पत्थलगड़ी पर सियासी दांव
21-May-2018 08:26 AM 1234801
छत्तीसगढ़ में सत्ता विरोधी लहर के तेज प्रवाह के साथ-साथ प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस का पुनर्जीवित होना, उसके धारदार हमले, संगठन की सक्रियता, नेताओं व कार्यकर्ताओं की एकजुटता तो अपनी जगह है ही, बड़ी वजह है विभिन्न मोर्चों पर राज्य सरकार की नाकामी एवं जन असंतोष का विस्फोट। इस विस्फोट के बीच सरकार के लिए परेशानी की एक और वजह है, जो दिनों दिन बढ़ती जा रही है, वह है पत्थलगड़ी। वैचारिक धरातल पर भले ही वे कितने उथले ही क्यों न हो, शोषण के खिलाफ संघर्ष का ताजातरीन अभियान है पत्थलगड़ी आंदोलन। इसकी शुरुआत आदिवासी बाहुल्य सरगुजा संभाग के जशपुर जिले के कुछ दर्जन गांवों से हुई। 22 अप्रैल को बगीचा विकासखंड के बादलखोल अभ्यारण्य के जंगल क्षेत्र के गांव कालिया, बुटंगा और बच्छरांव में सीमा दर्शाने वाले मोड़ पर ग्रामीणों द्वारा पत्थर गाड़े गए जिसमें यह इबारत अंकित की गई कि इन गांवों में संविधान में उल्लेखित 5वीं अनुसूची की धाराएं लागू है लिहाजा न्यायिक फैसलों के लिए ग्राम सभा ही सर्वोच्च व अधिकार संपन्न है। चूंकि जल, जंगल व जमीन पर गांव के लोगों का ही अधिकार है अत: ग्राम सभा की अनुमति के बगैर कोई भी गांव के संसाधनों का उपयोग नहीं कर सकता। शिलालेख पर यह भी अंकित किया गया कि ग्रामसभा की अनुमति के बिना बाहर के व्यक्ति का गांव में प्रवेश वर्जित है। शिलालेख पर संबंधित कुछ प्रावधानों की गलत ढंग से भी व्याख्या किए जाने की बात कही गई है। बहरहाल इस आंदोलन से सरकार के कान खड़े हो गए। आनन-फानन में पत्थरों को गिरा दिया गया और एक नए राजनीतिक विवाद की शुरुआत हो गई। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह इस आंदोलन के पीछे धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाले लोगों की साजिश करार देते हैं। बहरहाल पत्थलगड़ी आंदोलन एकाएक क्यों उभरा, किसने इसे हवा दी, उसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश तो नहीं आदि बहुतेरे प्रश्न खड़े हो गए हैं जिनका उत्तर समय के साथ मिलेगा ही पर इससे भाजपा की नींद हराम हो गई है। आदिवासियों का इस तरह एकजुट होना, उनका आंदोलन, व्यवस्था के खिलाफ जबर्दस्त आक्रोश, जंग का संकेत है जो चुनाव में भाजपा की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है। आदिवासी वोटों को साधने सरकार व संगठन की पुरजोर कोशिशों पर यह कड़ा प्रहार है। उसके लिए चिंता की बात यह भी है कि कांग्रेस ने भी आदिवासी क्षेत्रों में अपनी पैठ बढ़ा रखी है तथा वोटों के एक साझीदार के रूप में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस भी मौजूद है जो अपने नेता अजीत जोगी के नेतृत्व में पहली बार विधानसभा का चुनाव लडऩे जा रही है। बस्तर तथा सरगुजा संभाग जोगी के भी फोकस में है। बहरहाल अभी यह नहीं कहा जा सकता कि मुख्यमंत्री ने पत्थलगड़ी के पीछे धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाली ताकतों की ओर इशारा क रके इसाई समुदाय के लोगों को नाराज कर दिया है। राज्य में इस समुदाय के लोगों की संख्या करीब पांच लाख है। सरगुजा संभाग में कई सीटें ऐसी हैं जहां इनकी अच्छी खासी आबादी है। कुनकुरी, पत्थलगांव व लुंड्रा में इस समुदाय का दबदबा है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अजीत जोगी को मिशनरियों का पूरा समर्थन प्राप्त होता रहा है। चूंकि वे अब अलग पार्टी लेकर मैदान में है लिहाजा मिशनरियां उनके समर्थन में आदिवासी वोटों को प्रलोभित कर सकती है। उनकी इस संभावित मुहिम को भाजपा के प्रति नाराजगी के रूप में देखा जा सकता है। यानी पत्थलगड़ी आंदोलन छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के लिए राजनीतिक दृष्टि से लाभकारी सिद्ध हो सकता है। आदिवासी वोटों का यदि इस तरह धु्रवीकरण होगा तो उम्मीद की जा सकती है कि छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का सरगुजा संभाग में खाता खुलेगा। वैसे कांगे्रस व छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस की जांच कमेटियों ने जो रिपोर्ट दी है उसके अनुसार मूलभूत सुविधाओं का अभाव पत्थलगड़ी आंदोलन का एक बड़ा कारण है। इसीलिए आदिवासियों का सरकार पर से भरोसा उठ गया है तथा वे अपना अधिकार चाहते हैं। सीटों को बचाने की चुनौती भाजपा इस बात से चिंतित है कि मौजूदा समय में अनुसूचित जाति की सीटों पर वह अपने वर्चस्व को कैसे बचाए रखें। वर्तमान में इस वर्ग के लिए आरक्षित दस में से 9 सीटें भाजपा के कब्जे में है। इन 9 सीटों पर उसका पुन: चुनाव जीतना लगभग नामुमकिन है। यानी इस वर्ग से भाजपा की सीटें घटना तय है। यह इसलिए भी क्योंकि व्यवस्था के खिलाफ जनविरोध लगातार तेज होता जा रहा है। यदि इसे रोकने के प्रयत्न नहीं हुए तो जाहिर है उसे शिकस्त हाथ लगेगी। इसलिए सत्ता व संगठन का समूचा ध्यान सरकार के पक्ष में वातावरण बनाने, विकास कार्यों को तीव्र करने, जनता को उसका अहसास कराने तथा जन संगठनों की जायज मांगों पर त्वरित निर्णय लेने में है। इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि चुनाव आचार संहिता लागू होने से पूर्व सरकार कुछ ऐसे कदम उठा सकती है जो उसकी दृष्टि से सत्ता कायम रखने में लाभकारी सिद्ध होंगे। -रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^