18-Jun-2018 09:22 AM
1234756
लेतलतीफी का शिकार हुआ पीथमपुर का ऑटो टेस्टिंग ट्रैक अब सफेद हाथी साबित हो रहा है। ऑटो मोबाइल कम्पनियों की सुविधा के लिए इस टेस्टिंग ट्रैक की स्थापना की गई, जो कि एशिया का सबसे बड़ा टेस्टिंग ट्रैक है और इसके लिए 4 हजार एकड़ जमीन अधिगृहित की गई। हालांकि अभी 2800 एकड़ में ही ट्रैक बना है और बाकी जमीन मध्यप्रदेश शासन ने उद्योगों की स्थापना के लिए ले ली। 600 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अभी तक ऑटो टेस्टिंग ट्रैक पर खर्च की जा चुकी है और अब 550 करोड़ रुपए की लागत से हाई स्पीड टेस्टिंग ट्रैक का निर्माण किया जा रहा है, जिस पर 200 से 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से नए वाहनों का परीक्षण किया जाएगा। अभी पूरे टेस्टिंग ट्रैक को मूल योजना के अनुरूप विकसित करने पर लगभग हजार करोड़ रुपए की और आवश्यकता है, जिसके चलते केन्द्र सरकार का भारी उद्योग मंत्रालय इसे पीपीपी मॉडल पर ठेेके पर देने की भी तैयारी में जुटा है। पहले चरण के तहत फिलहाल 75 से 80 प्रतिशत तक काम पूरे हो गए हैं।
10 साल पहले पीथमपुर में 4 हजार एकड़ से अधिक जमीन पर ऑटो टेस्टिंग ट्रैक बनाने की शुरुआत की गई और यह योजना 2012 तक पूरी कर ली जाना थी, लेकिन जमीनों के अधिग्रहण, कोर्ट-कचहरी और अन्य कारणों से इसमें विलंब हुआ और नेशनल ऑटोमेटिव टेस्टिंग एंड आरएनडी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के तहत केन्द्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय ने इस साल जनवरी में इसका शुभारंभ किया। 600 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई और जमीन अधिग्रहण के लिए अलग से प्रदेश सरकार ने 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए और जब यह आरोप लगा कि केन्द्र सरकार के नैट्रिप ने इस ऑटो टेस्टिंग ट्रैक के लिए जरूरत से ज्यादा जमीनों का अधिग्रहण कर लिया है तो मध्यप्रदेश सरकार ने एक हजार से ज्यादा जमीन नैट्रिप से ले ली, जिस पर अब एकेवीएन द्वारा स्मार्ट इंडस्ट्रीयल टाउनशिप और अन्य प्रोजेक्ट लाए जा रहे हैं।
वर्तमान में पीथमपुर के ऑटो टेस्टिंग ट्रैक में देश की जानी-मानी ऑटो मोबाइल कम्पनियां मार्केट में अपने नए वाहनों को लॉन्च करने से पहले इस टेस्टिंग ट्रैक पर परीक्षण के लिए लाती है। सड़कों पर वाहनों को उतारने से पहले हर कम्पनी को इस तरह के टेस्टिंग ट्रैक करवाना पड़ते हैं और उसके बाद ही वाहनों को व्यवसायिक या व्यक्तिगत उपयोग की अनुमति दी जाती है। एशिया के सबसे बड़े इस ऑटो टेस्टिंग ट्रैक की तर्ज पर केन्द्र सरकार ने चेन्नई, मानेसर, सिल्चर, अहमद नगर और पुणे में भी इस तरह के ट्रैक बनाने के दावे किए गए। उल्लेखनीय है कि इन दिनों तमाम ऑटो मोबाइल कम्पनियां एक से बढ़कर एक वाहनों को ला रही है, जिसमें निजी उपयोग की कारों से लेकर अन्य वाहन तो शामिल है ही, वहीं बसों से लेकर ओवरलोडेड ट्रकों के अलावा अन्य व्यवसायिक वाहन भी हैं। इस टेस्टिंग ट्रैक के लिए 4 हजार जमीन का अधिग्रहण किया गया जिस पर 2800 एकड़ पर ट्रैक बना है और शासन ने तो एक हजार जमीन वापस ली थी उस पर स्मार्ट इंडस्ट्रीयल पार्क सहित अन्य गतिविधियां लाई जा रही है। इसके लोकार्पण के वक्त केन्द्र सरकार ने दावा किया था कि इस टेस्टिंग ट्रैक को देश-विदेश में लोकप्रिय किया जाएगा और इलेक्ट्रिक वाहनों के टेस्टिंग की सुविधा भी यहां पर शुरू करेंगे और इसे टेस्टिंग हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
अभी तक इलेक्ट्रिक वाहनों की टेस्टिंग विदेशों में ही होती है और अब केन्द्र की मोदी सरकार लगातार महंगे होते पेट्रोल-डीजल के अलावा पर्यावरण हितैषी योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है, जिसके चलते लोक परिवहन के लिए बड़ी संख्या में बसें भी चलाई जा रही है और इंदौर को भी जल्द ही सिटी बसों के रूप में ये इलेक्ट्रिक बसें मिलने जा रही है।
अब हाई स्पीड ट्रैक का निर्माण
पीथमपुर के ऑटो टेस्टिंग ट्रैक में 14 तरह के अलग-अलग ट्रैक बनाए गए हैं, जिसमें मल्टी ट्रैकिंग, डायनामिक प्लेटफॉर्म, ग्रेडियंट ट्रैक, ग्रेवल और ऑफ रोड ट्रैक, फटिग ट्रैक, कम्फर्ट ट्रैक, हैंडलिंग ट्रैक, वैट स्किड ट्रैक, नाइस ट्रैक, वॉटर वैड ट्रैक, डस्ट टर्नल के अलावा जनरल रोड भी है। इन ट्रैकों के साथ-साथ अत्याधुनिक लेबोरेटरी की स्थापना भी की गई है और अब हाई स्पीड ट्रैक का निर्माण किया जा रहा है, जिस पर 200 से 300 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गाडिय़ों को चलाकर उनका परीक्षण किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि फरारी से लेकर तमाम करोड़ों रुपए में मिलने वाली लग्जरी गाडिय़ां इसी श्रेणी में आती है और इसके अलावा जो रेसिंग कारों और अन्य कारों के लिए भी इस पर टेस्टिंग की जा सकेगी, लेकिन इसके निर्माण पर 550 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो रही है और 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अन्य कार्यों पर खर्च की जाना है। यानी अभी पीथमपुर आटो टेस्टिंग ट्रैक पर एक हजार करोड़ की राशि खर्च होना है, जिसके चलते अब केन्द्र सरकार का भारी उद्योग विभाग मंत्रालय इसे पीपीपी मॉडल पर निजी कम्पनी को ठेके पर देने की भी सोच रहा है और इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, क्योंकि अभी जहां हजार करोड़ रुपए लगाना पड़ेंगे, वहीं इस भारी-भरकम और महंगे टेस्टिंग ट्रैक का रख-रखाव, संचालन अधिकारियों-कर्मचारियों से लेकर विशेषज्ञों के वेतन से लेकर अन्य खर्चे भी हैं।
-नवीन रघुवंशी