अपराध की जड़ पोर्न साइट्स
27-Apr-2018 06:10 AM 1234817
भारत में स्त्री को देवी का स्वरूप माना गया है, लेकिन इस देश में देवी स्वरूपा महिलाओं और बच्चियों के साथ लगातार छेड़छाड़ और बलात्कार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। स्थिति इतनी विकट हो गई है कि सरकार ने बारह साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार करने पर फांसी की सजा का प्रावधान कर दिया है। उसके बाद भी रेप की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। देश में बढ़ती रेप की घटनाओं के पीछे पोर्न साइट्स को भी एक  कारण माना जा रहा है। अभी हाल ही में मध्यप्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने भी ऐसी घटनाओं के लिए पोर्न साइट्स को जिम्मेदार ठहराया है। भूपेंद्र सिंह का कहना है कि उन्होंने एक सर्वे कराया था, जिसमें पोर्न साइट्स ऐसे मामलों की प्रमुख वजह बनकर सामने आई थी। इसके साथ ही मंत्री ने कहा कि उन्होंने ऐसी 25 साइट्स को बंद करवा दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने पोर्न साइट्स को बैन करने की मांग भी की है। लेकिन यह संभव नहीं है क्योंकि इनका नेटवर्क विश्वव्यापी है। उल्लेखनीय है कि 16 जनवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पोर्न साइट्स, खासतौर से चाइल्ड पोर्न साइट्स को ब्लॉक करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए थे। उसके बाद सरकार ने सैंकड़ों साइट्स को ब्लॉक भी किया था, लेकिन पोर्न साइट्स गाजर-घास की तरह लगातार पनपती जा रही हैं। केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार इस तरह की चार करोड़ से ज्यादा वेबसाइट्स हैं, जितने समय में एक साइट ब्लॉक की जाती है, उतनी ही देर में नई वेबसाइट अस्तित्व में आ जाती है। इसकी वजह यह है कि गूगल पर भारत का कंट्रोल नहीं है। जब तक गूगल पर कंट्रोल नहीं होगा तब तक एक साइट बंद करने पर कई साइट्स खुल जाती है। पोर्न को लेकर इतना जबर्दस्त उफान क्यों है? यह मंथन इस वक्त इसलिए जरूरी है क्योंकि 2015  में भारत सरकार ने पहले 857 पोर्न साइट्स पर पाबंदी लगाई, फिर 72 घंटे के अंदर करीब 700 साइट्स को ओपन कर दिया। मंथन इस बात पर भी होना चाहिए कि क्या पोर्न साइट्स को बैन कर देना ही एक मात्र सॉल्यूशन है? या कुछ और भी उपाय किए जा सकते हैं जिससे भारत में लगातार बढ़ रही यौन हिंसाओं पर लगाम लगाई जा सके। भारत में पोर्नोग्राफी की स्वतंत्रता ने अंडर एज बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित किया है। बच्चों से संबंधी पोर्नोग्राफी भी बढ़ती जा रही है। करीब चालीस हजार वेबसाइट्स बिना किसी तरह के चार्ज किए आसानी से पोर्न कंटेंट आपको उपलब्ध कराती हैं। यही कारण है कि एक स्कूल बस का ड्राइवर अपने खाली समय में अपने मोबाइल पर पोर्न फिल्में देखने के बाद जब छोटी-छोटी बच्चियों को बस में बैठाता है तो उसकी नजरों में हैवानियत नजर आती है। इस वक्त भारत का शायद ही कोई ऐसा शहर बचा होगा जहां छोटी बच्चियों के साथ यौन हिंसा नहीं हुई होगी। जिस दिन पोर्न साइट्स के बैन पर बहस हो रही थी, उसी दिन बंगलुरू में एक स्कूल बस के ड्राइवर ने स्कूल गोइंग मासूम बच्ची के साथ जो किया वह समाज को आइना दिखाने के लिए काफी है। हम यह भी क्यों भूल जाते हैं कि इसी तरह के कंटेंट ने बच्चों को समय से पहले ही जवान करना शुरू कर दिया है। वर्ष 2013-14 में पड़ोसी देश चीन में क्लीनिंग द वेबÓ अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के काफी बेहतर रिजल्ट सामने आए। कई अश्लील साइट्स को पूरी तरह बंद कर दिया गया। फ्रांस ने किंडर सर्वरÓ शुरू करके बच्चों को प्रोटेक्ट करने का अभियान शुरू किया है। पर अफसोस इस बात का है कि भारत में इस संबंध में अब तक कानून का कोई प्रावधान ही नहीं है। भारत सरकार ने एक दु:साहसी कदम तो उठाया पर इस कदम को कानून के दायरे में बांधने की भी जरूरत है। अभी तो हिमायती लोग सुप्रीम कोर्ट का हवाला दे रहे हैं पर सुप्रीम कोर्ट ने यह भी तो कहा है कि गंभीरता से सोचें। यह गंभीरता बेहतर तरीके से सोच-समझकर कानून बनाने की ओर इशारा है। इस पर मंथन किया जाना बेहद जरूरी है। अगर सरकार गंभीर नहीं हुई तो कानून का भय भी लोगों को गलत काम करने से रोक नहीं पाएगा। दरअसल बलात्कार एक मानसिक बीमारी की अवस्था का परिणाम होता है और यह अश्लीलता से उत्पन्न होता है। 700 करोड़ का कारोबार भारत में डिजिटल पोर्नोग्राफी का बाजार करीब सात सौ करोड़ का आंकड़ा पार कर रहा है। कई वेबसाइट्स इस माध्यम से कमाई के साधन भी उपलब्ध कराती हैं। प्रोवोक करती हैं कि आप कंटेंट बेचें। अब इन हिमायतियों को कौन समझाए कि यह कंटेंट आपके और हमारे बीच से ही जेनरेट किया जाता है। चाहे वह होटल, चेंजिंग रूम, लेडीज बाथरूम में फिट किया गया गुप्त कैमरा हो या नशीला पदार्थ खिलाकर अपनों से धोखा। यह लगातार चलता रहेगा। अगर इंटरनेट को सुरक्षित नहीं बनाया गया। दुनिया के अधिकांश देशों ने अपने यहां चाइल्ड पोर्नोग्राफी और इंटरनेट को और अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। भारत सरकार को भी इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। -विशाल गर्ग
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