04-Feb-2013 10:39 AM
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हाल ही में जब छत्तीसगढ़ में नाबालिग छात्राओं के यौन शोषण की घटना ने तूल पकड़ा तो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेतृत्व में प्रदेशभर में धरने-प्रदर्शन हुए और इन धरने-प्रदर्शनों में अजीत जोगी ही छाए हुए थे। अजीत जोगी की लोकप्रियता ने अब सोनिया गांधी को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। कहीं न कहीं राष्ट्रीय स्तर पर जोगी यह प्रभाव छोडऩे में सफल रहे हैं कि वे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नैय्या पार लगाने का दमखम रखते हैं। हालांकि आज भी प्रदेश के ज्यादातर कांग्रेसी नेता दिल्ली में जोगी के खिलाफ लॉबिंग करते नजर आते हैं, लेकिन जोगी इन सबसे बेखबर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को अंजाम देने में लगे हुए हैं। इसका कारण यह भी है कि जोगी को अतीत में 10 जनपथ का आशीर्वाद अचानक मिलता रहा है। पिछले वर्ष नवंबर में जब वीके हरिप्रसाद ने जोगी विरोधी मुहिम चरम सीमा पर चला रखी थी उस दौरान भी एक राष्ट्रीय स्तर की कमेटी लोकसभा चुनाव के लिए बनाई गई थी, जिसकी तीन उप समितियों में अजीत जोगी को सदस्य बनाया गया था। यह दूसरा मौका था जब जोगी को राष्ट्रीय स्तर की समिति में सदस्य बनाया गया। इससे पहले उन्हें नक्सलवाद के निराकरण के लिए बनी कमेटी में भी सदस्य बनाया गया था। इसी कारण यह माना जाता रहा है कि आवश्यकता पडऩे पर जोगी को कांग्रेस राष्ट्रीय राजनीति में भी सक्रिय कर सकती है। हाल ही में जब राहुल गांधी को उपाध्यक्ष घोषित किया गया तो अजीत जोगी विशेष रूप से प्रसन्न नजर आए। उन्हें उम्मीद बंध गई है कि राहुल गांधी की युवा टीम में उनके सुपुत्र अमित जोगी को जरूर कोई भूमिका मिलेगी। वैसे भी प्रदेश के युवा नेताओं में अमित जोगी विशेष रूप से सक्रिय बताए जाते हैं।
उधर जोगी ने प्रदेश की राजनीति पर अपनी पकड़ मजबूत करना शुरू कर दी और अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने में जुटे हुए हैं। फिलहाल उनके निशाने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल हैं। अगले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को उतारने की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल की घोषणा पर जोगी ने पलटवार किया है। जोगी ने कहा है कि पटेल को बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ चुनाव लडऩा चाहिए। कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के बीच वाकयुद्घ ने पार्टी के अन्तर्कलह को सार्वजनिक कर दिया है। पटेल व जोगी के बयान सतही तौर पर ऐसे लगते हैं मानों दोनों पार्टी हित में बात कर रहे हैं परन्तु हकीकत में ऐसा है नहीं। दोनों नेता प्रदेश की राजनीति में एक दूसरे को निपटाना चाहते हैं। दोनों का बयान एक दूसरे का भला करने वाला नहीं है। नंदकुमार पटेल ने साफतौर पर कहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के डॉ. रमन सिंह के खिलाफ कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को उतारा जाएगा। इसके लिए वे कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से जोगी के नाम की अनुशंसा करेंगे। पटेल के इस बयान में गहरा रहस्य छुपा है। नंदकुमार पटेल कभी अजीत जोगी की फौज के वफादार सिपाही हुआ करते थे। वक्त का पहिया घूमा और जैसे की राजनीति में हुआ ही करता है पटेल व रविन्द्र चौबे ने जोगी का साथ छोड़कर कांग्रेस में अपनी अलग कंपनी बना ली। अब जोगी व पटेल-चौबे गुट में छत्तीस का आंकड़ा है। पटेल इन दिनों राजनीतिक यात्रा के चढ़ाव पर है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते उनकी महत्वाकांक्षा प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की है। फिर केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने उन्हें सार्वजनिक तौर पर प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री बताकर महत्वाकांक्षा की आग में घी डाल दिया है। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में पटेल के सामने उनके प्रतिद्वंदी के रुप में अजीत जोगी व उनकी पत्नी श्रीमती रेणु जोगी खड़ी हैं। यानी जोगी की कोशिश होगी कि पटेल किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री न बनें। इतना ही नहीं वे पटेल को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाने की भी जुगत भिड़ाएंगे। पटेल के सामने सबसे बड़ा रोड़ा जोगी हैं, लिहाजा उन्हें राजनीतिक दांव-पेंच से किनारे करने पटेल ने नई चाल चली है। जरुरी है सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। इसके लिए उन्होंने जोगी द्वारा पूर्व में जो इच्छा प्रकट की गई थी उसे ही लाठी के रुप में इस्तेमाल किया है। गत् विधानसभा चुनाव के पूर्व टिकिट वितरण के समय जोगी ने कहा था कि उनकी तीव्र इच्छा रमन सिंह के खिलाफ चुनाव लडऩे की थी लेकिन सोनिया गांधी ने इसके लिए अनुमति नहीं दी है। अब नंदकुमार पटेल ने जोगी को मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ाने की मंशा जाहिर कर दी। प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उनका बयान काफी महत्वपूर्ण है। बदली हुई परिस्थिति में हो सकता है श्रीमती गांधी इसके लिए मान भी जाएं। क्योंकि किसी भी हालत में छत्तीसगढ़ की सत्ता में कांग्रेस को पुनस्र्थापित करना एक मात्र लक्ष्य है। परन्तु इस बार जोगी की क्या इच्छा है? उनसे पूछा नहीं गया है। यह अलग बात है कि जोगी ने हर बार यही कहा है कि श्रीमती गांधी उन्हें जो भी आदेश देंगीं वे उसे सिर आंखों पर लेंगे। प्रदेश कांग्रेस द्वारा जोगी को एक तरह से घेरने की कोशिश की जा रही है।
जयराम रमेश द्वारा पटेल को भावी मुख्यमंत्री बताए जाने से पहले से बौखलाए अजीत जोगी ने पटेल के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने पटेल पर शब्द बाण छोड़े हैं। जोगी ने कहा है कि इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा के सभी दिग्गजों को घेरने की रणनीति बनाई गई है। मेरी पूर्व में रमन सिंह के खिलाफ लडऩे की इच्छा थी। अब पटेल ने कहा है कि मैं सीएम के खिलाफ लडूं तो नंदकुमार पटेल को भी बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ लडऩा चाहिए । जोगी का यह बयान साफ तौर पर जाहिर करता है कि बृजमोहन अग्रवाल प्रतिद्वंदी की दृष्टि से बड़ी ताकत हंै और पटेल उनके खिलाफ चुनाव हार जाएंगे। छग की राजनीति में कांग्रेस के भीतर जोगी के लिए पटेल व चौबे बड़ी चुनौती हैं। प्रदेश में पटेल ने अपना प्रभा मंडल बढ़ाया भी है साथ ही दिल्ली दरबार में भी उनका कद बढ़ा है। यह बात जोगी को नागवार गुजर रही है। भाजपा के खिलाफ कांग्रेस को सुरक्षा कवच प्रदान करने की बजाय पार्टी की पहली पंक्ति के नेता एक दूसरे के खिलाफ ही शब्द बाण का प्रयोग कर रहे हैं। यह बात भी उजागर होती है कि कांग्रेस में भाजपा का खौफ है। कांग्रेसियों के झगड़े से भाजपा को ही लाभ होगा। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह प्रदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय व सर्वमान्य नेता बने रहेंगे।
-रायपुर से संजय शुक्ला