04-Jun-2018 07:12 AM
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देश में अब आईएएस और आईपीएस मेरिट के आधार पर नहीं बल्कि सरकार की मेहरबानी से बनेंगे। इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार बड़े बदलाव की कवायद करने में जुटी हुई है। इसका खुलासा अभी हाल ही में कार्मिक मंत्रालय के एक पत्र से हुआ है। प्रधानमंत्री कार्यालय के नए फरमान से देशभर की नौकरशाही में हडकंप मचा हुआ है। मोदी सरकार का ताजा फरमान अगर मान लिया जाए तो देश में भविष्य की नौकरशाही का ‘भविष्य’ अब मेधावी प्रत्याशी नहीं वरन सरकार खुद तय करेगी। प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि सिविल सर्विसेज परीक्षा में सेलेक्ट होने के बाद सरकार तीन महीने के फाउंडेशन कोर्स के आधार पर तय करे कि सेलेक्ट किए गए किस प्रत्याशी को आईएएस-आईपीएस या बाकि सेवाओं में भेजा जाए।
कार्मिक मंत्रालय के पत्र के अनुसार अब तक चयनित प्रत्याशी फाउंडेशन कोर्स से पहले ही अपना कैडर और सेवा (आईएएस, आईपीएस, आईएफएस या अन्य) मेरिट के आधार पर चुनते थे। यानी सर्वश्रेष्ठ प्रत्याशियों को मर्जी और मेरिट के आधार पर आईएएस या आईपीएस जैसी सर्विस और अपना स्टेट कैडर अलॉट होता था। जो प्रत्याशी मेरिट लिस्ट में काफी नीचे होते थे उन्हें दूर दराज के राज्य और रेलवे या संचार जैसी सेवाएं आवंटित होती थीं। इस प्रक्रिया में मेरिट ही आधार होता था इसलिए पारदर्शिता के चलते कभी विवाद नहीं हुए। लेकिन नई व्यवस्था में ऐसा नहीं होगा। उदाहरण के लिए अगर किसी सिविल सेवक ने ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में दसवां रैंक हासिल किया है और 300 अंकों के फाउंडेशन कोर्स में उसे सिर्फ 100 अंक प्राप्त हुए हैं तब उसे आईएएस या आईपीएस जैसा प्रतिष्ठित सेवा संवर्ग नहीं मिलेगा भले ही उसने 10वां रैंक हासिल किया हो। नई व्यवस्था के तहत उसे राजस्व, रक्षा या अकाउंट्स सर्विस मिल सकता है। इसी तरह किसी अभ्यर्थी ने अगर मेरिट लिस्ट में 300वां रैंक हासिल किया है और फाउंडेशन कोर्स में अच्छे अंक हासिल किए हैं, तब उसे आईएएस या आईपीएस सेवा संवर्ग मिल सकता है।
बता दें कि आज भी अधिकारियों को फाउंडेशन कोर्स करना होता है लेकिन इसके माक्र्स से उनके सर्विस या कैडर पर कोई असर नहीं पड़ता है। फिलहाल यह कोर्स सिर्फ क्वालिफाइंग है। मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकैडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में प्रशिक्षण लेकर अधिकारी राज्यों में तैनात होते हैं, फिर वहां परीक्षा देकर अपना प्रोबेशन पीरियड पूरा कर लेते हैं। इस व्यवस्था से न तो अधिकारियों के सेवा संवर्ग और न ही राज्य संवर्ग पर कोई फर्क पड़ता है लेकिन मोदी सरकार की नई योजना से यह दोनों प्रभावित होगा। इसलिए नौकरशाहो द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है।
मलाईदार सर्विस के लिए जोड़तोड़
अगर पीएमओ के नवीनतम प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है, तो सैद्धांतिक तौर पर किसी अभ्यर्थी के लिए कम रैंक आने के बावजूद ऊपर की रैंक से मिलने वाली सेवा में पहुंचना संभव हो जाएगा। मान लीजिए कि सिविल सेवा परीक्षा में किसी अभ्यर्थी की रैंक के मुताबिक उसे सिर्फ इंडियन डिफेंस अकाउंटस सर्विस मिल सकती है, लेकिन इस प्रस्ताव के बाद वह लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (एलबीएसएनएए), मसूरी या सरदार वल्लभभाई पटेल पुलिस एकेडमी (एसवीपीएनपीए) या लोक सेवकों के लिए दूसरी अकादमियों में फाउंडेशन कोर्स में प्रदर्शन के आधार पर प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा में छलांग लगा सकता है। केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने प्रधानमंत्री कार्यालय के इस प्रस्ताव पर विभिन्न मंत्रालयों से सुझाव मांगा है, मगर इसने पहले ही सेवानिवृत्त, सेवारत और भविष्य के लोक सेवकों को भडक़ा दिया है।
- कुमार राजेंद्र