02-Jul-2018 10:59 AM
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छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे जोर पकड़ रहा है वैसे-वैसे राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के बीच चुनाव लडऩे में दिलचस्पी भी बढ़ती जा रही है। कांग्रेस में तो विधायक की टिकट की दावेदारी को लेकर महिला और पुरुष दावेदार ताल ठोक कर आमने-सामने आ गए हैं। टिकट पाने के लिए दोनों के बीच जोर आजमाइश ऐसी चल रही है कि पार्टी के नेता सोचने पर मजबूर हो गए हैं।
चुनावी अखाड़े में उतरने के इच्छुक कार्यकर्ता अपने पूरे बायोडाटा के साथ कायदे-कानूनों और पार्टी की रणनीति की दुहाई दे रहे हैं। महिलाओं की दलील है कि कायदे से उन्हें 50 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। 50 नहीं तो कम से कम 33 फीसदी आरक्षण तो जरूर देना ही चाहिए।
आरक्षण में बढ़ोतरी की मांग को लेकर महिला आरक्षण बिल के प्रावधानों से भी ये महिलाएं अपने नेताओं को अवगत करा रही हैं। पूरे तर्कों और दांवपेंचों के साथ महिलाएं कांग्रेस मुख्यालय में डटी हुई हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से लेकर पार्टी प्रभारी पी.एल पुनिया से मिलकर महिला दावेदारों ने अपना मांग पत्र सौंपा है।
उधर महिला आरक्षण में बढ़ोतरी की मांग से पुरुष दावेदार सकते में आ गए हैं। वो भी अपनी-अपनी दलीलों के साथ महिला आरक्षण में कटौती की मांग कर अपनी दावेदारी पुख्ता कर रहे हैं। उनकी दलील है कि राजनीतिक कामकाज हो या फिर दूसरे , ज्यादातर कार्य उन्हें ही करने होते हैं। ऐसे में महिलाओं की आरक्षण में बढ़ोतरी की मांग गैरवाजिब है। पुरुषों ने भी अपना मांग पत्र दलीलों के साथ पार्टी के नेताओं को सौंपा हैं।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा में कुल 90 सीट है। यदि कांग्रेस ने महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया तो पुरुषों के लिए 50 फीसदी सीट ही रिक्त रह जाएंगी। जबकि 33 फीसदी आरक्षण का पालन किया गया तो महिलाओं को 27 सीट में ही संतोष करना होगा।
हालांकि राज्य में पंचायती राज अधिनियम के तहत ग्राम पंचायत और नगर पंचायतों के चुनाव में महिलाओं को कानूनन पचास फीसदी आरक्षण दिया जाता है। इसके चलते महिलाओं के हौसले बुलंद हैं। वो दलील दे रही हैं कि अब विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में भी इसी तर्ज पर आरक्षण में बढ़ोतरी की जानी चाहिए। हालांकि महिलाओं और पुरुषों की तमाम दलीलों को सुनने के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी ने आरक्षण की मांग के गणित को सुलझाने के लिए पार्टी आलाकमान को दोनों ही खेमो का मांग पत्र भेज दिया है।
छत्तीसगढ़ में इसी साल अक्टूबर-नवंबर माह में विधानसभा चुनाव होने हैं। लिहाजा तमाम राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया अभी से शुरू कर दी है। लेकिन महिला आरक्षण का मामला सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, दूसरे दलों के लिए भी चुनौती बन गया है। राज्य में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है। लेकिन दोनों ही पार्टियां गिनी चुनी महिलाओं को ही चुनावी अखाड़े में उतारती हैं। ऐसे में महिला आरक्षण में बढ़ोतरी की मांग कितनी रंग लाएगी यह तो वक्त ही बताएगा।
राहुल का गुजरात मॉडल अपनाएगी कांग्रेस
गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा अपनाए गए माडल के सफल रहने के बाद अब इसे इस वर्ष के अंत में होने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान विधानसभा चुनावों में भी अपनाने का निर्णय लिया गया है जिसके तहत पार्टी द्वारा स्वयंसेवी संगठनों (एन.जी.ओ.) तथा वर्कर्स के साथ मेलजोल बढ़ाया जाएगा। गुजरात में कांग्रेस ने जनांदोलन चलाने वाले संगठनों के नेताओं जैसे हाद्र्धिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी तथा अल्पेश ठाकुर को अपनी ओर से समर्थन दिया था। इसी तरह 3 राज्य विधानसभा चुनावों में जनांदोलन चलाने वाले विभिन्न संगठनों के नेताओं को कांग्रेस अपनी ओर से समर्थन देगी। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि तीनों राज्यों में पार्टी द्वारा सामाजिक संगठनों का समर्थन लिया जा रहा है तथा साथ-साथ कबीलाई व अन्य दबाव समूहों के साथ भी संपर्क साधा जा रहा है। कांग्रेस नेतृत्व द्वारा मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में सामाजिक संगठनों के साथ मंच सांझा किया जा रहा है। कांग्रेस जहां सामाजिक संगठनों को बढ़ावा दे रही है, वहीं दूसरी तरफ वह अपने संगठन को भी मजबूती प्रदान करने के लिए जमीनी स्तर के कार्यकत्र्ताओं के साथ संपर्क साधने में लगी हुई है।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला