एक के फेर में कई बदले
21-May-2018 08:54 AM 1234860
मप्र में सरकार एक तरफ तो भ्रष्टाचार के खिलाफ जोर-शोर से अभियान चलाने की बात करती है वहीं दूसरी तरफ भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाले अधिकारियों का साथ नहीं दे रही है। ऐसे में भ्रष्टाचार पर नकेल कैसे लग पाएगी। यह सवाल एक बार फिर से उठने लगा है। वह इसलिए कि 8 मई को सरकार ने 18 आईपीएस अफसरों के जो ट्रांसफर आदेश जारी किए हैं उसमें कई तरह की विसंगतियां देखने को मिली हैं। जानकारों का कहना है कि एक अफसर को हटाने के लिए 17 अन्य अफसरों को इधर से उधर किया गया। वह अफसर हैं विजय यादव। सबसे आश्चर्यजनक तबादला ईओडब्ल्यू में पदस्थ रहे प्रभारी महानिदेशक विजय यादव का रहा। प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में विजय यादव के तबादले को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। दरअसल यादव की पदस्थापना जब से ईओडब्ल्यू में हुई थी वे तभी से ईओडब्ल्यू में दर्ज भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच में जुट गए थे। पूर्व में हुए भ्रष्टाचार के कई मामले जो दबा दिए गए थे वे फिर से जांच में ले लिए गए थे। इससे विभागीय अधिकारियों के साथ दागी अधिकारी भी पशोपेश में थे। जानकारी के अनुसार यादव ने सरकार के अपराध थाने यानी आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में दर्ज 2004 में मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक केंद्र विकास निगम (एमपीएसआईडीसी) में हुए घोटाले सहित लघु उद्योग निगम द्वारा साइकिल खरीदी घोटाला, प्याज खरीदी घोटाला, स्वास्थ्य विभाग के घोटालों सहित दर्जनभर मामलों की परतें खोलने लगे थे। इसी कड़ी में ईओडब्ल्यू में दो महीने पहले राज्य औद्योगिक विकास निगम में कांग्रेस शासनकाल में हुए सात सौ उन्नीस करोड़ के घोटाले मामले में निगम के अधिकारी समेत 42 डिफाल्टर कंपनियों के खिलाफ चालान पेश किया था। जिसके बाद से ईओडब्ल्यू से यादव को हटाने की जमावट शुरू हो गई थी। दरअसल सरकार की मनाही के बाद भी विजय यादव बड़े घोटालों की परतें खोलने में जुटे हुए थे। इससे सरकार की जमीन खिसकती नजर आ रही थी क्योंकि इन मामलों में कई अफसर फंस रहे थे। इसलिए विजय यादव को ईओडब्ल्यू से हटाकर एडीजी एसएएफ बना दिया गया। सरकार द्वारा आईपीएस अधिकारियों के किए गए इस तबादले में एक और विसंगति यह देखने को मिली कि महिला अपराध शाखा की जिम्मेदारी पुरुष एडीजी को सौंपी गई है। महिला अपराध शाखा की जिम्मेदारी अब तक अरुणा मोहन राव संभाल रहीं थी। अब अन्वेष मंगलम एडीजी महिला अपराध होंगे। यह पहली बार है जब महिला अपराध शाखा के गठन के बाद किसी पुरुष अफसर को कमान सौंपी गई है। इस तबादले में एसएएफ एडीजी एसएल थाउसेन को एडीजी उपेंद्र जैन के स्थान पर संचालक खेलकूद एवं युवा कल्याण मप्र बनाया गया है। इधर, 1988 बैच के अधिकारी एसएल थाउसेन की करीब डेढ़ साल में यह तीसरी पदस्थापना हैै। खेल संचालक और ईओडब्ल्यू महानिदेशक का पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। एडीजी उपेंद्र जैन खेलकूद एवं युवा कल्याण विभाग में बेहतर काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें हटा दिया गया। वहीं रिटायरमेंट के 14 महीने पहले आईजी केसी जैन को होशंगाबाद जोन की कमान सौंपी गई है। भारतीय पुलिस सेवा के 1991 बैच के अधिकारी वी. मधु कुमार 27 साल की सेवा में पहली बार मैदानी पोस्टिंग से हटाए गए हैं। वी. मधु कुमार को राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में पदस्थ किया गया है। अपनी अभी तक की सेवाएं फील्ड में देते आ रहे मधुकुमार को ईओडब्ल्यू जैसे महत्वपूर्ण विभाग में पदस्थ करना विभाग को शिथिल करने जैसा है। इसके अलावा अभी हाल ही में एक और विसंगति देखने को मिली। पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने राज्य पुलिस सेवा के 18 एएसपी स्तर के अधिकारियों को तबादले के बाद भी आमद नहीं देने पर एकतरफा रिलीफ कर दिया। इनमें से दो अधिकारी समीर यादव एवं पीएस बघेल के राज्य शासन में पुराने तबादले निरस्त करते हुए नवीन पदस्थपना कर दी है। 6 अप्रैल को जारी तबादला आदेश में भोपाल एएसपी समीर यादव को एएसपी गुना एवं एएसपी बड़वानी टीएस बघेल को एएसपी सीहोर पदस्थ किया गया है। दोनों के तबादलें निरस्त कर समीर यादव को एएसपी सीहोर और बघेल को एएसपी गुना पदस्थ किया है। इससे पुलिस महकमें के अन्य अधिकारियों में रोष है। महिला अफसरों ने बढ़ाई सरकार की मुश्किलें सरकार के कई विभागों में काम और वेतन को लेकर जारी असंतोष के बीच अब महिला अफसर भी मुखर होने लगी हैं। सरकार की तरफ से तमाम दावों के बाद भी महिला अफसरों के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में प्रदेश में महिला अफसरों के बेवजह तबादले के कई मामले सामने आ चुके हैं। संचालक नगर तथा ग्राम निवेश भोपाल स्वाति मीणा नायक को ही ले लीजिए। उन्हें तबादला कर प्रबंध संचालक मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ भोपाल के पद पर पदस्थ किया गया है। स्वाति को संचालक के पद पर छह माह भी नहीं हुए थे। यह पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी महिला अधिकारियों की छोटी-छोटी बातों पर तबादले किए गए हैं। आईएएस अफसर नेहा मारव्या के शिवपुरी जिला पंचायत में सीईओ के पद पर रहते हुए कलेक्टर से कार के विवाद होने के बाद वहां से हटाकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में उप सचिव बनाकर भेजा था, लेकिन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया से पटरी नहीं बैठने के कारण दो माह बाद ही उन्हें कृषि विभाग में उप सचिव बना दिया गया था। -सुनील सिंह
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