03-Jul-2018 06:37 AM
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पिछली बार की चैंपियन जर्मन टीम विश्व कप 2018 से बाहर हो गई है। 27 जून को खेले गए ग्रुप स्टेज मुकाबले में दक्षिण कोरिया ने जर्मनी को 2-0 से हरा दिया। इस टूर्नामेंट में जर्मनी को तीन मैचों में से सिर्फ एक में ही जीत मिली। यह मैच स्वीडन के खिलाफ खेला गया था और उसमें भी जर्मनी 95वें मिनट में किए गए गोल की बदौलत जीता था। दक्षिण कोरिया से मिली हार के साथ जर्मनी ने अपने ग्रुप में सबसे आखिरी पायदान पर पहुंचकर वल्र्ड कप का सफर खत्म किया है। इसका मतलब है कि विश्व कप के अभिशाप ने एक बार फिर असर दिखाया है। ऐसा अभिशाप, जो डिफेंडिंग चैंपियन को दोबारा वल्र्ड कप नहीं जीतने देता। खासकर 21वीं सदी का अभिशाप, जिसके चलते पिछली बार की विजेता टीम शुरुआती दौर में ही वल्र्ड कप से बाहर हो जाती है।
2002 से पहले तक सिर्फ दो बार ऐसा हुआ था कि पिछली बार की विजेता रही टीमों को अगले विश्व कप के शुरुआती दौर में बाहर होना पड़ा हो। 1950 में इटली को उस समय बाहर होना पड़ा था, जब भारत अचानक टूर्नामेंट से हट गया था। इसके बाद 1966 में ब्राजील को बाहर होना पड़ा था, जबकि वह दो बार लगातार चैंपियन रहा था। अपने ग्रुप में वह पुर्तगाल और हंगरी से पीछे रह गया था। इसके बाद 21वीं सदी की बात करें तो 2002 में दक्षिण कोरिया और जापान में हुए वल्र्ड कप के ओपनिंग मैच में सेनेगल ने पिछली बार के विजेता फ्रांस को हराकर सबको चौंका दिया था।
चार साल पहले फाइनल में ब्राजील को 3-0 से हराने वाला फ्रांस सेनेगल से मिली इस हार के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गया था। उसके ग्रुप में उरुग्वे और डेनमार्क भी थे। 2010 में इतिहास ने खुद को दोहराया और उसकी मार पड़ी इटली पर। 2006 के फाइनल में उसने फ्रांस को हराकर वल्र्ड कप उठाया था मगर 2010 विश्व कप में अपने ग्रुप में पहले उसे पराग्वे से हार मिली, फिर न्यूजीलैंड से और आखरी में स्लोवाकिया से। इसके चार साल बाद स्पेन की बारी आई। पिछले आठ सालों से उसका दबदबा बना हुआ था और इस दौरान वह दो बार यूरो ट्रॉफी भी उठा चुका था। मगर 2014 के वल्र्ड कप में उसे शुरू में ही धूल फांकनी पड़ी। पहले नीदरलैंड ने उसे 5-1 से हराया और फिर चिली ने 2-0 से हराकर उसे वल्र्ड कप से बाहर कर दिया। और अब, एक बार फिर ऐसा हुआ है। स्वीडन, मेक्सिको और दक्षिण कोरिया वाले ग्रुप में शामिल पिछली बार के चैंपियन जर्मनी को पहले ही मैच में मेक्सिको से 1-0 से हार मिली।
अगले मैच में स्वीडन के खिलाफ उसने आखिरी पलों में जीत हासिल की तो लगा कि शायद यह टीम लय में लौट रही है। मगर दक्षिण कोरिया के साथ मैच में उसे हार का सामना करना पड़ा। ऐसा तब हुआ, जब दक्षिण कोरिया पिछले 8 वल्र्ड कप मैचों में जीत का मुंह नहीं देख सका था और इस बार उनके कोच ने ही अपनी टीम के जीतने की सिर्फ एक प्रतिशत संभावना बताई थी। यानी चैंपियंस का अभिशाप बताता है कि वल्र्ड कप को बचाए रखना कितना मुश्किल है। अब तक सिर्फ इटली (1934-1938) और ब्राजील (1958-1962) ऐसा कर पाए हैं।
वीएआर पर हल्ला क्यों?
रूस में खेले जा रहे फुटबॉल विश्व कप में चल रहे रोमांचक मुकाबलों से भी ज्यादा जिस बात की चर्चा की जा रही है वह है वीएआर यानी वीडियो असिस्टेंट रेफरी सिस्टम की। ऐसा पहली बार है जब विश्वकप में वीएआर तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। वीएआर के जरिए मैदान पर हुई किसी भी हलचल या फैसले को अंतिम रूप देने या किसी भी संदेह को दूर करने के लिए उन क्षणों को वीडियो रिप्ले के जरिए दोबारा देखा जाता है और तब कोई निर्णय लिया जाता है। तकनीकी रूप से काफी आधुनिक होने के बावजूद, वीएआर विवादों में रहा है। कुछ लोग इसके पक्ष में हैं तो कुछ इसके विपक्ष में खड़े दिखते हैं। दरअसल वीएआर के जरिए रेफरियों ने कुछ ऐसे फैसले दिए हैं जिसे शक की निगाह से देखा जा रहा है। हालांकि इसके कई फायदे कई टीमों को हुए भी हैं। लेकिन जिस टीम को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है वह इसे विवादित बना रही हैं।
-आशीष नेमा