18-Jun-2018 09:39 AM
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मप्र में लडख़ड़ा रही भाजपा को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने संभाल ली है। शाह ने इस समय अपना पूरा फोकस मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान पर किया है। इसी कड़ी में उन्होंने मप्र की संस्कारधानी जबलपुर में 12 जून को चुनाव प्रबंध समिति के 26 सदस्यों के साथ बैठक कर चुनावी रणनीति तैयार की। इस अवसर पर उन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत का मंत्र दिया कि सबको साध लो जीत अपनी ही होगी।
दरअसल, डेढ़ दशक में पहली बार प्रदेश में भाजपा के खिलाफ जबरदस्त माहौल है। भले ही पार्टी के सभी नेता एक सूर में कह रहे हैं कि कोई एंटीइंकम्बेंसी नहीं है, लेकिन उनकी गतिविधियां साफ संकेत दे रही हैं कि स्थिति चिंताजनक है। इसीलिए शाह लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। इस बार उन्होंने पहले चुनावी होमवर्क को देखा, फिर सरकार की कमियों को खूबियों में बदलने का फार्मूला बता दिया। शाह ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का महाकौशल क्षेत्र में कितना असर है। कितनी सीटें इससे प्रभावित होंगी, इस बात पर गौर किया जाए। अमित शाह ने पिछले विधानसभा चुनाव में हजार-दो हजार वोट के मार्जिन से हार-जीत वाली सीटों पर मौजूदा स्थिति समझने की बात कही। उन्होंने कहा कि गोंगपा और बसपा के साथ कांग्रेस का गठबंधन मप्र के चुनाव में होता है तो उससे कितनी सीटों पर असर पड़ सकता है। इसके लिए हमारी क्या तैयारी है, ऐसी सीटों पर मजबूती से काम किया जाए।
मप्र के चुनाव में जातिगत समीकरण को लेकर भी पार्टी ने गंभीरता बरतने को कहा है। अमित शाह ने कहा कि जाति वर्ग से जुड़े नेता उन समाज के लोगों से मिलें। उनकी सरकार को लेकर नाराजगी दूर करने का प्रयास करें। वर्ग संतुलन बैठाया जाए। पार्टी सूत्रों की मानें तो इसी दौरान राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सरकार पर मालवा की उपेक्षा का मुद्दा उठाया। यहां से एक भी मंत्री नहीं होने का हवाला दिया। भाजपा के लगातार आयोजन के बावजूद जमीनी स्तर पर इसका असर प्रभावी ढंग से नहीं दिखाई दे रहा है। इस बात को लेकर अमित शाह ने संगठन के कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर बेहतर ढंग से पेश करने की नसीहत दी। बताया कि लोगों को सरकार की उपलब्धि और काम की जानकारी अच्छे ढंग से पता चले इस पर जोर रहे।
चुनाव प्रबंध समिति की बैठक में अमित शाह ने प्रदेश के किसानों की नाराजगी पर बात की। कहा कि किसान आंदोलन के मुद्दे को कांग्रेस भुना रही है जबकि मप्र की सरकार ने किसानों के लिए जो कुछ किया वो किसी ने नहीं किया। फिर भी हम जमीनी स्तर पर इस बात को समझाने में नाकाम रहे। जनप्रतिनिधि इस बात को किसानों तक सही तरीके से पहुंचाएं। इसके अलावा व्यापारियों के बीच भी पार्टी की पकड़ मजबूत बनाने को कहा।
अमित शाह ने शहर के एक-एक बूथ और ग्रामीण क्षेत्र में हर गांव में कार्यकर्ताओं का मजबूत नेटवर्क खड़ा करने को कहा। कहा कि मौजूदा स्थिति को बेहतर बनाकर ही चुनाव में जीत हासिल की जा सकती है। उन्होंने सरकार की योजना को भी लोगों के बीच बेहतर ढंग से बताने पर जोर दिया। अमित शाह ने चुनाव प्रबंधन समिति को साफ कर दिया कि इस बार किसी व्यक्ति से ज्यादा संगठन के कंधे पर चुनाव लड़ा जाएगा। चुनाव के लिए टिकट भी प्रदेश के सर्वे के आधार पर नहीं तय होगा। केन्द्रीय स्तर पर टीम सर्वे करेगी। जिस उम्मीदवार की जमीनी स्थिति सहीं नजर आएगी उसी को टिकट मिलेगी। कांग्रेस के आरोपों का काउंटर करने के लिए पार्टी अध्यक्ष शाह ने प्रबंध समिति को कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल की खामियों को याद दिलाने की बात की। कहा उस वक्त की बिजली, किसानों की समस्या, सड़क के हाल और मौजूदा स्थिति की तुलना के जरिए खुद का प्रदर्शन बेहतर बताया जाए।
इस बार चार पार्टियों से मुकाबला
मप्र में अभी तक सारी पार्टियों के टारगेट पर कांग्रेस हुआ करती थी, लेकिन इस बार भाजपा है। इस बार के चुनाव में भाजपा को केवल अकेले कांग्रेस का ही नहीं बल्कि बसपा, सपा और गोंगपा के संयुक्त गठबंधन का सामना करना पड़ सकता है। चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस तीन विपक्षी पार्टियों बसपा, सपा और गोंगपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन बनाने की कोशिश में लगी है। कांग्रेस चाहती है कि महागठबंधन के जरिए विधानसभा चुनाव में भाजपा विरोधी वोटों को विभाजित होने से रोका जाए। कांग्रेस की रणनीति का सामना करने के लिए भाजपा ने एक दलित नेता फूल सिंह बरैया को पार्टी में शामिल कर लिया है। लेकिन भाजपा यह जानती है कि अकेला चना भांड नहीं फोड़ सकता। इसलिए अमित शाह ने सभी को साधने का मंत्र दिया है।
- भोपाल से अजय धीर