फर्जी वोटर कितने!
18-Jun-2018 07:04 AM 1234991
चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश में मतदाता सूचियों में भारी पैमाने पर गड़बड़ी होने की बात को जांच के बाद गलत बताया है। आयोग की ओर से कांग्रेस को भेजी गई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि शिकायत के आधार पर गठित जांच दलों ने राज्य के 4 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूचियों का निरीक्षण किया, जिनमें गड़बड़ी जैसी कोई कोई बात नहीं मिली है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बीते 3 जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मध्य प्रदेश के वोटर लिस्ट में 60 लाख फर्जी मतदाताओं के नाम शामिल किए जाने का आरोप लगाया था। जांच-पड़ताल के बाद चुनाव आयोग ने शिकायत के तथ्यों को पुरानी मतदाता सूची के आधार पर होना बताया। साथ ही यह भी साफ कर दिया कि एक जैसे चेहरे वाले कई एंट्री होने के जो आरोप हैं उन पर आयोग पहले से काम कर रहा है। आयोग के सचिव राहुल शर्मा ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को शिकायत का जवाब देते हुए कहा कि एक ही चेहरे के कई मतदाता, कई विधानसभा क्षेत्रों में एक ही नाम जैसे मामले पर आयोग पहले से कार्रवाई कर रहा है। हमने शिकायत पर जो मैदानी स्तर से सबूत एकत्र किए हैं और जो डाटा जुटाया है, उससे साफ है कि जो दावा किया गया था, वो सही नहीं है। फर्जी एंट्री हुई है, यह बिलकुल भी सही नहीं है। आयोग के पास एक जैसी एंट्री नाम, लिंग, रिश्ता, आयु और समान नाम की जांच के लिए अच्छा खासा तंत्र है। कांग्रेस के इस मसले को जोर-शोर से उठाने के पीछे कई वजहें भी हैं। पिछले चुनाव की बात करें तो 230 सीटों वाले विधानसभा में सत्ताधारी बीजेपी के खाते में 165 सीटें आई थीं। जबकि कांग्रेस के खाते में 57 सीटें गई थीं। भाजपा को जहां 22 सीटों का लाभ हुआ था, तो वहीं कांग्रेस को 13 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। पिछले चुनाव परिणाम को देखें तो 230 विधानसभा क्षेत्रों में से लगभग 50 विधानसभा क्षेत्र ऐसे थे, जहां जीत हार का अंतर 5,000 के आसपास था। अधिकतर सीटों पर कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था। कांग्रेस का दावा है इन विधानसभा क्षेत्रों में पहले भी बड़े पैमाने पर फर्जी मतदाता थे। ऐसे में अगर इस बार इन विधानसभा क्षेत्रों से फर्जी मतदाताओं के नाम कट जाते हैं तो चुनावी तस्वीर बदल सकती है। कांग्रेस इसको अपने पक्ष में देख रही है और पार्टी का मानना है कि यहां उसे लीड मिल सकती है। चुनाव आयोग ने इसे संज्ञान में लेते हुए गड़बड़ी वाले विधानसभा क्षेत्रों नरेला, होशंगाबाद, भोजपुर और सिओनी मालवा में मतदाता सूचियों की बारीकी से जांच कराई। इनमें से सिओनी मालवा क्षेत्र में 17 मतदान केंद्रों की 82 सूचियों में से किसी में भी मतदाताओं के नाम का एक से अधिक बार जिक्र नहीं पाया गया। जबकि इसी विधानसभा क्षेत्र के 20 मतदान केंद्रों की मतदाता सूचियों में 2442 नाम मिलते-जुलते पाए गए। इसकी जांच में 2397 नाम सही पाए गए जबकि 45 नामों को संबद्ध मतदाता की मौत या स्थानांतरण के कारण मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया चल रही है। इसी तरह नरेला विधानसभा क्षेत्र की शिकायत में मतदाता सूची के 22252 नामों में से 17684 मतदाताओं के मामले अनूठे पाए गए। इनमें से 1776 मामलों में मतदाता के नाम और उसके रिश्तेदार के नाम एक ही पाए गए। इनमें से 154 मामलों की जांच में 153 मामले सही पाए गए। रिपोर्ट के अनुसार जांच दल ने होशंगाबाद विधानसभा क्षेत्र की शिकायत में वर्णित 552 मामलों की जांच की जिसमें एक भी मतदाता का नाम मतदाता सूची में अनेक बार दर्ज होने की पुष्टि नहीं हुई। वहीं भोजपुर में शिकायत वाले 36 मामलों की जांच में 29 के नाम सही पाए गए जबकि 7 मामलों को मतदाता सूची दुरुस्त करने की प्रक्रिया के तहत सही कर लिया जायेगा। आयोग ने विस्तृत जांच के आधार पर निष्कर्ष के तौर पर कहा कि इन चारों विधानसभा क्षेत्रों में एक ही मतदाता का नाम मतदाता सूची में कई बार दर्ज होने के मामलों की बहुतायत होने की शिकायत सही नहीं है। जबकि एक ही तस्वीर वाले अनेक मतदाता पाए जाने की शिकायत को आयोग ने यह बताते हुए सही नहीं पाया कि यह एक ही मतदाता का सूची में बार-बार जिक्र का मामला नहीं है। बल्कि यह महज एक ही फोटो के अनेक बार उपयोग का मामला है जिसे ठीक करने के लिए कह दिया गया है। उधर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह कहते हैं कि संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने की साजिश उजागर हो गई। कांग्रेस माफी मांगे। आयोग ने फर्जी मतदाता सूची की शिकायत पर कहा कि मध्य प्रदेश में जनसंख्या के हिसाब से मतदाताओं की हिस्सेदारी साल 2008 में 52.76 प्रतिशत से बढ़कर 2018 में 61.45 प्रतिशत हो गई है। इसलिए जनसांख्यकीय आंकड़ों के आधार पर मतदाता सूचियों को अपडेट किया गया है। इस आधार पर इसे फर्जी मतदाता सूची का मामला नहीं माना जा सकता है। आयोग ने शिकायत के विभिन्न आधारों की पुख्ता जांच के बाद इन्हें खारिज करते हुए कांग्रेस से इस तरह की आशंकाएं पाये जाने पर भविष्य में भी सूचित करने का आग्रह किया जिससे शंकाओं का फौरन समाधान किया जा सके। गौरतलब है कि कोलारस विधानसभा उपचुनाव के दौरान भी यह बात सामने आई थी कि 5537 मृत मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में पाए गए थे। शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने शिवपुरी जिलाधिकारी तरुण राठी को इस मामले में लापरवाही का दोषी पाया था। आयोग ने जांच में पाया था कि जिलाधिकारी तरुण राठी ने सूची में गड़बड़ी पर सही मानिटरिंग नहीं की। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह को पत्र भी लिखा था। उप जिला निर्वाचन अधिकारी संजीव जैन ने संवाददाताओं को बताया कि यह सही बात है कि जिले में 59 हजार से ज्यादा वोटर संदिग्ध मिले हैं। इनमें 20886 वोटर मृत मिले हैं। सूची शुद्धीकरण के दौरान ऐसे नाम काटे जा रहे हैं और अभी तक 34 हजार से ज्यादा वोटर हटाए जा चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, जिले की पांच विधानसभा सीटों में 59,517 वोटर फर्जी पाए जाने के बाद अभी तक 24992 वोटरों के नाम सूची से काट दिए गए हैं। इसमें से मृत 20,886 मतदाताओं में से 14901 मतदाताओं के नाम सूची में से हटाए गए हैं। चुक गया डाटा विश्लेषण विभाग राहुल गांधी ने जिस बड़ी उम्मीद से डाटा विश्लेषण विभाग बनाया वह पहली ही परीक्षा में चुक गया है। ज्ञातव्य है कि इसी विभाग ने मध्य प्रदेश में फर्जी वोटर सूची का खुलासा किया था, जिसे लेकर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय ने पूरा होमवर्क करके चुनाव आयोग में दस्तक दी। दरअसल, पूरे देश भर के मतदाताओं का डाटा बेस इक_ा करके आपस में मिलान करने पर ये गड़बड़ी सामने आयी की मध्य प्रदेश में एक ही तस्वीर के कई-कई वोटर आई डी बने हैं। बाद में ये आंकड़ा 60 लाख के करीब तक पहुंच गया। कांग्रेस के डाटा विश्लेषण विभाग का मानना है कि डाटा के जरिये बूथ स्तर का विश्लेषण आसान है और उसके जरिये रणनीति बनाना भी आसान। करीब 600 मतदाताओं का विश्लेषण करके आप चुनाव में रणनीति बना सकते हैं। बूथ से शुरू करके ब्लॉक, विधानसभा और फिर लोकसभा का पूरा विश्लेषण किया जा सकता है। बूथ में कितने वोट बढ़ाने हैं, इस पर भी टारगेट हो सकता है। डाटा बेस के मुताबिक, पूरा देश या एक लोकसभा पर ऊपर से देखने की बजाय नीचे से बूथ से शुरुआत करनी होगी। आबादी और मतदाता में कुछ भी असामान्य नहीं चुनाव आयोग ने अपने जवाब में यह भी कहा कि प्रदेश की आबादी और मतदाताओं की संख्या को लेकर जो आरोप लगाए थे, वे भी सही नहीं हैं। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है। 2008 में आबादी और मतदाता का अनुपात 52.76 प्रतिशत था जो 2018 में बढ़कर 61.45 प्रतिशत हो गया। मौजूदा मतदाता सूची में कोई विवादित चीज नहीं है। यही बात मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह ने भी कही थी। जांच के लिए पर्याप्त नहीं डाटा आयोग ने यह भी कहा कि शिकायत के साथ जो डाटा दिया गया वो जांच के लिए पर्याप्त नहीं है। दो-तीन पैमाने पर शिकायत की गई है। फिर भी हमने मध्यप्रदेश की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को बोला है कि वे बड़े पैमाने पर शिकायत के आधार पर सत्यापन कराएं। इसमें जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसकी जानकारी भी दे देंगे। कांग्रेस लगातार नरेला विधानसभा की वोटर सूची की गड़बडिय़ां सामने ला रही है। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव डॉ. महेंद्र सिंह चौहान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने एसडीएम गोविंदपुरा व ईआरओ नरेला विधानसभा मुकुल गुप्ता को ज्ञापन सौंपकर नरेला विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में व्याप्त विसंगतियों का पुलिंदा भी सौंपा। उन्होंने एसडीएम को बताया कि नरेला की मतदाता सूची में एक ही पते वाले 575 मतदाता हैं, जबकि एक ही उम्र और नाम वाले 989 मतदाता। एक ही नाम (पिता या पति के नाम) वाले 10 हजार 009 मतदाता हैं। उन्होंने मांग की है कि इन सभी वोटरों की जांच कर उन्हें हटाया जाए। - रजनीकांत पारे
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