27-Apr-2018 06:16 AM
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अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंदन के वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हॉल में भारतीय समुदाय के लोगों के सामने मौजूद थे। इस बार महज 2000 चुनिंदा लोगों को ही बुलाया गया था। लेकिन, इस बार प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन नहीं बल्कि संवाद था। इस कार्यक्रम का संचालन गीतकार प्रसून जोशी ने किया जिसका नाम था भारत की बात, सबके साथ। इस दौरान हॉल में मौजूद कुछ लोगों ने भी मोदी से सवाल किए। दो घंटे से भी ज्यादा वक्त तक चले सवाल-जवाब मोदी की पिछली ब्रिटेन यात्रा से थोड़ा अलग था, क्योंकि उस बार लंदन के वेम्बले स्टेडियम में उन्होंने साठ हजार के करीब भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया था।
उस दौरान मोदी ने विदेशी जमीन से अपनी सरकार की तरफ से उठाए जाने वाले कदम और अपनी सरकार के विकास के सपने का एक खाका खींचा था। मोदी पूरी दुनिया में बदलते भारत की एक तस्वीर और उस बदलाव को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाने में लगे थे। भारतीय समुदाय को फिर से भारत की तरफ खींचने और वहां से भारत में बैठे लोगों को संदेश देने की कोशिश थी, सही मायने में अपने देश के अंदर और बाहर हर जगह भारत की ब्रांडिंग की कोशिश भी थी।
लेकिन, इस बार का माहौल बिल्कुल अलग था। अब मोदी सरकार के चार साल बीत चुके हैं। लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती अब शुरू होने वाली है, क्योंकि वक्त सिर्फ एक साल का बचा है। लेकिन, इन चार सालों के बाद देश के भीतर ही जिस तरह से कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है, उनको जवाब देने की तैयारी मोदी ने कर ली है।
इसकी शुरूआत पहली बार विदेशी धरती से ही हुई। लंदन के वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हॉल में मोदी ने सुशासन को लेकर अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। अपने फकीरी जीवन और उस जीवन में कभी ठहराव का नहीं होना, मोदी की लोकप्रियता को नई उंचाइयों पर पहुंचाता रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री पद से लेकर देश के प्रधानमंत्री पद तक रहते हुए अपने दामन को दागरहित रखकर मोदी ने अपने विरोधियों के हमले को हमेशा ही कमजोर कर दिया है।
लेकिन, सुशासन और ईमानदारी के साथ-साथ बचपन की अपनी गरीबी को भी मोदी ने हमेशा अपने पक्ष में भुनाया है। देश के गरीबों से अपने-आप को जोड़कर वो गरीबों के सशक्तिकरण की बात करते हैं। उनके भीतर गरीबी हटाओ का नारा देने वालों को लेकर एक कटाक्ष भी रहता है। सेंट्रल हॉल के कार्यक्रम के दौरान भी मोदी ने एक बार फिर से अपने-आप को गरीब का बेटा बताकर देश के लिए हर वक्त काम करने की बात दोहराई। कार्यक्रम की शुरुआत में ही प्रसून जोशी की तरफ से वडनगर के रेलवे स्टेशन से लंदन के रॉयल पैलेस तक के सफर का जिक्र होने पर मोदी ने कहा रेल की पटरी वाला नरेंद्र मोदी है, रॉयल पैलेस वाला 125 करोड़ लोगों का प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी है।Ó सेंट्रल हॉल के कार्यक्रम की रूपरेखा ऐसी तैयार की गई थी, जिसमें मोदी को हर क्षेत्र के बारे में बोलने का मौका मिला। प्रसून जोशी ने मोदी से देश के भीतर लोगों की आतुरता और बेसब्री पर सवाल किया तो इस पर उनका जवाब था लोगों को सबसे ज्यादा अपेक्षा है हमसे क्योंकि हम पर भरोसा है। जिस दिन यह बेसब्री खत्म हो जाएगी उस दिन देश के काम नहीं आऊंगा।Ó
दरअसल देश के भीतर सरकार के चार साल पूरा होने के बाद विपक्षी पार्टियां और मोदी विरोधी उनके वादे और उस पर हुए अमल पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन, मोदी ने इस मंच से इसे अपनी सरकार के किए गए नेक कामों से जोड़कर यह दिखाने की कोशिश की है कि उनकी सरकार से लोगों को अपेक्षाएं हैं, उन्हें उम्मीद मोदी से है, जिसके चलते उनके भीतर आतुरता है, अधीरता है और बेसब्री भी। हालांकि मोदी ने विकास को जनआंदोलन बनाने की कोशिश की है। उनका कहना है कि अकेले सरकारों के भरोसे विकास नहीं हो सकता। इसके लिए हर व्यक्ति और हर तबके को मिलकर आगे बढऩा होगा। महात्मा गांधी के आजादी के आंदोलन को जन आंदोलन में तब्दील करने के तरीके से मोदी ने विकास को आज की तारीख में जन आंदोलन में बदलने की अपील की।
उनका एक-एक शब्द और एक-एक वाक्य भारतीय लोगों और देश के भीतर कई संदेश देने वाला था। अभी कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ हुई दरिंदगी के बाद बने हालात को लेकर सरकार निशाने पर रही है। इसके अलावा यूपी में उन्नाव की घटना को लेकर भी विपक्ष ने प्रधानमंत्री को घेरने की कोशिश की थी। सेंट्रल हॉल से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करने की अपील की।
आयुष्मान योजना को मोदी सरकार बड़े गेम चेंजर के रूप में मानकर चल रही है। अपने कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने आयुष्मान योजना से देश के लगभग 50 करोड़ गरीब परिवारों को होने वाले फायदे के साथ-साथ देश भर में स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार की तरफ से उठाए गए कदम का भी जिक्र किया। जिसमें जरूरी दवाईयों की कीमत में भारी कमी हुई है। हालांकि प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की सौभाग्य योजना, उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना, स्किल डेवेलपमेंट योजना से लेकर और कई योजनाओं का जिक्र किया। अलग-अलग सवालों के जवाब में उनकी कोशिश सरकार के चार साल के काम को देश की जनता के सामने बेहतर ढंग से पेश करने की ही रही। लेकिन, इस दौरान उन्होंने अपनी सरकार की पांच साल की तुलना पिछली सरकारों से करने की चुनौती भी दे दी। मोदी ने कहा अगर इस पांच साल की पहले की सरकारों से तुलना करोगे, तो पाओगे कि हमने कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी है।Ó
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में हावी होते विपक्ष पर हमला करने के लिए नए-नए प्लेटफार्म खोज रहे हैं। प्रधानमंत्री की कोशिश है कि एकजुट हो रहे विपक्ष को किसी भी तरह एक न होने दे। इसलिए उनके निशाने पर कांग्रेस है। मोदी को लगता है कि अगर विदेश में रह रहे भारतीयों के मन में यह बात समा गई की कांग्रेस से देश का नुकसान होगा तो 2019 में उनकी सरकार फिर बन सकती है।
पाकिस्तान और सर्जिकल स्ट्राइक
मोदी सरकार की विदेश नीति और पाकिस्तान की पॉलिसी को लेकर विपक्ष हमेशा सरकार की आलोचना करता रहा है। लेकिन, मोदी इसे ही अपनी ताकत के तौर पर देखते हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही पूरी दुनिया में मोदी के विदेश दौरे पर सवाल उठाने वाले लोगों को भी उन्होंने अपने ही अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा आजादी के 70 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री के इजरायल नहीं जाने से किसने रोका था और फिर जिस दिन जरूरत पड़ी फिलीस्तीन भी जाउंगा। दुनिया भर में भारत की नई पहचान दिलाने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी विदेश नीति पर सवाल खड़ा करने वाले आलोचकों के मुंह बंद करने की पूरी कोशिश की। पाकिस्तान को लेकर सरकार की पॉलिसी और सीमा पार से चलाई जा रही आतंकी कोशिशों के जवाब में मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र किया। कार्यक्रम के दौरान कहा जब कोई टेररिजम एक्सपोर्ट को उद्योग बनाकर रखा है तो निर्दोषों को मार रहा है। उनके भीतर सामने से युद्ध लडऩे की ताकत नहीं है तो पीठ में वार कर रहे हो, बुजदिलों ने सेना के जवानों को मौत के घाट उतार दिया। इसलिए सर्जिकल स्ट्राइक किया।Ó मोदी ने कहा कि हमने ईंट का जवाब पत्थर से दिया।
दिखी चुनावी झलक
कर्नाटक में विधानसभा के चुनाव 12 मई को हो रहे हैं। ऐसे में 12 वीं सदी के महान धर्म गुरु बसवेश्वर गुरु का जिक्र कर मोदी ने कर्नाटक के लिंगायत समुदाय को भी लंदन से ही एक संदेश दिया। बसवेश्वर लिंगायत पंथ के संस्थापक थे। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के वोट को लेकर बीजेपी-कांग्रेस में काफी खींचतान चल रही है। ऐसे में मोदी का बसवेश्वर गुरु की तारीफ उनको याद करना कर्नाटक चुनाव में लिंगायत को लुभाने की कोशिश के तौर पर ही देखा जा रहा है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सेंट्रल हॉल का पूरा कार्यक्रम इस तरह से तैयार किया गया था जो अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी का आगाज करने वाला लग रहा था। हर क्षेत्र से जुड़े सवाल और अपनी सरकार की बात को बारीकी और गंभीरता से मंच पर रखने के उनके अंदाज ने उनके चुनावी आगाज की याद दिला दी। शायद विदेशी धरती से निकला संदेश हिंदुस्तान में ज्यादा प्रभावी हो सके, इसी उम्मीद में इस मैराथन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
-दिल्ली से रेणु आगाल