26-Apr-2018 12:08 PM
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भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनाव पर अपनी कड़ी नजरे बनाए हुए हैं। लगातार केन्द्रीय नेतृत्व पार्टी की अंदरुनी बैठकों के माध्यम से भाजपा के पदाधिकारियों और नेताओं की नब्ज टटोल रहा हैं। जिस तरह से पिछले दिनों राज्यसभा चुनाव में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक का नाम राज्यसभा के लिए खूब सुर्खियों में रहा, लेकिन बाद में केन्द्रीय नेतृत्व ने राज्यसभा के लिए भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री सरोज पांडेय का नाम आगे कर दिया।
हालांकि छत्तीसगढ़ भाजपा संगठन ने स्पष्ट कर दिया हैं कि उनकी पार्टी के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में मौजूदा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जायेगा। भाजपा विधायक श्रीचंद सुंदरानी और प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि वर्तमान नेतृत्व के सहारे ही भाजपा आगामी चुनाव लड़ेगी।
भाजपा के मध्यप्रदेश और राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष बदलने के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस मानती है कि इस बार छत्तीसगढ़ में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की कमान रमन सिंह के समर्थक को नहीं बल्कि सरोज पांडेय के समर्थक को देने की तैयारी की जा रही है। पीसीसी संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी कहते हैं कि संगठन संबंधी निर्णय भाजपा का अपना आंतरिक मामला है, लेकिन जैसी सुगबुगाहट है उससे साफ है कि चुनाव से पहले नेतृत्व बदल सकता है।
छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। देश में पिछड़ों को मुद्दा बनाने में जुटी भाजपा के तेवर देखकर कांग्रेस भी अब सतर्क हो गई है। कांग्रेस को लगता है की भाजपा के पिछड़ा वर्ग की राजनीति को मात देना है तो उसके लिए अभी से तैयारी करनी होगी। इसी सिलसिले में कांग्रेस पिछड़े वर्ग के लोगों को अपने पाले में लाने की कवायद में जुट गई है।
छत्तीसगढ़ में 46 से 48 प्रतिशत की जनसंख्या ओबीसी की है। भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए चुनाव में ओबीसी ट्रम्प कार्ड साबित हो सकते हैं। छत्तीसगढ़ में साल 2013 की बात करें तो बड़े पैमाने पर ओबीसी वर्ग के लोगों ने भाजपा के पक्ष में वोट दिया था। प्रदेश में ओबीसी वर्ग के दबदबे का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 90 सीटों वाली विधानसभा में करीब 23 विधायक ओबीसी वर्ग के हैं। इसमें 9-9 विधायक साहू और कुर्मि जाति के हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक दोनों ही ओबीसी वर्ग से आते हैं।
छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग में सबसे अधिक जनसंख्या साहू समाज की करीब 12 प्रतिशत है। ऐसे में दोनों ही पार्टियां साहू समाज को साधने में लगी रहती हैं। पिछले चुनाव में भाजपा के पांच विधायक साहू समाज के जीते थे। इसमें एक रमशीला साहू को मंत्री बनाया गया है। इसके अलावा यादव समूदाय करीब 9 प्रतिशत, मछुआरा समुदाय करीब 7 प्रतिशत व कुर्मि करीब 5 प्रतिशत के साथ राजनीति में खासा दखल रखते हैं। छत्तीसगढ़ में भाजपा पिछड़े वर्गों को लुभाने के लिए जोर-शोर से जुटी हुई है। राज्य में पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण का गठन भी किया गया है। इसे देखते हुए अब कांग्रेस सक्रिय हो गई है। कांग्रेस का सरायपाली में आयोजित पिछड़ा वर्ग सम्मेलन भी इसकी कड़ी थी। कांग्रेस अपने को पिछड़ों के करीब दिखाने की कोशिश कर रही है। उसे लगता है कि सबसे ज्यादा आबादी वाले पिछड़ों को साधे बिना सत्ता का ख्वाब पूरा नहीं हो सकता। पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल व कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय अध्यक्ष ताम्रध्वज साहू भी मानते हैं कि इस वर्ग के सपोर्ट के बिना सत्ता में आना लगभग नामुमकिन है। ऐसे में पिछड़ा वर्ग से आने वाले इन दो नेताओं ने ओबीसी वोटर को साधने के लिए रणनीति के तहत काम करना शुरू कर दिया है।
कौशिक के नेतृत्व में ही चुनाव
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश भाजपा संगठन में बदलाव की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। कर्नाटक दौरे से लोटकर मीडिया से चर्चा करते हुए सीएम डॉ. रमन सिंह ने कहा कि मुझे नहीं लगता प्रदेश में भाजपा संगठन में बदलाव की दूर-दूर तक भी कोई संभावना है। धरमलाल कौशिक के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा। सीएम डॉ. रमन सिंह ने कहा कि प्रदेश संगठन बेहतर काम कर रहा है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में हालात दूसरे थे। बता दें कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इन दिनों देश भर में संगठन में नई जान फूंकने की कवायद में लगे हुए हैं। अमित शाह ने हाल ही में मध्यप्रदेश, राजस्थान और आंध्रप्रदेश में भाजपा अध्यक्षों से इस्तीफा ले लिया, जिससे यह कयास लगाए जाने लगे थे कि छत्तीसगढ़ में भी बदलाव होगा, लेकिन सीएम डॉ. रमन सिंह ने ऐसी किसी संभावना से इनकार कर दिया।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला