21-May-2018 09:06 AM
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महाकाल की नगरी उज्जैन में महर्षि सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान परिसर में भारतीय शिक्षण मंडल, मप्र संस्कृति विभाग व प्रतिष्ठान के संयोजन में आयोजित सम्मेलन में गुरुकुल परंपरा की झलक तीन दिनों तक देखने को मिली। वहीं देश-विदेश के गुरुकुलों को मुख्यधारा से जोड़ेने सहित कई विषयों पर मंथन हुआ, जिनमें गुरुकुलों के संबंध में आगामी योजना, विस्तार, आचार्य निर्माण, आधुनिक शिक्षा में गुरुकुल, प्रशासकीय बाधाएं एवं उपाय आदि विषयों पर पृथक चर्चा हुई।
सम्मेलन में नेपाल के 90, भूटान के 7, म्यांमार के 7, थाईलैंड के 5, जापान के 2 तथा दुबई के 3 प्रतिनिधियों ने शिरकत की। इनके साथ 21 राज्यों के प्रतिनिधि भी यहां पहुंचे। कुल 3702 डेलीगेट्स की मौजूदगी में गुरुकुलों के उत्थान व मुख्य धारा में लाने संबंधी संकल्प पत्र बना। विराट गुरुकुल सम्मेलन में छह देशों के प्रतिनिधियों सहित देश के 1500 गुरुकुलों के प्रतिनिधियों के बीच गुरुकुल में पाठशाला के अलावा जीवनशैली की पांच विधाओं से जुड़ी कलाओं का प्रदर्शन भी किया गया। आयोजन में सर्वाेत्तम भक्ति गुरुकुल द्वारा कृष्णलीला की प्रस्तुति दी गई। वहीं राजस्थान, जोधपुर के वीर लोकांक्षा संस्कृत ज्ञान पीठ ने रोप मलखम्ब की प्रस्तुति दी। कर्णावती गुजरात गो तीर्थ विद्या पीठ द्वारा कलरीपयटू, हेमचन्द्राचार्य संस्कृत पाठशाला द्वारा मलखम्ब प्रस्तुति, जोधपुरा राजस्थान के विद्यार्थियों द्वारा तीरअंदाजी, उज्जैन गुरू अखाड़ा द्वारा मलखम्ब प्रस्तुति दी गई। वहीं हरियाणा जिंद की बालिकाओं ने हरयाणवी गायन प्रस्तुत किया।
तीन दिनी अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल सम्मेलन हुए विचार विमर्श के उपरांत निकले निष्कर्ष से सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों ने संकल्प लिए। जिसके अनुसार प्राचीन काल से समर्थ स्वावलंबी समाज निर्माण करने वाली गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को प्रोत्साहन देने मन, वचन व कर्म से क्रियाशील रहेंगे। अपने क्षेत्र में संचालित गुरूकुलों को समाज पोषित एवं स्वावलंबी बनाने में योगदान देंगे। गुरुकुल शिक्षा को युगानुकूल एवं देशानुकूल बनाने के लिए प्रारूप बनाने का कार्य करेंगे। आधुनिक शिक्षा संस्थानों में गुरुकुल शिक्षा के तत्व, वैज्ञानिक शिक्षण पद्धति, संस्कारक्षम वातावरण निर्मित करने व्यक्तिगत तथा संस्थागत स्तर पर कार्य करेंगे। नवीन गुरुकुलों की स्थापना के लिए भूमि एवं अन्य संस्थाधन उपलब्ध कराने उदारमना दानदाताओं को प्रेरित करेंगे। व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास कर उन्हें समाज एवं राष्ट्रोपयोगी नागरिक बनाने वाली गुरुकुल शिक्षा प्रणाली में अपने बालक-बालिकाओं को प्रवेश दिलाने अभिभावकों को प्रेरित करेंगे। गुरुकुल शिक्षा के इस ज्ञानयज्ञ में अपनी सेवाएं समर्पित करने विभिन्न आचार्यों को प्रेरित करेंगे। समाज और मानवता का कल्याण करने वाली गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के विभिन्न आयामों पर शोध करने एवं कराने शोधार्थी एवं शिक्षाविदों को प्रोत्साहित करेंगे। गुरुकुल के संचालन में आने वाली प्रशासनिक बाधाओं को न्यूनतम करते हुए समकक्षता आदि सुविधाएं प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। भारतीय शिक्षण मंडल के संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने बताया कि गुरुकुल की पढ़ाई 6 साल की उम्र से शुरू होती है। लेकिन 3 साल में बच्चों को स्कूल भेजने की जो परंपरा चल पड़ी है उससे गुरुकुल के सामने एक बड़ी चुनौती है। यह तय करना है कि 6 साल से पहले बच्चे को किस तरह इंगेज किया जाए।
गुरुकुल की शिक्षा को भी मिलेगी मान्यता
देश में चल रहे गुरुकुलों में पढऩे वाले स्टूडेंट्स अगर अपनी गुरुकुल की पढ़ाई कर फिर मेन स्ट्रीम सिस्टम में आना चाहें तो अब यह मुमकिन हो सकता है। कई राज्य सरकारों ने इसके लिए सहमति जताई है कि वह गुरुकुल की शिक्षा को भी दूसरे स्कूल-कॉलेजों की तरह मानने को तैयार हैं। मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने तो ऐलान कर दिया है उनकी सरकार इस दिशा में काम कर रही है। हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब, असम, महाराष्ट्र, उत्तराखंड में भी यह जल्द ही होने की उम्मीद है। सम्मेलन में गुरुकुल कैसे चलने चाहिए और कैसे इन्हें प्रमोट किया जा सकता है इस पर लंबी चर्चा हुई। भारतीय शिक्षण मंडल के संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने बताया, सबसे पहले गुरुकुलों का रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा। इसके लिए कई राज्य सरकारों से बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि गुरुकुलों में छात्रों को नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क से भी ज्यादा पढ़ाया जाता है और अगर लर्निंग आउटकम का टेस्ट लें तो गुरुकुल के स्टूडेंट्स दूसरे स्कूल-कॉलेजों के स्टूडेंट्स से आगे ही होंगे।
-उज्जैन से श्याम सिंह सिकरवार