आंकड़ों में पौधारोपण
18-Jun-2018 09:28 AM 1234784
दरअसल, प्रदेश में पौधारोपण के आंकड़ों और घटती हरियाली तथा कम होते वन क्षेत्र को देखें तो वाकई ऐसा लगता है कि केवल आंकड़ों पर पौधारोपण किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल दो जुलाई को 6 करोड़ 67 लाख पौधों के रोपण का लक्ष्य था। विभिन्न विभागों द्वारा लक्ष्य के विरूद्ध 7 करोड़ 9 लाख पौधों का रोपण किया गया। सबसे ज्यादा पौधारोपण मण्डला, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, देवास, हरदा, खरगोन, जबलपुर, अलिराजपुर, धार और डिण्डौरी जिले में किए गए थे। सरकार का दावा है कि 90 प्रतिशत पौधे जीवित हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। उल्लेखनीय है कि पौधारोपण के बाद कहीं घोटाले के आरोप लगे तो कहीं पौधे सूखने के। पिछले साल हुए पौधारोपण की हकीकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक विभाग आंकड़े नहीं दे सकें जिससे गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज नहीं हो पाया। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इसे घोटाला करार दिया। वहीं नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कई बार पौधारोपण घोटाले का जिक्र किया परंतु ना तो कहीं कोई शिकायत हुई और ना ही किसी ने जांच की। अब एक बार फिर प्रदेश की सभी 313 नदियों के किनारे पौधारोपण की तैयारी की जा रही है। यह पौधारोपण 15 जुलाई से 15 अगस्त तक पूरे एक माह चलेगा। इसके लिए सभी जिलों में पौधों की खरीदी शुरू हो गई है। एक ओर कागजी आंकड़ों पर सरकार व वन विभाग द्वारा पौधारोपण किया जाता है, लेकिन जब जमीनी हकीकत को हम देखते हैं तो उजड़ते वनों और प्रभावित हो रहे पर्यावरण को देख कर हर कोई हिल जाता है, क्योंकि जिम्मेदारों की लापरवाही व अनदेखी के कारण लगातार जंगल नष्ट होता नजर आ रहा है, अपने निजी स्वार्थों के चलते तेजी से जंगलों में अवैध कब्जे व पेड़ों की कटाई जोरों पर है। भोपाल में विकास के नाम पर पिछले 15 साल में 12 प्रतिशत ग्रीन कवर कम हुआ है। इनके बदले में कहां पेड़ लगाए गए इसका कोई संतोषजनक जवाब किसी भी जिम्मेदार के पास नहीं है। पेड़ों की इस कटाई का ही नतीजा है कि 80-90 के दशक तक जिस भोपाल में गर्मी के मौसम में रातें ठंडी हो जाती थीं अब रात 12 बजे तक गर्म हवा का अहसास होता है। पिछले साल नगर निगम ने 29 हजार पौधे रोपे। नगर निगम उद्यान शाखा ने अपने पार्षदों और रहवासी सोसायटी आदि के माध्यम से यह पौधारोपण किया। लेकिन इनमें से कितने पेड़ आज की तारीख में जीवित हैं, इसका कोई रिकॉर्ड निगम के पास नहीं है। इसी तरह प्रदेश के अन्य जिलों में भी पौधारोपण केवल फैशन बन गया है। आलम यह है कि प्रदेश में तेजी से अवैध अतिक्रमण जंगल की भूमि पर बढ़ता नजर आ रहा है, जिसके चलते हरे भरे पेड़ों की बलि खुलेआम चढ़ाई जा रही है। अपने निजी स्वार्थ के चलते छोटे-बड़े हरे पेड़ों को काट कर उक्त भूमि को उपजाऊ भूमि बनाया जा रहा है। हालांकि वन विभाग के निचले कर्मचारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस पूरे मामले की जानकारी है, इसके बावजूद इस और उचित कार्रवाई नहीं होने से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। अगर सरकार गंभीरता से पौधारोपण कार्यक्रम को क्रियान्वित करवाती तो प्रदेश का वनक्षेत्र कम होने की बजाए लगातार बढ़ता। 2015 से नहीं बढ़ा भारत का वन क्षेत्र डिजिटाइजेशन के इस युग में किसी खास मौके पर सेल्फी का दौर दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। चाहे वह पर्यावरण दिवस हो या फिर सफाई अभियान ही क्यों न हो, हर कोई झाड़ू और पौधों के साथ सेल्फी लेने में कोई कसर बाकी नहीं रखता। कल गत दिनों पर्यावरण दिवस है और इस मौके पर भी लोग सोशल साइट्स पर पौधारोपण करते हुए सेल्फी डालने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे, लेकिन भारत में 2015 से वन क्षेत्र में अब तक किसी प्रकार का इजाफा नहीं हुआ है। - विशाल गर्ग
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