युकां के बहाने चमकेगी राजनीति
30-Nov-2012 06:30 PM 1234839

छत्तीसगढ़ में युवक कांग्रेस चुनाव के बहाने कतिपय नेता अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं। ज्यादातर लोग बूथ कमेटी में अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं क्योंकि इसके बहाने विधानसभा या लोकसभा कमेटियों

के चुनाव लडऩे का रास्ता खुलेगा। इसलिए अध्यक्ष पद से ज्यादा बाकी चार पदों पर ध्यान केन्द्रित किया गया। छत्तीसगढ़ में युवा कांग्रेस चुनाव में हर बूथ में कमेटी बनाई जा रही है। जबकि पिछली बार हुए चुनाव में पंचायत और वार्ड के चुनाव करवाए गए थे। दोनों चुनावों में अंतर साफ नजर आ रहा था। बूथ चुनाव में पंचायत या वार्ड चुनाव जैसी मारा-मारी नहीं रहती बल्कि विधानसभा या लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी प्रस्तुत करने वाले उम्मीदवार इस बात पर जोर दे रहे थे कि उनके समर्थक बूथ लेवल पर ज्यादा संख्या में जीतकर आएंगे।
बूथ चुनाव में भी कांग्रेस की अंदरूनी कलह उभरकर सामने आ गई है। प्रत्याशियों को अयोग्य घोषित कराने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए गए कुछ प्रत्याशियों के विरुद्ध झूठे मुकदमे कायम करने की बात भी सामने आई है ताकि उनका रिकार्ड खराब हो जाए। एक कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अजित जोगी को केंद्र में लाने के लिए एक पूरा तंत्र प्रदेश कांग्रेस के समानांतर लगभग 10 जिलों में काम कर रहा है जो कांग्रेस का खेल बिगाडऩे पर तुला हुआ है। इस तंत्र में सक्रिय नेता आम सभाओं में कांग्रेसी नेताओं के भाषण के समय जोगी जिंदाबाद के नारे लगा देते हैं तो कई बार वे कांग्रेसियों को ही हूट करते हैं और उनके कामों में अड़ंगा डालते हैं। वीके हरिप्रसाद के पास इस तरह की शिकायत पहले भी पहुंच चुकी है, लेकिन सोनिया गांधी ने वीके हरिप्रसाद के कहने के बावजूद अजित जोगी के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इसलिए अब प्रदेश में कांग्रेस के अंदर खींचतान और बढ़ गई है इसका नजारा हाल ही में युवक कांग्रेस के चुनाव के समय देखने को मिला जब राहुल गांधी की टीम में शामिल होने के नाम पर यूथ कांग्रेस के सदस्यों ने जमकर पैसा बहाया। यह पैसा बूथ स्तर के प्रत्याशी को चुनाव जिताने के लिए खर्च किया गया। पूरे प्रदेश में 46 हजार नामांकन जमा हुए थे और एक फार्म की कीमत 100 रुपए रखी गई थी। हर विधानसभा क्षेत्र में केवल एक ही जगह मतदान केंद्र बनाया गया था जिसके चलते बड़े नेताओं ने करोड़ों रुपए खर्च करके अपने मतदाताओं को बसों और ट्रालियों में ठूसकर मतदान केंद्र तक पहुंचाया। कुछ वोटर तो सौ-सौ किलोमीटर दूर से आए थे। इस कवायद ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की साख को खासा नुकसान पहुंचाया है। चुनाव में प्रत्याशी पैसे की फंडिंग करने वालों को भी तलाशते देखे गए। कहा जा रहा है कि बूथ कमेटी के बाद विधानसभा कमेटी के चुनाव होंगे। इसमें हर प्रत्याशी को पहले 15 सौ रुपए नामांकन शुल्क देना पड़ेगा। अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला के लिए यह शुल्क आधा होगा, जबकि लोकसभा कमेटी के चुनाव लडऩे वालों को तीन हजार रुपए नामांकन शुल्क देना पड़ेगा। उधर प्रदेश कमेटी का चुनाव लडऩे वाले को साढ़े सात हजार रुपए नामांकन फीस देनी पड़ेगी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के भीतर ही आंतरिक चुनाव प्रक्रिया कितनी खर्चीली होती जा रही है। प्रचार मतदाताओं को रिझाने से लेकर चुनाव सामग्री तक अन्य दूसरे खर्चें करोड़ों की लागत तक पहुंचने वाले है। कहा जा रहा है कि यह सब राहुल गांधी के इशारे पर हो रहा है। हालांकि वरिष्ठ कांग्रेसी अंदर ही अंदर इससे असहमति प्रकट कर रहे हैं पर युवा कांग्रेस के चुनाव अधिकारियों का कहना है कि इस चुनाव के जरिए कार्यकर्ताओं को मुख्य चुनाव की ट्रेनिंग मिल रही है। उनका प्रश्न है कि जो कार्यकर्ता अपने समर्थकों को लाने या नामांकन शुल्क देने में समर्थ नहीं है वे पार्टी का नेतृत्व कैसे कर सकते हैं।
इस बीच कांग्रेस ने राज्य में अपना अभियान अब तेज किया है। हाल ही में प्रदेश में कई जगह आयोजित सुराज शिविर में कांग्रेसियों ने जमकर हंगामा किया। कई जगह मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पोस्टर, बैनर फाड़े गए और तोडफ़ोड़ की गई। कई जगह पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी और अन्य कांग्रेसियों के समर्थकों के बीच भी टकराहट की खबरें मिली हैं। दरअसल सुराज अभियान का विरोध यूं तो कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, लेकिन अजित जोगी चाहते हैं कि वे सुराज अभियान के विरोध के बहाने अपने आपको फिर लाइम लाइट में ले आए। इसी कारण धमतरी में जब कांग्रेस के कार्यकर्ता सुराज अभियान का विरोध कर रहे थे उसी समय उनके बीच आपस में ही लड़ाई होने लगी। पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी और विधायक गुरुमुख सिंह होरा के समर्थक शक्ति प्रदर्शन को लेकर भिड़ पड़े और उनमें मारपीट हो गई। इस घटना के समय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और धनेंद्र साहू भी उपस्थित थे। इस विरोध प्रदर्शन के कारण कांग्रेस की बहुत किरकिरी हुई। इसी किरकिरी को देखते हुए अब केंद्रीय नेतृत्व ने वीके हरिप्रसाद को छत्तीसगढ़ पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने का आदेश दे डाला है। हाल ही में वीके हरिप्रसाद ने 27 नवंबर को सामरी विधानसभा क्षेत्र के शंकरगढ़ में मंथन शिविर का आयोजन कर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और उन्हें समझाया कि किस तरह एकता बनाए रखी जाए। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, नेता प्रतिपक्ष रवींद्र चौबे एवं प्रदेश के कुछ गिनेचुने नेता भी उपस्थित थे, लेकिन अजित जोगी के समर्थक दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे थे, समझा जाता है कि जोगी के इशारे पर समर्थकों ने जानबूझकर मंथन शिविर से दूरी बनाई है। रामानुजगंज में विधानसभा कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर के दौरान भी जोगी प्रभाव देखने को मिला जब कुछ जोगी समर्थकों ने वहां भी नारेबाजी की। यही अनुभव वीके हरिप्रसाद को रायपुर के निकट गुंडरदेही में कार्यकर्ता सम्मेलन में हुआ। लगभग हर बैठक में और हर सम्मेलन में जोगी प्रभाव देखा जाने लगा है। इसलिए अब यह तय हो गया है कि आगामी चुनाव से पहले या तो अजित जोगी को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी जाए या फिर उन्हें पूरी तरह बाहर कर दिया जाए। हाल ही में यूथ कांग्रेस के चुनाव के समय राजनांदगांव में मेहुलमारू डोंगरगढ़ में मुकेश महोबिया, दुर्ग में अयूब खान, विभा साहू जैसे नेता जोगी के पक्ष में अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा जमाने की कोशिश करते देखे गए। विभा साहू तो खुलकर जोगी खेमे का समर्थन कर रही हैं। बिलासपुर तथा गौरेला पेंड्रा में भी जोगी खेमा लगातार इस कोशिश में लगा रहा कि वह युवा कांग्रेसियों के बीच अपनी पकड़ मजबूत कर ले इसमें कमान अजित जोगी के पुत्र अमित जोगी ने संभाली हुई थी। इन गुटबाजियों को देखकर साफ लग रहा है कि कांग्रेस आगामी चुनाव में भी अपने ही अंतरविरोधों से लड़ती रहेगी और प्रदेश के बागडोर एक बार फिर उसके हाथ से निकलने की संभावना पैदा हो जाएगी।
द्यरायपुर से संजय शुक्ला

 

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