पॉलिटिकल प्लाट
03-Jul-2018 08:29 AM 1234943
मामला भावनात्मक है। 83 वर्षीय एक वृद्ध मां अपने बेटे पर मानसिक प्रताडऩा का आरोप लगा रहीं हैं और वह कोई मामूली हस्ती नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह की पत्नी सरोज सिंह है। जिस बेटे को वे कटघरे में ले रही हैं वे कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह हैं। मामला पूरी तरह हाईप्रोफाइल राजनीतिज्ञों का है। इसलिए अब इस पूरे प्रकरण की टाइमिंग को लेकर सवाल सुर्खियों में है। क्या यह भाजपा का कोई राजनीतिक प्लाट है? जिसे ठीक विधानसभा चुनाव से पहले साधा जा रहा है। अंदरूनी सूत्रों के अनुसार इस पूरे प्रकरण की अहम किरदार के बतौर एक बार फिर अर्जुन सिंह की बेटी वीणा सिंह उभर रही हैं। भाजपा वीणा सिंह को चुरहट से चुनाव मैदान में उतार सकती हैं। चुरहट सीधी यह पूरा इलाका अर्जुन सिंह की राजनीतिक विरासत का है और वर्तमान में इसके एकमात्र दावेदार अजय सिंह हैं। जो यहां से लगातार पांच बार के विधायक हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा अजय सिंह के गढ़ को भेदना चाहती है और उसमें सबसे आसान और सहज कड़ी वीणा सिंह दिखाई दे रहीं हैं। जिनकी अपनी राजनीतिक महत्वकाक्षाएं हैं और वे अपने पिता की इस विरासत का भी बंटवारा चाहती हैं। इसीलिए 2009 के लोकसभा चुनाव में वे सीधी से निर्दलीय प्रत्याशी के बतौर मैदान में भी उतरीं थीं। वीणा सिंह तब चुनाव हार गई। क्योंकि उनके पिता अर्जुन सिंह ने तब उनका न तो खुलकर समर्थन किया न विरोध। गांधी परिवार के प्रति अपनी निष्ठा के चलते उन्हें एक बार तो चुनाव प्रचार में भी आना पड़ा। जहां उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी इंद्रजीत कुमार का नाम लिए बगैर सिर्फ कांग्रेस को जिताने की अपील की। पूरे चुनाव में अर्जुन सिंह समर्थक कांग्रेस नेताओं में असमंजसता बनीं रही। दाउ साहब का मौन समर्थन मान कर वीणा सिंह को क्षेत्र की जनता ने और नेताओं ने समर्थन दिया। बावजूद इसके वीणा सिंह चुनाव हार गई लेकिन वे 13 हजार से ज्यादा वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहीं। कांग्रेस वह चुनाव हार गई। बताया जा रहा है कि इस हार के बाद वे लगातार कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं और खास तौर पर अर्जुन सिंह समर्थक नेताओं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के माध्यम से कांग्रेस में एंट्री के लिए उत्सुक थीं, लेकिन अजय सिंह के विरोध के कारण यह संभव नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि वे अब भाजपा के करीब है और भाजपा के वरिष्ठ क्रम के नेता उन्हें चुरहट से विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में हैं और उन्हें उम्मीद है कि सरोज सिंह अपनी बेटी के लिए वोट भी मांग सकती हैं। इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच सरोज सिंह का भी मामला है। उनका आरोप है कि अजय सिंह उन्हें केरवा कोठी में रहने नहीं दे रहे हैं। यह कोठी उनके पति ने बनाई थी। जिसकी जमीन का एक भाग उनके नाम पर खरीदा गया था। वहीं अजयद सिंह से जुड़े पहलू बताते हैं कि अर्जुन सिंह की मृत्यु से कुछ दिन पहले यह कोठी अजय सिंह के नाम पर ट्रांसफर हो चुकी है। जिसका हलफनामा वे अपने दो बार के चुनाव नामांकन में दे चुके हैं। यानि, पिछले कई वर्षों से इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हम पूरी तरह प्रयासरत हैं कि सिंह परिवार का पारिवारिक मामला निपट जाएं। क्योंकि मां एक भावनात्मक मामला है, जिसका असर सीधी ही नहीं पूरे प्रदेश पर होगा। कहीं यह सियासी साजिश तो नहीं यह केवल संयोग नहीं हो सकता है कि शिवराज सिंह चौहान का वकील ही अजय सिंह के खिलाफ एक बार फिर मैदान में आए और इस बार पैरवी उनकी मां सरोज सिंह की करे। शायद यह चौंकाने वाली बात है, लेकिन हकीकत है कि जिन दीपेश जोशी एडवोकेट ने अर्जुन सिंह पत्नी और अजय सिंह की मां सरोज कुमारी सिंह की ओर से अजय सिंह (राहुल भैया) और अभिमन्यु सिंह के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया है, उन्हीं दीपेश जोशी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह की ओर से अजय सिंह के खिलाफ जिला अदालत में एक करोड़ रुपए की मानहानि का मुकदमा दायर किया है। कुल मिलाकर भाजपा ने जिस तरह से मां की आड़ लेकर अजय सिंह पर हमले शुरू किए हैं। उससे एक बात साफ हो गई है कि अजय सिंह की छवि को निशाना बनाने की भाजपा की पूरी रणनीति है। जिस तरह से भाजपा के सभी नेताओं ने अजय सिंह पर हमला बोला है, कहीं न कहीं यह पूरी एक राजनीतिक रणनीति है। संभव है कि आने वाले दिनों में इसी तरह से दूसरे कांग्रेसी नेताओं की छवि को भी डैमेज करने का काम किया जा सकता है। -विशाल गर्ग
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