02-Jul-2018 10:52 AM
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स्मार्ट इंडस्ट्रियल पार्क पीथमपुर में जमीन की दरों को लेकर सरकार ने बड़े व मध्यम उद्योगों के लिए निर्देश जारी किए हैं। एकेवीएन 2 जुलाई से पार्क के प्लॉट बेचना शुरू करेगा। सरकार द्वारा जारी फॉर्मूले के अनुसार एकेवीएन योजना में शामिल गांवों की अलग-अलग गाइड लाइन नहीं लेकर औसत गाइड लाइन लेकर एक दर तय करेगा, जिससे दरों में 40 प्रतिशत तक कमी आएगी। बता दें, लघु व सूक्ष्म उद्योगों के लिए तो उद्योगनीति में 90 फीसदी तक रियायत के प्रावधान हैं। बड़े व मध्यम उद्योगों के लिए एकेवीएन ने रियायत देने के लिए लिखा था।
पीथमपुर में नेट्रिप के पास बनाए गए स्मार्ट इंडस्ट्रियल पार्क की बिक्री बड़े उद्योगों के लिए दरें व गाइड लाइन को लेकर उलझ गई थी। वर्तमान में यहां जमीन काफी महंगी व अलग-अलग पडऩे से निवेशक रुचि तो ले रहे थे, पर दरों में रियायत की मांग होती थी। एकेवीएन एमडी कुमार पुरुषोत्तम के अनुसार सरकार को पत्र लिखकर समस्या बताई गई थी, जिस पर सरकार ने दरें तय करने का फॉर्मूला बताया है। अभी तक अलग-अलग गांव की गाइड लाइन को आधार बना यहां की कीमत तय की गई, जिससे करीब 80 से 125 रु. प्रति वर्गफीट विकसित प्लॉट मिल रहे थे। सरकार ने सभी गांवों का औसत लेकर एक कीमत बनाने को कहा है, जिससे काफी फायदा होगा, जमीन की दरें 40 फीसदी तक घटेंगी। पहले औद्योगिक प्लॉट बेचे जाएंगे, फिर आवासीय व अन्य प्लॉट के टेंडर निकाले जाएंगे।
पीथमपुर में ऑटोमोबाइल टेस्टिंग ट्रैक के लिए करीब 4200 एकड़ जमीन अधिगृहित कर केंद्र सरकार को दी गई थी। इसके निर्माण के बाद बची 1180 एकड़ अनुपयोगी जमीन राज्य सरकार ने वापस ले ली। एकेवीएन ने वापस मिली जमीन पर नए इंडस्ट्रियल पार्क की योजना तैयार कर काम शुरू किया। करीब 300 करोड़ रुपए खर्च कर पार्क विकसित किया। यहां 10 हजार वर्गफीट से 50 एकड़ तक के बड़े प्लॉट बनाए हैं। यहां औद्योगिक के साथ कुछ जमीन आवासीय और अन्य सुविधाओं के लिए भी रखी है। बारिश के मौसम में यहां 1.5 लाख पेड़ लगाने की भी तैयारी है।
यह पहला मौका है जब इतनी विशाल योजना को मंजूरी दी गई है, जिसमें तीन जिलों के 44 गांवों की 30 हजार एकड़ से अधिक जमीन शामिल करते हुए विशाल औद्योगिक मास्टर प्लान मंजूर किया गया। 500 से अधिक दावे-आपत्तियों को खारिज करते हुए एकेवीएन ने निवेश क्षेत्र विकास एवं प्रबंधन स्कीम पीथमपुर को लागू कराने का गजट नोटिफिकेशन करवा लिया है। पूर्व में यह मास्टर प्लान लगभग 38 हजार एकड़ जमीन पर तैयार किया गया था, जिसमें से सरकारी और नगर पालिका की योजनाओं में शामिल जमीनों को बाहर रखा गया है। इस विशाल योजना के तहत ली जाने वाली निजी जमीनों के मालिकों, किसानों को प्राधिकरण की तर्ज पर विकसित भूखंड दिए जाएंगे। इस औद्योगिक मास्टर प्लान में चंडीगढ़ की तरह सेक्टर वाइस विकास विकास किया जाएगा।
मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम इंदौर ने पहली बार अपने स्तर पर इस तरह की विशाल योजना को न सिर्फ घोषित किया, बल्कि तय समयसीमा में उसे मंजूरी भी दिलवा दी। एकेवीएन के प्रबंध संचालक कुमार पुरुषोत्तम के मुताबिक मध्यप्रदेश निवेश क्षेत्र विकास एवं प्रबंधन अधिनियम 2013 की धारा 8 की उपधारा (2) के अधीन अंतिम रूप से निवेश क्षेत्र विकास एवं प्रबंधन स्कीम के प्रकाशन की जाहिर सूचना भी हो गई है। गजट नोटिफिकेशन के साथ यह मास्टर प्लान लागू हो गया, जिसकी छायाप्रतियां संभागायुक्त, कलेक्टर, एकेवीएन से लेकर नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय में मौजूद हैं। यह इंदौर ही नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी योजना है, जिसमें 44 गांवों की लगभग सारी जमीनों को शामिल किया गया और फिर दावे-आपत्ति की प्रक्रिया शुरू की गई। इसमें कुछ जमीनें, जिन पर अनुमतियां हो चुकी थीं, उन्हें यथावत रहने दिया, वहीं नगर पालिका पीथमपुर, धार ने अपनी योजनाओं के लिए जमीनों को बाहर रखने का अनुरोध किया।
उद्योगों को आमंत्रित करने की कवायद
उद्योग विभाग अलग-अलग सेक्टरों के उद्योगों को आवंटन करता है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट जैसे आयोजनों के दौरान भी आने वाले उद्योगों-निवेशकों को जमीनें उपलब्ध करवाई जाती हैं। अगली समिट में यह विशाल मास्टर प्लान भी निवेशकों के आकर्षण का केंद्र रहेगा। इस योजना के लिए 500 से अधिक प्राप्त आपत्तियों की सुनवाई के बाद उन्हें एकेवीएन ने खारिज कर दिया। 44 गांवों की जमीनों को इस योजना में शामिल किया गया है। इनमें इंदौर के 24 गांव और धार तथा पीथमपुर के 20 गांव शामिल हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के इस विशाल मास्टर प्लान के जरिए आने वाले कुछ वर्षों में देश-विदेश के तमाम उद्योगों को जहां जमीनें उपलब्ध होंगी, वहीं इससे संबंधित अन्य गतिविधियां भी आसानी से लाई जा सकेंगी। अलग-अलग सेक्टरों में इन जमीनों पर उपयोग निर्धारित किए गए हैं, ताकि हर तरह की गतिविधियां आसानी से आ-जा सकें। आमोद-प्रमोद के साधनों के अलावा वन विभाग और अन्य जमीनों को ग्रीन बेल्ट में डाला गया है तो लोक परिवहन के लिए भी पर्याप्त जमीन सुरक्षित रखी गई है। इनमें रेलवे, बस स्टैंड से लेकर सिटी बसों और अन्य तरह के परिवहन, जिसमें भविष्य में आने वाली मेट्रो ट्रेन को भी शामिल किया गया है।
- श्याम सिंह सिकरवार