18-Jun-2018 10:00 AM
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प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की तू-तू, मैं-मैं चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल दोनों अधिकारी राज्य आपदा आपातकालीन मोचन बल के लिए खरीदे गए फ्लोटिंग जेटी (तैरते पुल) के भुगतान को लेकर अमर्यादित हो रहे हैं। ये अफसर हैं महानिदेशक होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन महान भारत सागर और इसी विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मनीष शंकर शर्मा। डीजी होमगार्ड महान भारत सागर चाहते हैं कि मेसर्स लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी से खरीदे गए फ्लोटिंग जेटी का भुगतान किया जाए वहीं एडीजी होमगार्ड मनीष शंकर शर्मा उसे मापदंडों के अनुरूप न होने और नियमानुसार गलत होने का हवाला देकर पेमेंट न देने की बात कह रहे हैं।
जानकारी के अनुसार होमगार्ड को अलग-अलग कार्य के लिए वर्ष 2016 में 36 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृत दी गई थी। गृह विभाग की अनुशंसा पर वर्ष 2016 में एक करोड़ सोलह लाख रूपए की फ्लोटिंग जेटी खरीदी गई थी। इसके लिए दो बार आदेश निकाले गए। पहले आदेश में 10 और दूसरे आदेश में 5 सेट फ्लोटिंग जेटी क्रय किए गए। यह खरीदारी तत्कालीन डीजी होमगार्ड मैथिलीशरण गुप्त द्वारा की गई थी। जांच में यह फ्लोटिंग जेटी घटिया क्वालिटी की निकली। घटिया क्वालिटी के कारण होमगार्ड ने सामान वापस लौटाने के साथ आदेश निरस्त कर दिया था। दरअसल फ्लोटिंग जेटी क्रय हेतु दो निविदाएं निकाली गईं जिसको लेकर भ्रम की स्थिति बन गई थी। दो तरह के स्पेसीफिकेशन दो निविदाओं में एक ही सामग्री के निर्माण के लिए दिए गए थे। यही नहीं निविदा क्रमांक 378 में एक ही सामग्री के निर्माण के दो साइज दिए गए। सर्टीफिकेट भी भारतीय या अंतर्राष्ट्रीय मांगा गया था। निविदा क्रमांक 335 में वजन 7 किलोग्राम और निविदा क्रमांक 738 में 8.5 किलोग्राम लिखा था। लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी ने 7 किलोग्राम वजन ऑफर में लिखा है।
फ्लोटिंग जेटी क्रय हेतु लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी इंदौर, लिटमस मरीन मुंबई, टाईम मरीन उज्जैन, नेचर वल्र्ड भोपाल और एक्सलिमिटज एडवेंचर पुणे ने भागीदारी ली। जिसमें फर्मों द्वारा डेमोस्ट्रेशन स्पेसीफिकेशन तकनीक बिड के आधार पर तीन फर्मों लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी इंदौर, लिटमस मरीन मुंबई, टाईम मरीन उज्जैन उपयुक्त एवं संतोषजनक पाई गई। 29 अगस्त 2016 को जब निविदा खोली गई तो लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी के सबसे कम रेट थे। अत: उसे फ्लोटिंग जेटी सप्लाई करने का आदेश जारी किया गया।
फ्लोटिंग जेटी अंकलेश्वर गुजरात में बनती है। इस कारण लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी ने अंकलेश्वर गुजरात की पार्टी को बनाने का आर्डर दे दिया। फ्लोटिंग जेटी के परीक्षण के लिए तीन सदस्यीय दल ने अंकलेश्वर गुजरात का दौरा किया और कच्चे माल एवं नमूनों का परीक्षण किया। लेकिन जब लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी ने जो फ्लोटिंग जेटी सप्लाई की वह तय मापदंडों के अनुसार नहीं थी। इसको लेकर लिटमस मरीन ने शिकायत दर्ज कराई। लिटमस मरीन की शिकायत पर लोकायुक्त ने प्रमुख सचिव गृह विभाग को जांच के लिए निर्देशित किया था। जांच में पाया गया कि फ्लोटिंग जेटी तय मापदंडों के अनुसार नहीं है। इसके बावजूद लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी के संचालकों द्वारा राशि के भुगतान को लेकर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। इसको लेकर होमगार्ड के अधिकारियों में विवाद की स्थिति बन गई है।
डीजी होमगार्ड महान भारत ने कंपनी को भुगतान करने तथा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के लिए एडीजी को पत्र लिखा है। साथ ही शासन से मार्गदर्शन मांगा है। वहीं कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने मामले की शिकायत गृह विभाग के अधिकारियों से लेकर राजभवन तक की है। उधर एडीजी मनीष शंकर शर्मा चाहते हैं कि कंपनी को भुगतान न किया जाए। इसको लेकर दोनों अफसरों में शीतयुद्ध शुरू हो गया है। यही नहीं मामला सरकार तक पहुंच गया है।
सवाल उठता है कि जब पूर्व में पूर्व डीजी होमगार्ड वीके सिंह ने फ्लोटिंग जेटी को घटिया मानकर उसे रिजेक्ट कर दिया है तो फिर इसके पेमेंट को लेकर बवाल क्यों मचा हुआ है। दरअसल खरीदी से पूर्व ही होमगार्ड के तत्कालीन डीजी ने इसमें कई तकनीकी सुधार करने को कहा था, जिसके बाद मोडीफाई टेंडर जारी किया गया। इसके साथ ही फ्लोटिंग जेटी की कीमत साढ़े सात लाख रुपए तय कर और लक्ष्मी ट्रेनिंग को आर्डर भी दे दिया गया। फ्लोटिंग जेटी सप्लाई से पहले स्वीकार्य समिति को अंकलेश्वर भेजी गई, जहां फ्लोटिंग जेटी बनाई जा रही थी। समिति ने इसे रिजेक्ट कर दिया और कहा कि निर्धारित मापदंड के अनुसार नहीं है।
बताया जाता है कि समिति ने लक्ष्मी ट्रेडर्स को फोन कर बता भी दिया कि उनके सामान को रिजेक्ट कर दिया गया है। अत: सामान उठाकर ले जाएं। दरअसल मेसर्स लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी द्वारा 7 सेट फ्लोटिंग जेटी एसडीआरईएफ होमगार्ड लाइन में प्रदाय की गई थी जिसमें से दो सेट फ्लोटिंग जेटी अच्छी हालत में न होने के कारण मेसर्स लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी इंदौर द्वारा वापस लिए जाने की बात हुई थी। 9.4.17 को फ्लोटिंग जेटी बनाने वाली अंकलेश्वर की कंपनी राजयोग फ्लोट एवं उरजना इंडस्ट्रीज को दो फ्लोटिंग जेटी और अन्य सामान वापस कर दिया गया। इसको लेकर लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी ने शिकायत की। लक्ष्मी ट्रेडिंग की शिकायत के बाद डीजी होमगार्ड ने डीआईजी को जांच के निर्देश दिए और कहा कि विभाग के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। डीआईजी राजेश शर्मा ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि कंपनी का भुगतान नहीं किया जा सकता। एडीजी मनीष शंकर शर्मा ने भी डीआईजी की रिपोर्ट पर सहमति जताई और कहा कि विभाग के अधिकारियों की कोई गलती नहीं है। इस कारण एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। डीजी ने एडीजी की रिपोर्ट पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह बहुत ही खेदजनक है कि आदेश का पालन नहीं किया गया। इसके बाद डीजी होमगार्ड महान भारत ने मार्गदर्शन के लिए फाइल गृह विभाग को भेज दी है।
दरअसल एक तरफ डीजी होमगार्ड महान भारत सागर ने प्रमुख सचिव गृह विभाग को भेजी अपनी रिपोर्ट में फ्लोटिंग जेटी खरीदी में की गई गड़बड़ी का उल्लेख किया है वहीं दूसरी तरफ वे लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी को भुगतान करने की बात कह रहे हैं। डीजी होमगार्ड ने अपनी जांच रिपोर्ट में खरीदी प्रक्रिया की एक-एक बारीकी के साथ ही सप्लाई की गई फ्लोटिंग जेटी की खामियों को भी गिनाया है। यही नहीं उन्होंने अंकलेश्वर की कंपनी के मालिक योगेश मारू के विरूद्ध थाना जहांगीराबाद भोपाल में फरियादी मेसर्स लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी इंदौर की तरफ से एफआईआर दर्ज किए जाने की अनुशंसा भी की है। सवाल उठता है कि आखिर डीजी होमगार्ड ने एक कंपनी की तरफ से दूसरी कंपनी पर एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा क्यों की।
यही नहीं डीजी ने अपनी जांच रिपोर्ट में एडीजी एसडीईआरएफ मनीष शंकर शर्मा पर असहयोगात्मक रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है कि एडीजी शर्मा द्वारा जांच को गलत ढंग से प्रभावित करने का असफल प्रयास किया गया है। उन्होंने माना है कि फ्लोटिंग जेटी की खरीदी में विभागीय अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती गई है इसलिए मेसर्स लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी को 5 सेट फ्लोटिंग जेटी की राशि 38,97,264 रुपए का भुगतान किया जाए। इसके लिए 25 जून से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान अनुपूरक बजट में प्रावधान किया जाए। अब सवाल यह उठता है कि जब विभिन्न समितियों की जांच में फ्लोटिंग जेटी को घटिया बताया गया है तो उसका भुगतान क्यों किया जाए।
यही नहीं जिस तरह सीनियर लेवल के इन दोनों आईपीएस अधिकारियों के बीच तू-तू, मैं-मैं हो रही है उससे सरकार की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। जब पूर्व डीजी ने फ्लोटिंग जेटी को घटिया मानते हुए रिजेक्ट कर दिया है तो फिर वे एक कंपनी को लेकर आपस में क्यों झगड़ रहे हैं। वे इस मामले को लेकर कोर्ट में जाते तो अच्छा होता। दरअसल ये दोनों अफसरों की आपसी रंजिश के कारण मामले को तूल देने में जुटे हुए हैं इससे पूरे पुलिस विभाग पर उंगलियां उठने लगी हैं।
प्रमुख सचिव के सामने कहा-सुनी
उधर लक्ष्मी ट्रेडिंग के भुगतान को लेकर विगत दिनों प्रमुख सचिव गृह मलय श्रीवास्तव के कक्ष में डीजी होमगार्ड महान भारत और एडीजी होमगार्ड मनीष शंकर शर्मा के बीच काफी कहा सुनी हुई। प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव ने दोनों को समझाइश दी कि बैठक बाढ़ राहत की तैयारियों की समीक्षा को लेकर बुलाई गई है। इसी पर चर्चा होनी चाहिए। डीजी और एडीजी में इतना अधिक विवाद है कि बाढ़ से बचाव के लिए प्रमुख सचिव के साथ हुई तैयारी बैठक में अलग-अलग आंकड़ेे थे। प्रमुख सचिव ने दोनों अधिकारियों को आंकड़ें सही कर अपरान्ह साढ़े तीन बजे मुख्य सचिव के साथ होने वाली बैठक में आने को कहा। मुख्य सचिव बीपी सिंह की बैठक में महान भारत और मनीष शंकर शर्मा भी पहुंचे। बताया जाता है कि मुख्य सचिव तैयारियों से संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने पूरी तैयारी से आने के निर्देश दिए। दरअसल दोनों अधिकारियों में काफी समय से शीतयुद्ध चल रहा है इसका परिणाम यह हो रहा है कभी पदनाम को लेकर तो कभी अन्य किसी मामले को लेकर दोनों के बीच पत्र बाजी चल रही है।
आखिर भुगतान क्यों?
उधर गृह विभाग के उप सचिव आरआर भोसले ने डीजीपी होमगार्ड को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है कि आखिर मेसर्स लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी को भुगतान क्यों किया जाए? उन्होंने पूछा है कि वर्ष 2016-17 में प्रशासकीय स्वीकृति के अंतर्गत 11 लाख रुपए फ्लोटिंग जेटी खरीदने के लिए तय हुआ था तो 1.16 करोड़ रुपए के 15 नग फ्लोटिंग जेटी क्यों खरीदी गई।
अगर दो निविदाओं के कारण भ्रम की स्थिति निर्मित थी तो प्रदायकर्ता ने कभी इस संदर्भ में पत्राचार क्यों नहीं किया।
ओंकारेश्वर भ्रमण के पश्चात तकनीकी समिति ने तैयार हो रही सामग्री में जो कमियां बताई थी क्या प्रदाय की गई जेटी में उसे दूर किया गया था।
आपके पत्र दिनांक 6.2.17 के अनुसार दोनों फर्मों लिटमस मरीन एवं लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी को 25.2.17 को डेमो के लिए बुलाया गया था। ऐसे में यह स्पष्ट करें कि निविदा का कार्यादेश 3.9.16 और 26.12.16 को जारी किए जा चुके थे तो इन फर्मों को डेमों के लिए किस आधार पर बुलाया गया था।
कंपनी द्वारा 7 फ्लोटिंग जेटी सप्लाई करने के बाद उसमें से दो फ्लोटिंग जेटी 9.4.17 को वापिस कर दी गई। इस संदर्भ में यह बताएं कि यह किसके आदेश पर और किस आधार पर किया गया।
- भोपाल से ए. राजेंद्र