04-Jul-2013 09:29 AM
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मध्यप्रदेश में राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की हताशा कम होने का नाम नहीं ले रही है। लगता है इन अधिकारियों के आईएएस बनने के सपने, सपने ही रह जाएंगे। जिस तरह से डीपीसी में विलंब हो रहा है उसे देखते हुए अब बहुत से अधिकारी हताश हो गए हैं। पिछले दिनों मंत्रालय में एक दिन के तीन राउंड में भी डीपीसी पूरी नहीं हो पाई। दूसरे दिन मौका तो लगा पर संभागीय आयुक्त उपलब्धता नहीं होने के कारण डीपीसी नहीं हो सकी। हाल ही में राज्य प्रशासनिक सेवा के चुनाव हो जाने के बाद उन्होंने सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली थी। परंतु सरकार के कुछ आला अफसरों के चलते उन्होंने अपना मन बदल लिया था। पहले यह समझा जा रहा था कि देर आयद दुरुस्त आयद की तर्ज पर प्रमोशन की राह देख रहे इन अधिकारियों को कुछ राहत मिल सकेगी, लेकिन अब ऐसा होता संभव नहीं दिखाई दे रहा है। इस ढीलम पोल में दबी जबान से राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर अश्विनी राय सचिव कार्मिक की भूमिका को संदेहास्पद मानते हैं। उनका कहना है कि जो कुछ विलंब हुआ है उसके पीछे कार्मिक विभाग के सचिव ही जिम्मेदार हैं। लेकिन इतना अवश्य है कि वर्षों से आईएएस बनने का सपना देख रहे इन अधिकारियों को हताशा ही हाथ लगी है। पहले तो राज्य शासन इन अधिकारियों की डीपीसी कर दे उसके बाद में आईएएस बनने वाले अधिकारियों की डीपीसी की प्रक्रिया चालू होगी।
वर्तमान में रा.प्र.से. केडर में 5 वेतनमानों का प्रावधान है। कनिष्ठ श्रेणी वेतनमान (15600-39100, ग्रेड पे-5400), वरिष्ठ श्रेणी (15600-39100, ग्रेड पे-6600), प्रवर श्रेणी (15600-39100, ग्रेड पे-7600), वरिष्ठ प्रवर श्रेणी (37400-67000, ग्रेड पे-8700) एवं अधिसमय वेतनमान (37400-67000, ग्रेड पे-8900) प्रचलित है। राज्य प्रशासनिक सेवा की लंबे समय से चली आ रही मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने अधिसमय वेतनमान विगत वर्ष दिया था और इसमें 14 पद निर्धारित किये थे। स्थिति यह है कि आज भी अधिकारियों को चतुर्थ वेतनमान जो प्रवर श्रेणी वेतनमान में छह वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने पर मिल जाना चाहिए था वह 9 से 10 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने पर भी नहीं मिला है। यही स्थिति प्रवर श्रेणी वेतनमान के संबंध में भी है। जहां वरिष्ठ श्रेणी में चार वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर यह वेतनमान मिलता है। उसमें भी दोगुना समय अर्थात् 8 वर्ष होने पर भी प्रवर श्रेणी वेतनमान नहीं मिला है। इसको लेकर अधिकारियों का असंतोष बढ़ता ही जा रहा है। सूत्रों से पता चला है कि डिप्टी कलेक्टर से 90 संयुक्त कलेक्टर बनेंगे वहीं संयुक्त कलेक्टर से 22 अधिकारी अपर कलेक्टर बनेंगे और अपर कलेक्टर से 44 अधिकारी वरिष्ठ प्रवर श्रेणी का वेतनमान प्राप्त करेंगे एवं चार अधिकारी अधिसमय वेतनमान प्राप्त करेेंगे।
रापुसे को भी करना होगा इंतजार
एडीशनल एसपी से आईपीएस अवार्ड के लिए लाइन में लगे अधिकारियों को भी अभी इंतजार करना होगा। एडीशनल एसपी से आईपीएस अवार्ड के लिए जो पद भरे जाने हैं उनमें 01-01-13 की स्थिति में 1990 बैच के अधिकारियों को परीक्षाएं नहीं देनी होंगी। भारत सरकार ने इस बारे में अभी कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है कहा जा रहा है कि 01-01-13 के बाद भारत सरकार द्वारा राज्य पुलिस सेवा से आईपीएस एवं राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस के लिए परीक्षाएं आयोजित होने की संभावनाएं प्रबल मानी जा रही हैं। वर्तमान में 1990 बैच के वैसे तो 14 अधिकारी आईपीएस के लिए दावेदार हैं, किंतु पदों की संख्या को देखते हुए 7 अधिकारियों को ही आईपीएस अवार्ड होगा। जिनकी डीपीसी की तारीख 8 जुलाई तय हुई थी। परंतु सूत्रों से पता चला है कि बाकी बचे कुछ अधिकारियों में से किसी ने यूपीएससी के किसी मेम्बर को अपना सुनाया है इसके चलते डीपीसी की तय तारीख में न होकर कोई और तारीख में डीपीसी होगी। परंतु यह तय है कि 01-01-13 की स्थिति में आज नहीं तो कल डीपीसी की तारीख मिलेगी क्योंकि दूसरे राज्यों में भी इसी तरीके की स्थिति के मद्देनजर उन राज्यों को डीपीसी की तारीख मिल चुकी है। वैसे जो अधिकारी आईपीएस प्रमोट होने की लाइन में लगे हैं उनमें अनिल कुशवाह, आरआरएस परिहार, राजेश कुमार हिंगनकर, अंशुमन सिंह, मनीष कपूरिया, अरविंद कुमार सक्सेना और अविनाश सिंह शामिल हैं। अगर डीपीसी में विलंंब होता है तो कटनी, नरसिंहपुर, अनूपपुर व रायसेन जिलों के एसपी बदले जाएंगे क्योंकि इनमें से कटनी और नरसिंहपुर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पदस्थ हैं जबकि इन जिलों में काडर पोस्ट आईपीएस की है। इनमें से कटनी व नरसिंहपुर में पदस्थ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षकों को आईपीएस अवार्ड होना बाकी है। उधर राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के वेतनमान से संबंधित विभागीय छानबीन के संबंध में (एक जनवरी 2013) की स्थिति में हाल ही में बैठक होने वाली है। यह वेतनमान की बैठक चार श्रेणियों की है वरिष्ठ श्रेणी, प्रवर श्रेणी, वरिष्ठ प्रवर श्रेणी एवं अधिसमय वेतनमान। उधर बगैर पद के 1982 बेच के अधिकारी अजयनाथ की पदोन्नति हाल ही में अपर मुख्य सचिव के पद पर हो गई है। उसको लेकर आईपीएस अधिकारियों ने भी अपने 5 पद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है। उनका कहना है कि जब आईएएस को बगैर पद के पदोन्नति दी जा सकती है तो हमें क्यों नहीं।
कुमार राजेंद्र