19-Jul-2018 08:41 AM
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बिहार में एनडीए की सरकार है, लेकिन सरकार ने अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए जारी योजनाओं में कहीं से कोई कटौती नहीं की है। हाल के चुनावों पर नजर डालें तो अल्पसंख्यक वोटर एनडीए से दूर ही रहे। चाहे वो अररिया लोकसभा का उपचुनाव हो या फिर जोकिहाट विधानसभा का उपचुनाव। जोकिहाट में तो पिछले चार चुनावों से जनता दल यूनाइटेड जीत रही थी, लेकिन इस बार उसे हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वोट की राजनीति से दूर अल्पसंख्यकों की कल्याणकारी योजनाओं में कटौती के बजाए बढ़ोत्तरी ही की है, जो दूसरे राज्यों से उन्हें अलग करता है। बीजेपी के साथ सत्ता में होने के बावजूद बिहार में अल्पसंख्यकों की कल्याणकारी योजनाओं में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है।
बिहार सरकार अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहन के लिए मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजनान्तर्गत वर्ष 2017 से ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अलावा मदरसा बोर्ड से फोकनिया एवं मौलवी परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र/छात्राओं को प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया है। वैसे 2007-08 से ही प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अल्पसंख्यक छात्र एवं छात्राओं को दस हजार रुपए प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। वर्ष 2014 से इंटर परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण मुस्लिम छात्राओं को 15,000 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
राज्य सरकार द्वारा अल्पसंख्यक मुस्लिम परित्यक्ता तलाकशुदा महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से वित्तीय सहायता प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलने वाली मुस्लिम परित्यक्ता तलाकशुदा सहायता योजनान्तर्गत वर्ष 2017-18 से महिलाओं की सहायता राशि 10 हजार रुपए से बढ़ाकर 25 हजार रुपए कर दिया गया है। वर्ष 2007 से अब तक इस योजना के तहत कुल 14 हजार मुस्लिम परित्यक्ता महिलाएं लाभान्वित हुई हैं।
अल्पसंख्यक छात्रावास योजनान्तर्गत राज्य के सभी जिलों में अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास निर्माण की योजना है। अब तक 37 छात्रावास निर्मित हैं और 13 छात्रावासों का निर्माण प्रक्रियाधीन है। बिहार राज्य हज समिति का वार्षिक अनुदान 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 60 लाख रुपए किया गया है। राज्य सरकार द्वारा हज यात्रियों की सहायता के लिए खादिमुल हुज्जाज को भेजने के लिए प्रति वर्ष अलग से राशि देने की व्यवस्था है। राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के महान विभूतियों के नाम जैसे स्वर्गीय मौलाना मजहरुल हक, स्वर्गीय अब्दुल कय्यूम अंसारी और स्वर्गीय गुलाम सर्वर भवन का निर्माण कार्य कुल 13 करोड़ रुपए की लागत से पूर्ण और लोकार्पित किया गया है।
वोट की खातिर कुछ भी करने को तैयार
देश में कल्याणकारी योजनाओं का मतलब वोट बैंक से होता है, लेकिन बिहार में ये देखने को नहीं मिलता। तभी तो हाल ही में जनता दल यूनाइटेड में शामिल हुए बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मोनाजिर हसन कहते हैं कि जो लोग अल्पसंख्यकों की वोट बैंक की राजनीति करते हैं उनसे कई गुना ज्यादा नीतीश कुमार ने अल्संख्यकों के कल्याण के लिए काम किया है। लेकिन ये भी सच्चाई है कि इन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नीतीश कुमार को वोट के रूप में नहीं मिलने जा रहा है। हालांकि, 2010 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और एनडीए को अल्पसंख्यकों ने अच्छी तादाद में वोट दिया था, लेकिन जब नीतीश कुमार 2014 के लोकसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़े तो अल्पसंख्यकों ने बिल्कुल उनका साथ नहीं दिया। 2015 में महागठबंधन के साथ रहने के कारण अल्पसंख्यक का विखराव नहीं हुआ और उसका फायदा नीतीश कुमार की पार्टी को भी हुआ। लेकिन एनडीए के साथ 2017 में दोबारा सत्ता में आने के बाद नीतीश कुमार का साथ अल्पसंख्यकों ने नहीं दिया। इसका प्रमाण हाल ही में हुए लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों के रिजल्ट से मिलता है।
- विनोद बक्सरी