04-Jun-2018 07:10 AM
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केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत का एक बार फिर मीसाबंदी पेंशन विवाद में नाम उछला है। आरोप है कि गहलोत आपातकाल के दौरान जेल में सिर्फ तेरह दिन रहे हैं, उसके बाद भी उनको 25 हजार रूपए महिना पेंशन दी जा रही है। इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह से की गई है।
जानकारी के अनुसार, अभी हाल ही में उज्जैन जिला प्रशासन द्वारा आपातकाल के दौरान जेल जाने वाले लोगों की पेंशन सूची जारी की गई। इस बार सूची में कुछ मीसाबंदी को एक महीने या उससे अधिक समय तक जेल में रहने पर 25 हजार रुपए पेंशन तो इससे कम अवधि के लोगों को 8 हजार रुपए पेंशन दिया जाना स्वीकृत किया है। इसको लेकर मीसाबंदी में जेल में रहे भूपेंद्र दलाल ने आपत्ति जताई है। उन्होंने प्रमुख सचिव बसंत प्रताप सिंह व मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत सहित 18 लोग एक महीने से कम समय में जेल में रहे हैं बावजूद इसके 25 हजार रुपए पेंशन स्वीकृत कर दी गई, जबकि सभी लोग 13 से 18 दिन ही जेल में रहे हैं।
भूपेंद्र दलाल ने आरोप लगाया कि 25 हजार रुपए पेंशन स्वीकृत कराने वालों ने सिफारिश, तिकड़म और षड्यंत्र रचकर अपनी पेंशन 25 हजार करवा ली है जो अन्य मीसाबंदी के लिए अपमान है। उन्होंने समानता के सिद्धांत के आधार पर मामले की जांच करवाते हुए समान पेंशन दिए जाने की मांग की है। मुख्य सचिव से की गई शिकायत में भूपेंद्र दलाल ने भैरवगढ़ जेल से मीसाबंदी के बंद होने की अवधि के दस्तावेज भी सौंपे हैं। वहीं मंत्री गेहलोत के पत्र की कॉपी, कलेक्टर द्वारा लिखे गए पत्र भी दिए हंै। भूपेंद्र दलाल कहते हैं कि गहलोत सिर्फ 13 दिन जेल में रहे। प्रशासन ने मिलीभगत कर मंत्री के रसूख के दबाव में आकर 54 दिन जेल में रहना बता दिया।
गहलोत की मीसाबंदी अवधि को लेकर कई तरह के झोल हैं। उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर संकेत भोड़वे ने नवबंर 2016 में सामान्य प्रशासन विभाग को जो पत्र लिखा था, उसमें जेल में रहने की अवधि 45 दिन लिखी थी। इसमें उन्होंने यह हवाला भी दिया है कि 45 दिन जेल में रहने की अवधि मंत्री ने ही अपने आवेदन में अंकित की है। जबकि गहलोत सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि वे 13 दिन जेल में रहे। लेकिन राजनीतिक, सामाजिक व डीआईआर के तहत भी उन्हें उसी दौरान जेल में रहना पड़ा था और यह सब अवधि मिलाकर 54 दिन होती है। 45 दिन के स्थान पर 54 दिन की मीसाबंदी कैसे हो गई? इस सवाल पर भोंडवे कहते हैं कि पूर्व के पत्र में टाइपिंग की गलती से 45 लिखा गया था। मामले में विवाद ज्यादा बढऩे पर उज्जैन जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार ने भी बयान जारी कर गहलोत के बंदी रहने की अवधि 54 दिन बताई।
जेल अधीक्षक ने बयान में कहा कि मीसाबंदी रजिस्टर के अनुसार मीसाबन्दी क्रमांक 252 थावरचन्द पिता रामलाल गहलोत निवासी बिरलाग्राम नागदा 14 नवंबर 1975 को जेल में विचाराधीन बंदी के रूप में दाखिल हुए थे, जिन्हें तत्कालीन जिला दण्डाधिकारी उज्जैन के आदेश अनुसार धारा 3(1)ए2आ.सु. अधिनियम 1971 के तहत 23 दिसम्बर 1975 को हवालाती से मीसाबंदी बनाया गया था। जिला दंडाधिकारी के आदेश क्रमांक क्यू/स्टेनो/76/1111 दिनांक 06 जनवरी 1976 के पालन में 6 जनवरी 1976 को मीसा से रिहा किया गया था। रिकॉर्ड का परीक्षण और सत्यापन करने पर थावरचन्द गेहलोत के जेल में रहने की अवधि 14 नवंबर 1975 से 6 जनवरी 1976 तक कुल 54 दिन होते हैं। बयान से यह साफ है कि 23 दिसंबर 1975 के पूर्व तक जिला दंडाधिकारी ने गहलोत को मीसबंदी घोषित नहीं किया था। नई रिपोर्ट पर जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकर सफाई देते हुए कहते हैं कि जेल में विचाराधीन व अन्य मामलों के कैदी के अलग रजिस्टर होते हैं। पूर्व में रजिस्टर को देखे बगैर मंत्री गहलोत के 13 दिन जेल में रहने की रिपोर्ट भेजी गई होगी।
ये हैं 25 हजार पेंशन के हकदार
उज्जैन जिला प्रशासन ने प्रहलाद पिता विठ्ठल गुप्ता (18 दिन), हीरालाल पिता लखनशाह (18 दिन), राधेश्याम पिता सुंदरलाल मुंदड़ा (13 दिन), गणेश पांडूरंग केलकर (16 दिन), कांतिलाल पिता बसंतीलाल नागर (16 दिन), कैलाश पिता शंकरलाल (16 दिन), बसंत आबाजी बोरकर (13 दिन), मानमल पिता मोहनलाल जैन (13 दिन), कैलाश पिता शंभुदयाल देवल (13 दिन), जगदीश पिता गंगाराम (13 दिन), गुलाब पिता माणिकराव बाघमरे (13 दिन), अवधेश पिता कृष्ण स्वरूप भटनागर (13 दिन), रमेश पिता रामलाल जाट (13 दिन), सुरेश पिता लक्ष्मण भांड (13 दिन), भगवान पिता रामनाराण (13 दिन), थावरचंद पिता रामलाल गेहलोत (13 दिन), रघुवीरपिता हरिसिंह (13 दिन), देवनारायण पिता उमरावसिंह (13 दिन) को भी 25 हजार पेंशन का हकदार बना दिया है।
-सुनील सिंह