जोगी को लग रहा है कि बीएसपी के साथ जाने से कांग्रेस के विकल्प के तौर पर उनकी पार्टी खड़ी हो सकती है। हालांकि मायावती ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
मायावती कांग्रेस से भी बातचीत कर रही हैं, जिसका नतीजा आना बाकी है। क्योंकि मायावती राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में पार्टी की बिसात बिछाने में लगी हैं। इन तीनों राज्यों में बीएसपी अभी अपनी जोर आजमाइश में लगी है। लेकिन फिलहाल छत्तीसगढ़ में कांग्रेस गठबंधन के मूड में दिखाई नहीं दे रही है। राज्य में चुनाव से पहले एक बड़े गठबंधन का प्रस्ताव मायावती के सामने अजित जोगी ने रखा है। जिसमें राज्य के और छोटे दलों को साथ लेकर गैर बीजेपी, गैर कांग्रेस का विकल्प रखा जाए। इसे लेकर बातचीत जल्दी शुरू हो जाएगी। मायावती भी कांग्रेस के अलावा और दलों के साथ बातचीत कर रही हैं, जिससे ऐन मौके पर किसी भी तरह की दिक्कत से बचा जा सके। मायावती को लग रहा है कि कांग्रेस के साथ जाने में उनके हिस्से में कम सीटें आएंगी। इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। इसको लेकर पार्टी के भीतर मंथन चल रहा है।
अजित जोगी सोच रहे हैं कि एक बड़ा गठबंधन तैयार करके कांग्रेस के विकल्प के तौर पर अपने आप को पेश करें। जिसको लेकर ये कवायद चल रही है। जहां तक गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का सवाल है। इसके अध्यक्ष हीरा सिंह मरकाम तमखार से चुनाव लडऩा चाहते हैं लेकिन कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राम दयाल उड़के यहां से चुनाव लड़ते आ रहे हैं। इसलिए कांग्रेस के साथ बीजेपी का गठबंधन नहीं हो पा रहा है। जीजेपी की उपस्थिति लगभग हर विधानसभा में है। हर विधानसभा में उनके पास दो से तीन हजार वोट हैं। ये वोट जिता तो नहीं सकते लेकिन हार का कारण बन सकते हैं। कांग्रेस छत्तीसगढ़ में अकेले चुनाव लडऩे की कोशिश कर रही है लेकिन गठबंधन का विकल्प अभी खुला है। कांग्रेस को दबाव में लेने के लिए मायावती की पैंतरेबाजी भी है क्योंकि कांग्रेस छत्तीसगढ़ में बीएसपी के साथ जाने में चुपचाप है तो मध्य प्रदेश, राजस्थान में बीएसपी के साथ गठबंधन करना चाहती है। मायावती चाहती हैं कि छत्तीसगढ़ पर भी कांग्रेस बातचीत करे लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। बताया जा रहा है कि मायावती कांग्रेस के इंचार्ज पीएल पुनिया से नहीं मिलना चाहती हैं। कांग्रेस के आलाकमान की तरफ से अभी कोई पेशकश नहीं हुई है।
कांग्रेस-बीएसपी का मामला बन सकता है अगर कांग्रेस अध्यक्ष किसी और नेता को इस काम में लगाए। हो सकता है कि चुनाव नजदीक आने पर कांग्रेस या सोनिया की टीम से मायावती से बातचीत करने के लिए जाए, लेकिन ये कहना अभी जल्दबाजी होगी। वहीं अजित जोगी कांग्रेस से अलग होने के बाद भी कांग्रेस से मोहभंग नहीं कर पा रहे हैं। अजित जोगी समझ रहे हैं कि इस दबाव में कांग्रेस आ सकती है। उनकी पार्टी और कांग्रेस के साथ मायावती के जरिए गठबंधन हो सकता है। हालांकि कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अजित जोगी के साथ किसी भी तरह से तालमेल नहीं हो सकता है। राजनीति में असंभव कुछ भी नहीं है। कर्नाटक की सरकार इसका उदाहरण है।
छत्तीसगढ़ में बीएसपी और अजित जोगी की ताकत
छत्तीसगढ़ में बीएसपी की ताकत ज्यादा नहीं है। 2003 के चुनाव में दो सीटें मिली थीं फिर 2008 के चुनाव में दो सीट पर जीत मिली, लेकिन 2013 में ये घटकर एक हो गई है। पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए बीएसपी कोशिश कर रही है। बूथ लेवल तक कमेटी बनाई जा रही है। बीएसपी जांजगीर चांपा, बस्तर और रायगढ़ में मजबूत है। वहीं अजित जोगी की पार्टी 2016 में बनी है। इसके लिए ये पहला चुनाव है। जो ताकत इस पार्टी की है वो सिर्फ अजित जोगी की वजह से ही है। अजित जोगी राज्य के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर तीन साल काम कर चुके है लेकिन सत्ता वापसी करने में नाकाम रहे हैं। कई विवाद में भी उनका और परिवार का नाम आ चुका है। उनके बेटे अमित जोगी की सदस्यता रद्द करने के लिए कांग्रेस ने स्पीकर को औपचारिक पत्र भी दिया है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी के रमन सिंह की सरकार 15 साल से चल रही है। जिसको हटाने के लिए कांग्रेस नाकाम रही है। खुद अजित जोगी जब कांग्रेस में थे तब भी रमन सिंह चुनाव जीत रहे थे। लेकिन इस बार बीजेपी के पक्ष में माहौल पहले जैसा नहीं है लेकिन कांग्रेस बीजेपी की सीधी टक्कर की जगह तीसरा विकल्प तैयार होता है तो बीजेपी को फायदा होगा।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला