केवल तमगे के लिए सफाई?
04-Jun-2018 07:27 AM 1234756
लगातार दूसरे साल स्वच्छता सर्वे में भोपाल ने दूसरा स्थान तो हासिल कर लिया, लेकिन आज शहर में सफाई व्यवस्था की जो हालत है, वह नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। सर्वे के ठीक पहले नवंबर में अमला सक्रिय हुआ और जमीन पर सर्वे टीम को दिखाने मात्र के लिए काम किया। इसके बाद फिर वही पुराना ढर्रा... जगह-जगह कचरे के ढेर दिखाई दे जाते हैं, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में ढिलाई हो रही है और करीब 80 फीसदी कंपोस्ट यूनिट में खाद बनना बंद हो चुकी है। शहर से प्रतिदिन 850 मैट्रिक टन कचरा निकलता है। निगम का दावा है कि यह कचरा आदमपुर छावनी पहुंचाया जाता है। लेकिन, हकीकत यह है कि आज भी बहुतायत में कचरा शहर के अलग-अलग हिस्सों में बने ट्रांसफर स्टेशनों में सड़ता है। यही नहीं इन ट्रांसफर स्टेशनों पर ही आग लगाकर कचरा ढिकाने लगा दिया जाता है। उधर शहर की हर कालोनी में कचरों के ढेर नजर आने लगे हैं। क्या स्वच्छता अभियान का यही मकसद है? निगम ने अन्य एजेंसियों और निजी कॉलोनियों के साथ मिलकर 273 पार्कों में कंपोस्ट यूनिट बनाईं। इस पर 30 लाख से अधिक राशि खर्च की। यहां पार्क से निकलने वाले कचरे से जैविक खाद बननी थी। टारगेट था रोज पांच टन जैविक खाद बनाने का लेकिन आज सिर्फ 50 यूनिट ही चालू हालत में हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण का परिणाम आए 15 दिन बीत चुके हैं। परिणाम आते ही सफाई व्यवस्था बदहाल हो चुकी है। आलम यह है कि शहर से सिर्फ 50 फीसदी ही कचरा उठाकर आदमपुर छावनी भेजा जा रहा है, यानी शेष 50 फीसदी कचरा या तो जलाकर नष्ट किया जा रहा है या फिर शहर में ही खाली और गहराई वाले स्थानों में डालकर भराव किया जा रहा है। शहर में डंप हो रहा और जलकर जहरीले धुएं में तब्दील हो रहा कचरा न केवल शहर की आबोहवा दूषित कर रहा है, बल्कि शहरवासियों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर डाल रहा है। त्रिलंगा ई-8 सफाई कर्मचारी ही कचरे को जलाकर नष्ट कर देते हैं। आसपास के सभी इलाकों का यही हाल है। शाहपुरा और त्रिलंगा के बीच मौजूद पहाडिय़ों के किनारे या खाली प्लॉट पर कचरे का ढेर लगाकर इसे आग के हवाले कर दिया जाता है। छोला रोड पुराने पेट्रोल पंप के पास खाली मैदान में कचरा फेंक दिया जाता है। दिनभर यहां आग सुलगती रहती है या मवेशी कचरे के ढेर को बिखेरते रहते हैं। दानिश नगर मैदान में आसपास के सभी इलाकों का कचरा डंप किया जा रहा है। दिनभर तेज हवाओं के साथ यह कचरा धूल के साथ उड़ता रहता है। स्लाटर हाउस कब्रिस्तान के पास खाली जगह में कचरा डंप किया जा रहा है। निचली सतह को कचरे से भरकर पूरा जा रहा है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान केवल दिखावे के लिए शुरू नहीं किया था। इस अभियान को सफल बनाने के लिए राजधानी भोपाल को जिस तरह पेश किया गया वह काबिले तारीफ था। महापौर से लेकर अधिकारी सुबह-सुबह रेल पटरियों पर सीटी बजाते मिलते तो वार्डों में कचरा उठाते और झाडू लगाते। लेकिन इस दौरान सरकारी दफ्तरों पर किसी की नजर नहीं गई। चाहे फिर वह भोपाल कलेक्टोरेट हो या फिर खुद नगर निगम का आफिस, यहांं के टॉयलेट स्वच्छता के नाम पर मुंह चिढाते दिखते हैं। यही हाल वार्ड कार्यालयों और जोन कार्यालयों के भी है जहां स्वच्छता के नाम पर बस बैनर पोस्टर ही लगे है। आज साफ-सफाई के मामले में भोपाल के हालात कुछ ठीक नहीं। यहां के 85 वार्डों में सबसे बड़ी समस्या स्वच्छता को लेकर ही है। कही खुली नालियों में बहता सीवेज का पानी तो कही लगे कचरे के ढेर यह पोल अपने आप खोल देते है कि भोपाल आखिर स्वच्छता सर्वेक्षण में दूसरे नम्बर पर कैसे आया होगा। इन वार्डों के रहवासियों की माने तो यह सिर्फ दिखावा है हकीकत कुछ और ही। शहर की नवनिर्मित कॉलोनियों के हाल खराब सफाई के मामले में मुख्य सडक़ से लगे हिस्से और पॉश कॉलोनियों में तो काम किया गया लेकिन नवनिर्मित इलाकों में बुरे हाल है। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से लेकर निगम अफसरों और जनप्रतिनिधियों को कई शिकायतें की जा चुकी हैं मगर सुनवाई नहीं हुई। रेलवे स्टेशन के पास सडक़ किनारे कचरे का कंटेनर तो रखा था लेकिन कचरा नहीं उठाया गया। इसके आसपास भी ढेर लगे थे। आसपास न तो कोई कर्मचारी नजर आया और न ही इसे हटाने के लिए कोई वाहन। पुष्पा नगर 80 फीट रोड गली नंबर 2 में बड़ा नाला है जिसमें बहुत गंदगी और कचरा जमा है इसकी सफाई नहीं हुई। आसपास बड़ी आबादी है। इसे लेकर लोग शिकायत दर्ज करा चुके हैं। - अरविंद नारद
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