बदलेगी भू-राजस्व संहिता
02-Feb-2018 08:37 AM 1234970
मप्र में 58 साल बाद भू-राजस्व संहिता में बड़े बदलाव किए जाएंगे। आगामी बजट सत्र में इस बदलाव को मंजूरी दी जाएगी। इससे राजस्व प्रकरणों में पूरी तरह परिवर्तन हो जाएगा। इसके लिए विधानसभा के बजट सत्र में भू-राजस्व संहिता में आमूलचूल परिवर्तन और सरलीकरण के संशोधन प्रस्ताव को रखकर बहुमत के आधार पर मंजूर किया जाएगा। मुख्य रूप से धारा 50, 57 से लेकर 109, 110 सहित अन्य धाराओं में बदलाव होंगे। कलेक्टरों ने भी सुझाव देते हुए राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिए अधिक अधिकार मांगे हैं। पिछले कुछ दिनों से संशोधन की प्रक्रिया चल रही है, जिसके लिए 5 हजार पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है। शासन ने एक कमेटी भी गठित की, जिसने हर संभाग में जाकर बैठकें भी लीं और संभागायुक्तों के साथ सभी जिला कलेक्टरों से चर्चा की गई। दरअसल इस विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार भू-राजस्व संहिता में आमूलचूल बदलाव करना चाहती है, क्योंकि जमीन मालिकों के साथ-साथ किसानों की शिकायतें राजस्व प्रकरणों को लेकर लगातार मिलती रही हैं और मंदसौर में हुए गोलीकांड के बाद किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर अपनी जो समस्याएं रखीं उनमें राजस्व से जुड़े प्रकरण विशेष रूप से शामिल रहे। इसमें नामांतरण, बंटवारे, सीमांकन से लेकर अन्य धाराओं में दर्ज प्रकरणों के सरलीकरण की मांग की गई। उसके पश्चात मुख्यमंत्री ने लगातार राजस्व प्रकरणों की समीक्षा शुरू की और मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह को भी सभी संभागों में बैठकें लेने भेजा। यही कारण है कि इंदौर सहित पूरे प्रदेश में कलेक्टर जहां राजस्व वसूली में जुटे हैं, वहीं लम्बित प्रकरणों का निपटारा भी करवाया जा रहा है। पहले प्रयास किए जा रहे थे कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भू-राजस्व संहिता के बदलावों को प्रस्तावों में रखा जाए, मगर पूरी तरह से संशोधित प्रस्ताव तैयार नहीं होने और शोर-शराबे के कारण सत्र समय से पहले स्थगित करना पड़ा। लिहाजा अब बजट सत्र में इसे रखकर मंजूर करवाया जाएगा। राजस्व मंत्रालय 58 साल पुराने 1959 से लागू भू-राजस्व संहिता में परिवर्तन करने जुट गया है। पहली बार तमाम महत्वपूर्ण धाराओं में बदलाव किया जाएगा। मुख्यमंत्री की मंशा है कि राजस्व से संबंधित अधिकांश मामलों के आवेदन जहां ऑनलाइन लिए जाएं, वहीं अविवादित नामांतरण के प्रकरण तो बिना चक्कर लगवाए ऑनलाइन ही निपटाए जाएं। अभी इसके लिए जमीन मालिकों और किसानों को पटवारी, तहसीलदार और राजस्व निरीक्षकों के ही चक्कर काटना पड़ते हैं। इसके लिए निर्धारित तीन माह की समय-सीमा को भी घटाकर 15 दिन तक किया जा सकता है। वहीं धारा 57 को भी समाप्त करने की बात चल रही है, जिसमें सरकारी जमीन अगर निजी नाम पर चली गई तो इसकी सुनवाई शासन करता है। पहले इसके अधिकार कलेक्टरों को दिए गए थे। अब इस धारा को समाप्त कर ऐसे प्रकरणों की सुनवाई सिविल कोर्ट में ही होगी। इसी तरह धारा 109, 110 से लेकर 162 सहित अन्य में भी बदलाव किए जाएंगे। राजस्व प्रकरणों के लिए सालों से राजस्व बोर्ड बना रखा है। इसके कार्यकलापों से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अत्यंत नाराज हैं, क्योंकि यह बोर्ड सिर्फ रसूखदार और प्रभावशाली जमीन मालिकों का ही साथ ज्यादा देता है और छोटे जमीन मालिक या किसानों के प्रकरणों की अनदेखी की जाती है। इंदौर से ही जुड़े जमीनों के तमाम मामलों में कलेक्टर या संभागायुक्त के आदेशों के खिलाफ फटाफट राजस्व बोर्ड स्टे देता रहा है। कई प्रकरण तो ऐसे भी सामने आए कि जिस दिन आदेश हुआ उसी दिन चंद मिनटों बाद ही फैक्स के जरिए राजस्व बोर्ड का स्टे आ गया। पहले तो राजस्व बोर्ड को ही भंग करने की बात चल रही थी। उसके बाद उसमें भी परिवर्तन करने के साथ-साथ भू-राजस्व संहिता में बदलाव करने का निर्णय लिया गया। हर 5 साल में डायवर्शन शुल्क भी बदलेंगे राजस्व विभाग की सबसे अधिक आय डायवर्शन शुल्क के जरिए ही होती है। इंदौर जैसे जिले में ही इस बार कलेक्टर ने 200 करोड़ रुपए तक का राजस्व अर्जित करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि अभी तक 50-60 करोड़ रुपए ही हासिल हो पाए हैं। लिहाजा पुरानी फाइलों को खंगाला जा रहा है और बकाया डायवर्शन शुल्क को लेकर जब्ती-कुर्की और सख्ती भी की जा रही है। यह भी प्रयास किए जा रहे हैं कि हर 5 साल में डायवर्शन शुल्क में परिवर्तन किया जाए, खासकर जिन जमीनों का उपयोग डायवर्शन आदेश के बाद व्यावसायिक किया जा रहा है उन पर बाजार दर के मुताबिक डायवर्शन शुल्क वसूल किया जाए। हर 5 साल में शुल्क में बदलाव किया जाता है तो इससे जमीन मालिकों को तो अधिक शुल्क चुकाना पड़ेगा, मगर शासन के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही अर्थदंड की राशि भी बढ़ाने के सुझाव भूमि सुधार आयोग को मिले हैं। -विकास दुबे
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^