03-Jul-2018 07:02 AM
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देश में बेनामी प्रॉपर्टी की धरपकड़ शुरू हो गई है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पूरे देश में 4300 करोड़ रुपए की 1500 बेनामी प्रॉपर्टी जब्त की है। ये जब्ती नए बेनामी कानून लागू होने के डेढ़ साल के भीतर हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक कई और प्रॉपर्टी राडार पर है। गोल्ड डीलर्स, बैंकर्स, हवाला ऑपरेटर, सरकारी अधिकारी और राजनेताओं के यहां सर्वे और छापे की कार्रवाई की जा रही है। लिस्ट में भोपाल 190 प्रॉपर्टी के साथ तीसरे स्थान पर है। दिल्ली, बंगलौर, चेन्नई और पुणे में 90-90 प्रॉपर्टी जब्त की गई है। अहमदाबाद में भी 89 बेनामी प्रॉपर्टी जब्त हुई है। जबलपुर में एक ड्रायवर बेनामीदार निकला। उसके पास 7.7 करोड़ रुपए की जमीन थी। मध्यप्रदेश की एक लिस्टेड कंपनी के प्रमुख इसके असली मालिक थे। मुंबई में एक प्रोफेशनल के पास डब्बा कंपनी के नाम पर कई प्रॉपर्टी थी। ये कंपनी सिर्फ पेपर पर थी। राजस्थान के सांगानेर में एक ज्वेलर ने अपने पूर्व कर्मचारी के नाम पर 9 प्रॉपर्टी करवा रखी थी। इनमें से कुछ प्रॉपर्टी डब्बा कंपनियों के नाम पर खरीदी गई थी।
नोटबंदी के बाद छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में सर्वाधिक बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ है। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के आयकर विभाग के प्रधान निर्देशक इंवेस्टिगेशन विंग आर.के. पारिवाल के मुताबिक, दोनों ही राज्यों में देश में सर्वाधिक 325 बेनामी संपत्तियों का पर्दाफाश किया गया है। इन संपत्तियों की मौजूदा सरकारी कीमत ढाई सौ करोड़ के लगभग आंकी गई है। जबकि इसका बाजार भाव कही ज्यादा हो सकता है। उनके मुताबिक, बेनामी संपत्ति बनाने वाले शख्स ज्यादातर आईएएस अफसर और कारोबारी हैं। सभी के खिलाफ बेनामी ट्रांजेक्शन एंड प्रोहिवेशन अमेंडमेंट एक्ट 2016 के तहत कार्रवाई होगी। इस कार्रवाई में दोषी पाए गए शख्स के खिलाफ धारा 53 के तहत जुर्माने के अलावा एक से सात साल तक सजा का प्रावधान है। आर.के. पारीवाल के मुताबिक बेनामी संपत्तियों की पड़ताल छत्तीसगढ़ में रायपुर, रायगढ़ और मध्यप्रदेश में भोपाल, कटनी, ग्वालियर, पन्ना, जबलपुर और सतना में की गई थी। कुछ लोगों की संपत्ति के दस्तावेज हरियाणा के फरीदाबाद जिले के पाए गए थे। जांच के बाद यह संपत्ति भी बेनामी पाई गईं। देश में सर्वाधिक बेनामी संपत्ति छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में चिन्हित की गई। इसमें इन दोनों ही राज्यों का आंकड़ा 325 है। इसके बाद राजस्थान में 202, महाराष्ट्र में 180 और गुजरात में 140 बेनामी संपत्तियां उजागर हुई हैं।
बेनामी संपत्तियों या फिर कालेधन को निवेश करने वालों में सयुक्त मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीनियर आईएएस अधिकारी अरविंद जोशी, एम.ए. खान और सेवकराम भारती का नाम आयकर विभाग की सूची में सबसे ऊपर है। जबकि कारोबारियों में नितिन अग्रवाल, मनीष हेमलता सरावगी, सुशील वासवानी, सुरभी ग्रुप के संतोष रामतानी, भाटिया एनर्जी, पवन अहलूवालिया, एम.वाय. चौधरी का नाम शामिल है।
पवन सरैया नामक टेक्नोक्रेट के पास भी करोड़ों की बेनामी संपत्ति बरामद हुई है। आयकर विभाग के मुताबिक, धीरू गौर नामक एक काल्पनिक शख्स के नाम से भी करोड़ों का निवेश किया गया है। यह संपत्ति भी अटैच की जाएगी। बताया जा रहा है कि ब्लैकमनी के जरिए अवैध संपत्ति अर्जित करने वालो की यह पहली खेप है। दोनों ही राज्यों में पंद्रह सौ से ज्यादा ऐसे आईएएस, आईपीएस अधिकारी, व्यापारी और उद्योगपति और राजनेता हैं। जिन्होंने भी दूसरे के नाम पर लाखों की संपत्ति खरीदी है। ऐसे लोगों की पड़ताल अंतिम चरण में है। जल्द ही उनका भी खुलासा होगा। यह भी बताया जा रहा है कि कुछ विशेष प्रकरणों में ईडी को भी शामिल किया जाएगा। ताकि विभिन्न माध्यमों से देश से बाहर किए गए निवेश की हकीकत सामने आ सके। आयकर विभाग की इस कार्यवाही के बाद देशभर में कोहराम मच गया है। वहीं इस मुहिम से आम जनता खुश है।
बड़े लोग हो सकते हैं शामिल
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक करीब 1,500 से अधिक परिसंपत्तियां अब तक कुर्क की जा चुकी हैं। कई अन्य लोग निगरानी में हैं और जांच तथा सर्वेक्षण का काम चल रहा है। इसके दायरे में सोने के कारोबारी, बैंकर, हवाला कारोबारी, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और राजनेता भी हैं। इतनी बड़ी तादाद में मामले सामने आने के चलते विभाग ने बेनामी परिसंपत्ति लेन-देन अधिनियम के अधीन फास्ट ट्रैक आधार पर एक प्राधिकार का गठन किया है ताकि आदेश तेजी से पारित किए जा सकें। फिलहाल बेनामी मामलों से जुड़े निर्णय धन शोधन निरोधक अधिनियम के तहत गठित एक प्राधिकार करता है। परिसंपत्ति कुर्क करने के एक साल के भीतर आदेश जारी करना होता है, नहीं तो वह स्वत: खारिज हो जाता है।
- सुनील सिंह