18-Jun-2018 07:41 AM
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दरअसल, 15 साल बाद भी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस इतनी एकजुट नहीं हो पाई है कि वह भाजपा का मुकाबला कर सके। ऐसे में भाजपा ने अपनी जीत की जमीन तैयार कर ली है। अब उस पर अमल करना है। प्रदेश में पार्टी की तैयारी देखकर अमित शाह भी गदगद हैं। इसीलिए उनका कहना है कि उनकी पार्टी यहां विधानसभा चुनाव में 65 प्लस का लक्ष्य प्राप्त करने में अवश्य कामयाब होगी। शाह का कहना है कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार तरक्की कर रहा है, उसी तरह 15 सालों में डॉ. रमन सिंह ने भी छत्तीसगढ़ में जल जंगल जमीन के साथ ही किसानों और युवाओं, महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं से उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सराहनीय काम किए हैं। छत्तीसगढ़ डॉ. सिंह के नेतृत्व में काफी अच्छे रास्ते पर जा रहा है। 15 सालों में पावर हब के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी इस राज्य ने अलग पहचान स्थापित की है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ में विकास यात्रा के दौरान आने वाली अपार भीड़ से भाजपा को आस जगी है कि प्रदेश में चौथी बार भी छत्तीसगढ़ में उनकी सरकार बनेगी। अगर मैदानी तैयार भी देखी जाए तो भाजपा कांग्रेस से आगे नजर आ रही है। बूथ मैनेजमेंट के जरिए मिशन 65 प्लस के टारगेट तक पहुंचने का भाजपा ने मेगा प्लान तैयार किया है। इसमें हर बूथ पर कम से कम 51 फीसदी मतदान पार्टी में पक्ष में करवाने की रणनीति है। इसके लिए पार्टी गुजरात चुनाव में आजमाए गए फार्मूले को छत्तीसगढ़ में भी आजमाएगी। इसकी जिम्मेदारी बूथ गार्जियन और पन्ना प्रभारियों की होगी। गुजरात कांसेप्ट को छत्तीसगढ़ में भी लागू करने के इस फैसले पर अमल के लिए गुजरात से नेता यहां आएंगे। वे बूथों पर तैनात कार्यकर्ताओं को इस पूरे कांसेप्ट के अनुसार प्रशिक्षित करेंगे। प्रशिक्षण के इस काम में छत्तीसगढ़ के उन नेताओं की भी मदद ली जाएगी जो गुजरात चुनाव के दौरान वहां जाते रहे हैं। सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में कुल 1 करोड़ 81 लाख वोटर हैं, जो 23500 पोलिंग बूथों में बंटे हुए हैं। हर सीट पर तकरीबन 150 से 200 बूथ हैं। हर बूथ पर मतदाताओं की औसत संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 800 से 1000 और शहरों में 1100 से 1400 होती है। राज्य में पिछले चुनाव में करीब 76 फीसदी वोटिंग हुई थी। इसे देखते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने तय किया है कि हर बूथ पर अधिक से अधिक मतदान हो और दूसरी यह कि होने वाले मतदान का 51 फीसदी भाजपा के पक्ष में हो। हर बूथ पर इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाता है तो सीट जीतने के आंकड़े तक पहुंचना आसान होगा।
पार्टी के पक्ष में 51 फीसदी मतदान कराने के लिए भाजपा ने बूथों को मजबूत करने की कवायद साल भर पहले ही शुरू कर दी थी। वन बूथ 20 यूथ अभियान इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए की गई कोशिश है। उल्लेखनीय है कि पार्टी ने बूथों पर युवा मोर्चा के अलावा महिला मोर्चा की टीम भी तैनात की है। साथ ही संगठन के 15 लोगों की टीम भी इनकी मदद के लिए तैयार रहेगी। पार्टी द्वारा नियुक्त पन्ना प्रभारी मतदान का प्रतिशत अपने पक्ष में बढ़ाने की कोशिश करेगी। बूथ गार्जियन के नेतृत्व में पूरी टीम इस मुहिम को अंजाम तक पहुंचाएगी। इसके अलावा भाजपा के नेता और कार्यकर्ता घर-घर दस्तक देकर भी लोगों से मुलाकात कर उन्हें अपने पाले में लाने का प्रयास करेंगे। इसी सिलसिले में पार्टी ने संपर्क फार समर्थन अभियान शुरू किया है। इसमें पार्टी के बड़े नेता नामचीन सीनियर सिटीजन, खिलाडिय़ों और अन्य सेलिब्रिटियों से मुलाकात कर उनसे समर्थन मांगेंगे।
बिना जोगी सरकार नहीं
प्रदेश के राजनैतिक स्थिति देखकर लगता है कि यहां अजीत जोगी की पार्टी के सहयोग के बिना किसी भी दल की सरकार बनने की स्थिति में नहंीं है। दरअसल आज भी छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी का रसूख कायम है। उधर 2013 में भाजपा और कांग्रेस की सीटों के अंतर को देखें तो यह साफ है कि इस बार भी मुकाबला कांटे का रहेगा। ऐसे में अगर अजीत जोगी की पार्टी पांच-सात सीट पा लेती है तो वह किंगमेकर की भूमिका में आ जाएगी। हालांकि प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस, बसपा से गठबंधन करने की तैयारी कर रही है। लेकिन अब तक गठबंधन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। दरअसल, बसपा गठन के वक्त कांशीराम ने छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चाम्पा लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उसी दिन से छत्तीसगढ़ में बसपा का अपना एक अलग अस्तित्व बना। मार्च 2018 में हुए राज्यसभा चुनाव में बसपा के विधायक द्वारा बीजेपी का साथ देने के बाद कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में एकला चलो का नारा दिया है। हालांकि कांग्रेस और बसपा के गठबंधन को लेकर लगातार चर्चाओं का दौर रहा है। कांग्रेस के कई बड़े नेता खुले मंच से कई बार गठबंधन की बात करते हैं तो कई बार अकेले चुनाव लडऩे की। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस बसपा के साथ गठबंधन करने को लेकर कनफ्यूजन की स्थिति में है। गुजरात और कर्नाटक की सफलताओं ने कांग्रेस को काफी उत्साहित किया था, पर बसपा की हिचकिचाहट को देखते हुए लगता है पार्टी खुद ही अ-निर्णय की स्थिति में है।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला