17-Apr-2018 06:17 AM
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काला हिरण शिकार मामले में फिल्म अभिनेता सलमान खान को सुनाई गई सजा से स्वाभाविक ही यह संदेश गया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। गौरतलब है कि 5 अप्रैल को जोधपुर की एक अदालत ने सलमान खान को पांच साल की सजा सुनाई, और इसके साथ ही वे हिरासत में ले लिये गए। अलबत्ता अदालत ने इस मामले के अन्य चार आरोपी बॉलीवुड सितारों- सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे और नीलम- को बरी कर दिया। भारत में यों भी अदालती कार्यवाही कछुआ चाल से चलती है। यह मामला भी उसकी मिसाल है, जिसमें फैसला करीब दो दशक बाद आया है। मामले की सुनवाई उन्नीस साल से चल रही थी। लेकिन ढाई दिन की जेल में रहने के बाद उनकी जमानत हो गई।
जोधपुर की अदालत ने सलमान खान को फिल्म ‘हम साथ-साथ हैं’ की शूटिंग के दौरान कांकणी गांव के भगोदा की ढाणी में दो काले हिरणों को मारने का दोषी पाया है। हमारे देश में काफी अरसे से यह आम धारणा रही है कि अगर आरोपी धनी और ताकतवर या पहुंच वाले हों, तो वे प्राय: बच निकलते हैं। इसीलिए सलमान खान के प्रशंसकों को ही नहीं, बहुत-से अन्य लोगों को भी लगता था कि वे शायद बरी हो जाएंगे। पहले ही शिकार के दो अलग-अलग मामलों और ‘हिट ऐंड रन’ यानी सडक़ पर गाड़ी से कुचल कर एक व्यक्ति को मार डालने के मामले में उनके बच जाने से भी इस धारणा को बल मिला था। हालांकि हाल में कई काफी रसूख वाले आरोपियों के भी जेल जाने के उदाहरण दिए जा सकते हैं और अब इस सिलसिले में सलमान खान को सुनाई गई सजा का भी हवाला दिया जाएगा।
दरअसल, ऐसी मिसालों से ही न्याय-व्यवस्था पर लोगों का भरोसा मजबूत होता है। यह और पुख्ता हो, इसके लिए जरूरी है कि हमारी न्याय प्रणाली की गति बढ़ाई जाए। पर्यावरण और वन्यजीव रक्षा के कानूनों के उल्लंघन के जाने कितने मामले होंगे जिनमें किसी को सजा नहीं हुई होगी। पर विलुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में रखे गए दो जानवरों का शिकार करने के मामले में सिनेमा की इतनी बड़ी हस्ती को सजा हुई है, तो इसका श्रेय राजस्थान के विश्नोई समाज को जाता है जिन्होंने मामले को तार्किक परिणति तक ले जाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी। उधर, सलमान को जमानत मिलने के बाद इस समाज के लोग एक बार फिर आक्रोशित हैं। विश्नोई समाज के लोगों का कहना है कि ये बेहद अहम मामला है जिसे बेहद आम तरीके से ही डील किया जा रहा है। अगर सलमान खान की जगह कोई और होता तो भी मामला इतना ही गंभीर होता और उसे भी माफ नहीं किया जाता। ये हमारे देश की सरकारी प्रक्रिया है जिसके चलते मामला इतना लंबा खिंच गया। जानवरों से प्यार करने वाले लोगों का भी यही मानना है कि सलमान हो या कोई और लेकिन जानवरों के प्रति क्रूरता दिखाने वाले व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिए।
विश्नोई समाज के वकील का तो कहना ये है कि सलमान खान की जगह अगर कोई और व्यक्ति होता तो उसे अब तक सजा हो गई होती, सलमान खान ने तो कायदे से सजा भुगती ही नहीं है, वो पहले महज 19 दिन जेल में रहे और अब ढाई दिन में जमानत मिल गई। हम इस लड़ाई को और आगे ले जाएंगे।
सजा भी और संदेश भी
जेल में रहने का दर्द कैसा होता है, ये भले आप और हम नहीं समझ सकते हैं, लेकिन बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान इसे बखूबी समझते हैं। काले हिरण के शिकार के मामले में जोधपुर कोर्ट ने उन पर फैसला सुनाते हुए 5 साल जेल की सजा सुनाई है। हालांकि वे ढाई दिन बाद बाहर आ गए। लेकिन कोर्ट के इस फैसले को सजा और संदेश दोनों माना जा रहा है। यही नहीं इस घटनाक्रम से लोग सबक भी लेंगे। दरअसल देश में वन्यजीव कानून को हल्के में लिया जाता रहा है। लेकिन विश्नोई समाज ने के जिद्द और जज्बे ने सलमान को जेल की हवा खिला ही दी। विश्नोई समुदाय के लिए काले हिरणों की बड़ी मान्यता है। वे मानते हैं कि काले हिरण के रूप में ही उनके धार्मिक गुरु भगवान जंभेश्वर का पुनर्जन्म हुआ, जिन्हें जंबाजी के नाम से भी जाना जाता है। भारत में काले हिरण आमतौर पर गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और राजस्थान में पाए जाते हैं। सलमान खान को पांच साल की सजा सुनाए जाने के बावजूद विश्नोई समुदाय संतुष्ट नहीं है; वे इस बात से नाराज हैं कि बाकी आरोपी सितारों को क्यों बरी कर दिया गया; उन्हें भी सजा दिलाई जा सके इसके लिए उन्होंने ऊपरी अदालत में अपील करने की बात कही है। आगे इस मामले की कानूनी लड़ाई में जो भी मोड़ आए, फैसले से इस बात की उम्मीद जरूर जगी है कि वन्यजीव कानून को अब हल्के में नहीं लिया जाएगा।
-विशाल गर्ग