अब 2019 का इंतजार
03-Jul-2018 08:21 AM 1234780
राजनीति में चार साल लंबा वक्त तो होता है पर इतना भी लंबा नहीं कि किसी सरकार के कार्यकाल में उसी के चुनावी वादों को भुला दिया जाए लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। चार साल पहले केंद्र की सत्ता में आने से पहले नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने चुनावी अभियानों के तहत कई वादे किए जिसका जादू कुछ वक्त तक लोगों की जुबान पर चढ़कर बोलता रहा। मसलन, विकास, 15 लाख, अच्छे दिन, कालाधन और करप्शन। ये ऐसे मुद्दे हैं जो उस वक्त पक्ष-विपक्ष सभी की जुबां पर चढ़ गया था। हालांकि, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने खुद इन्हें जुमला कहा था यानी ऐसे लोक लुभावन वादे जो सिर्फ चुनाव जीतने के लिए गढ़े जाते हैं। 2015 के शुरुआत में बीजेपी अध्यक्ष ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि कालाधन वापस लाने के बाद हरेक भारतीय के खाते में 15-15 लाख रुपये जमा कराने की बात एक जुमला था। दरअसल, नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियों में कहा था कि अगर उनकी सरकार बनती है तो विदेशों से कालाधन वापस लाया जाएगा और हरेक के खाते में 15-15 लाख रुपये जमा होंगे। सरकार के सालभर भी नहीं हुए थे कि पार्टी अध्यक्ष ने उन वादों और दावों की हकीकत खोल दी थी। जब नरेंद्र मोदी पीएम बने तो ऐसा प्रचारित किया गया कि देश में विकास की गंगा बहेगी लेकिन यह जुमला भी बहुत जल्द लोगों की जुबान से उतर गया। मोदी ने लगभग सभी चुनावी रैलियों में लोगों से पूछा था कि विकास चाहिए कि नहीं चाहिए।Ó पिछले साल गुजरात चुनाव के समय कांग्रेस ने जवाबी हमला करते हुए विकास पागल हो गयाÓ का अभियान चलाया। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले देशभर में इस जुमले के पक्ष में हवा बन गई। हर आम-ओ-खास की जुबां पर यह जुमला चढ़ बैठा। बच्चे-बूढ़े सभी गाने लगे-मोदी जी आने वाले हैं, अच्छे दिन लाने वाले हैं। मोदी सरकार के बनते ही सालभर में ये वादा जब जुमला साबित हुआ तो लोगों की जुबां पर से उतर गया। सरकार बनते ही 100 दिनों के अंदर विदेशी बैंकों में जमा कालाधन वापस लाएंगे और भ्रष्ट नेताओं-नौकरशाहों को जेल भेजेंगे। कुछ ऐसा ही जुमला 2014 के चुनावों से पहले और कुछ दिनों बाद तक लोगों की जेहन में गूंजता रहा था। अमित शाह ने कहा था कि पांच साल में कालाधन वापस नहीं लाया जा सकता है। यह जुमला था। अब 2019 के चुनाव के लिए सियासी रणभूमि सजने लगी है। राजनीतिक दलों की मोर्चेबंदी, सोशल मीडिया नेटवर्किंग और चुनावी अभियान के लिए नए नारे-जुमले बनने लगे हैं। ऐसे में बीजेपी ने पहले ही इशारा कर दिया है कि वो नए नारों और वादों के साथ चुनाव में उतरेगी। फिलहाल पार्टी ने सबका साथ, सबका विकासÓ को छोड़कर एक नया नारा दिया है। सभी विज्ञापनों में मोदी सरकार की साफ नीयत, सही विकासÓ का गुणगान किया जा रहा है। हालांकि, पार्टी के सूत्र बताते हैं कि चुनाव आते-आते बीजेपी 2014 की ही तरह एक नहीं, अनेक नारों के साथ अखाड़े में कूदेगी। इन नारों पर फिलहाल काम जारी है। पार्टी की मीडिया सेल नए-नए नारे लिख रही है, उसे पार्टी अध्यक्ष से अप्रूव करा रही है। इसी हफ्ते बीजेपी का एक नया नारा सामने आया था, जिसमें कहा गया है काम अधूरा, एक मौका मोदी सरकार, काम पूरा होने का। भाजपा बीते चार साल से कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दे रही है और देश भर में अपने विस्तार का दावा कर रही है लेकिन हकीकत यह है कि उसके विधायकों की संख्या देश में एक-तिहाई से थोड़ी ही ज्यादा है। कुल मिलाकर देश की कुल 4139 विधानसभा सीटों में से 1516 सीटें (करीब 37 फीसदी) ही बीजेपी के पास हैं। इनमें से 950 सीटें सिर्फ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक की हैंं। यह सच है कि बीते चार सालों में कई नए राज्यों में भाजपा ने सत्ता पाई है, पर अपने दम पर नहीं। 2015 से मई 2018 के बीच कुल 18 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें से मात्र पांच में ही पूर्ण बहुमत की बीजेपी की सरकार बन सकी है। छह राज्यों में जोड़-तोड़ की एनडीए सरकार और बाकी सात राज्यों में अन्य दलों की सरकार बनी है। यानी अप्रैल-मई 2014 से मई 2018 तक देश के कुल 27 राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों के विधानसभा चुनावों में मात्र 7 में ही बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बन पाई है। 10 में राजनीतिक गठजोड़ की एनडीए सरकार बनी है। बाकी बचे 10 राज्यों में दूसरे दलों की सरकार है। इन चुनावों से पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार 2013 से ही है जबकि मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है। 20 में सरकार 10 में ही बहुमत देश के 29 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली और पुदुचेरी) में से 20 राज्यों में बीजेपी की सरकार है। लेकिन, इनमें से केवल 10 में ही बीजेपी का बहुमत है। वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के एक रिसर्च के मुताबिक सिक्किम, मिजोरम और तमिलनाडु की विधानसभाओं में तो पार्टी को एक भी सीट हासिल नहीं हुई है। आंध्र प्रदेश की 294 विधानसभा सीटों में से 9 पर ही बीजेपी का कब्जा है। केरल में भी 140 में से सिर्फ एक सीट बीजेपी को मिली है। पंजाब की 117 में से 3, पश्चिम बंगाल की 294 में से सिर्फ 3 सीटें ही बीजेपी के पास हैं। तेलंगाना में भी 119 में से सिर्फ 5 सीट बीजेपी के पास है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की 70 में से 3 सीटों पर ही बीजेपी की जीत हुई है। ओडिशा में भी 147 में 10 सीटें और नगालैंड में 60 में से 12 सीटें बीजेपी के पास है। गठबंधन सरकार वाले राज्यों में भी स्थिति कमतर मेघालय की 60 विधानसभा सीटों में 2 बीजेपी के पास है। बिहार की 243 में से सिर्फ 53 पर ही बीजेपी का कब्जा है। जम्मू-कश्मीर की 87 में से 25 और गोवा में 40 में से 13 सीटें ही बीजेपी के पास है। मोदी लहर में 2014 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उसी साल आंध्र प्रदेश (तेलंगाना समेत), अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर में असेंबली चुनाव हुए थे। इनमें केवल हरियाणा और झारखंड में ही बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बन सकी। महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ और जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार है। सिक्किम में भी बीजेपी गठबंधन सरकार की पार्टनर है जबकि अरुणाचल प्रदेश में पहलेे कांग्रेस की सरकार बनी थी, लेकिन दल-बदल के बाद वह बीजेपी सरकार में बदल गई। 2015 की शुरुआत में ही बीजेपी को बड़ा झटका दिल्ली में तब लगा, जब विधानसभा की 70 सीटों में से 67 पर आम आदमी पार्टी की जीत हुई। इसी साल अक्टूबर-नवंबर में बीजेपी और मोदी-शाह की जोड़ी को दूसरा बड़ा झटका बिहार में लगा जब लालू यादव और नीतीश कुमार के गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला और बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। हालांकि, जुलाई 2017 आते-आते बीजेपी वहां भी जोड़-तोड़ कर जेडीयू से गठबंधन कर सरकार में शामिल हो गई। साल 2016 के चुनावों में असम, केरल, पुदुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए मगर पांच में से एक में भी बीजेपी को बहुमत नहीं मिल सका। केवल एक राज्य (असम) में बीजेपी ने गठबंधन के बूते सर्वानंद सोनेवाल की अगुवाई में सरकार बनाई। - ऋतेन्द्र माथुर
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^