03-Jul-2018 08:09 AM
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विधानसभा चुनाव से 5 महीने पहले भोपाल-इंदौर मेट्रो को केंद्रीय वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है। इससे सरकार के लिए चुनाव के पहले मेट्रो प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने का रास्ता खुल गया है। अब प्रदेश सरकार एशियाई विकास बैंक सहित अन्य वित्तीय संस्थानों से प्रारंभिक लागत के लिए 7 हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज ले पाएगी।
आवास एवं शहरी मामलों के केंद्रीय सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने अब केन्द्र सरकार का लोक निवेश बोर्ड इन परियोजनाओं के वित्त पोषण की रूपरेखा तय करेगा। इसके बाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। परियोजना के लिए आगरा, कानपुर और मेरठ को भी मंजूरी मिली है। कर्ज के इंतजार में भोपाल-इंदौर मेट्रो के टेंडर में भी देरी हो रही थी। नगरीय प्रशासन विभाग ने भोपाल मेट्रो के लिए टेंडर जारी कर दिया था, लेकिन इंदौर का टेंडर अटका था। अब इंदौर में मेट्रो प्रोजेक्ट का टेंडर अगले सप्ताह तक जारी हो जाएगा। दोनों शहरों में मेट्रो का ऑफिस अगले महीने बनना शुरू हो जाएगा। चुनाव से पहले दोनों प्रोजेक्ट का शुभारंभ हो सकता है।
भोपाल-इंदौर मेंट्रो का सपना प्रदेश में 2007 से देखा जा रहा है। तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने इस प्रोजेक्ट की डीपीआर पर काम शुरू किया था। इसके तहत पहले मेट्रो मेन ई श्रीधरन से इसकी प्रारंभिक डीपीआर तैयार कराई गई। बाद में मेट्रो की बजाए लाइट मेट्रो चलाना तय हुआ। इसके तहत जापानी कंपनी जायका व रोहित एसोसिएट ने इसकी नई डीपीआर तैयार की।
केंद्र सरकार ने देशभर में मेट्रो रेल प्रणाली के मानकीकरण और स्वदेशीकरण के लिए मेट्रो मैनÓ ई. श्रीधरन की अध्यक्षता में समिति गठित की है। यह समिति तीन महीने में रिपोर्ट सौंपेगी। समिति में ई. श्रीधरन के अलावा आठ अन्य सदस्य होंगे, इनमें एचएस आनंद, समीर लोहानी, डीके सिन्हा, जितेन्द्र त्यागी, विपुल कुमार, प्रशांत राव, अनूप गुप्ता और मुकुंद कुमार शामिल हैं।
मानकों में मेट्रो स्टेशन की रूपरेखा, प्लेटफॉर्म, साइनेज और डिस्पले, सुरंग का आकार, अग्नि सुरक्षा प्रणाली, आपदा प्रबंधन प्रणाली, पर्यावरण अनुकूल कूड़ा प्रबंधन प्रणाली, स्टेशनों पर सौर पैनल्स शामिल हैं। इन स्वदेशी मानकों के निर्धारण से मेट्रो रेल की उप प्रणालियों और नई मेट्रो परियोजनाओं के निर्माण में निर्धारित मानकों को अपनाया जाएगा। स्वदेशी अपनाकर मेट्रो रेल निर्माण में आने वाली लागत को भी कम किया जा सकेगा।
राज्य ने एशियाई विकास बैंक और यूरोपियन बैंक से कर्ज के लिए प्रक्रिया पूरी कर ली थी, लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिल पाई थी। इसकी मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री भी केंद्रीय मंत्री से मिले थे। अब वित्तीय मंजूरी के बाद सरकार यह पैसा ले सकेगी। प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास विभाग विवेक अग्रवाल कहते हैं कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलने से अब मेट्रो प्रोजेक्ट के काम में तेजी आएगी। अगले महीने तक मेट्रो के ऑफिस दोनों शहरों में बनने लगेंगे। चुनाव के पहले मेट्रो का मैदानी काम दिखने लगेगा। उधर सरकार इसके प्रचार प्रसार की तैयारी भी कर रही है।
अब तेजी से आगे बढ़ेगा काम
पूरे देश में एक समान मानकों पर मेट्रो परियोजनाएं लागू करने के लिए पिछले साल से मेट्रो नीति-2017 घोषित होने के बाद पहली बार सात परियोजनाओं को वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिली है। वित्त मंत्रालय की पूर्ण मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार के लोक निवेश बोर्ड (पीआईबी) द्वारा वित्त पोषण की रूपरेखा तय की जाएगी। इसके बाद इन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिये भेजा जाएगा। लोन के लिए मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी ने एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) और न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) से बात की है। दोनों बैंकों से सहमति बन चुकी है। प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि इंदौर-भोपाल मेट्रो की डीपीआर बनने के साथ कंसल्टेंट की नियुक्ति भी की जा चुकी है। इनमें डीबी इंजीनियरिंग जर्मनी के अलावा जियोडाटा और लुईसबर्जर जैसी मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की अनुभवी और मशहूर विदेशी कंपनियों का कंसोर्टियम शामिल है। ये कंसल्टेंट कंपनियां प्रोजेक्ट के लिए डॉक्यूमेंट बनाने, मॉनिटरिंग आदि का काम करेंगी।
-राजेश बोरकर