17-Apr-2018 06:05 AM
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इस देश में युवा परेशान है। यहां सब कुछ लीक हो रहा है। फेसबुक का डाटा लीक, कर्नाटक चुनाव की डेट लीक, आधार लीक, सीबीएसई, एसएससी और एफसीआई में वॉचमैन की भर्ती परीक्षा से पहले पर्चे लीक। न जाने और भी क्या-क्या लीक हो रहा है। देश से लेकर दुनिया तक में लीक से बवाल मचा हुआ है। आखिर इस देश को हो क्या गया है। युवाओं को शिक्षा और नौकरी के नाम पर ठगा जा रहा है। यह किसी त्रासदी से कम नहीं कि लाखों छात्रों और युवाओं का भविष्य खराब किया जा रहा है।
मप्र में व्यापमं घोटाला सामने आने के बाद ऐसा लगा था कि देश में किसी भी परीक्षा में भ्रष्टाचार नहीं होगा, लेकिन देश के हर कोने में पर्चा लीक किया जा रहा है। सीबीएसई बोर्ड की दसवीं के गणित और बारहवीं के अर्थशास्त्र का पेपर लीक होना देश के लिए सबसे बड़ी त्रासदी है। हालांकि इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि मानव संसाधन विकास मंत्री ने दो विषयों की परीक्षा फिर से कराए जाने की नौबत का समाधान कर दिया है और प्रधानमंत्री ने भी नाराजगी प्रकट की, क्योंकि बीते कुछ समय से विभिन्न परीक्षाओं के पर्चे लीक होने का सिलसिला कायम है। चंद दिनों पहले ही कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा के पर्चे लीक होने के मामले की जांच सीबीआई को सौंपनी पड़ी थी। इसके पहले भी अन्य कई परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक हो चुके हैं।
यह ठीक नहीं कि प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ-साथ स्कूल और कॉलेज स्तर की परीक्षाओं के भी प्रश्नपत्र लीक होने लगें। प्रश्नपत्र लीक होने का सिलसिला संबंधित संस्थाओं के साथ ही शासन तंत्र की विश्वसनीयता को भी चोट पहुंचाता है। छात्रों के साथ-साथ आम जनता के मन में भी यह धारणा गहराती जा रही है कि अब हर कहीं सेंध लगाना आसान हो गया है। बेहतर है कि हमारे नीति-नियंता यह समझें कि अगर परीक्षा आयोजन के तौर-तरीकों में आमूलचूल परिवर्तन नहीं लाया जाता, तो परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होते ही रहेंगे।
अभी हाल ही में मध्य प्रदेश में फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) में वॉचमैन की भर्ती परीक्षा से पहले पेपर लीक होने का मामला सामने आया है। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने ग्वालियर से दो एजेंट और 48 कैंडिडेट्स को गिरफ्तार किया। यहां एजेंट एक होटल में कैंडिडेट्स को पर्चा सॉल्व करा रहे थे। पेपर दिल्ली से लीक हुआ। कैंडिडेट्स को ये पेपर पांच-पांच लाख रुपए में बेचा गया। जिसका पेमेंट नौकरी लगने के बाद देना तय हुआ था। इन सबका परीक्षा केंद्र भोपाल में था।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की 2016 की परीक्षा अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। कारण इसकी प्रारंभिक परीक्षा में कई विवादित प्रश्न पूछे गए थे। जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई। करीब साढ़े चार लाख नौजवानों ने 633 पदों के लिए परीक्षा दी थी। प्रारंभिक के बाद मेन्स की परीक्षा हुई मगर कोर्ट केस के कारण मेन्स परीक्षा की कॉपी जांचने का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने कापी जांचने के आदेश दिए हैं लेकिन डेढ़ साल से कुछ नहीं हुआ है। इस तरह की कहानी आपको हर राज्य में मिलेगी। मध्य प्रदेश में पटवारी की परीक्षा देने वाले छात्र बार-बार मेसेज कर रहे हैं कि जिनके कम नंबर हैं, वो मेरिट लिस्ट में हैं, जिनके ज्यादा हैं, वो मेरिट लिस्ट से ज्यादा है। नौजवानों के बीच कितनी हताशा होगी, फिर भी सांप्रदायिक तनावों को भडक़ाने के लिए नौजवानों की कोई कमी नहीं है। हर जगह वही दिख रहे हैं।
कर्मचारी चयन आयोग में भी सब कुछ ठीक नहीं
कर्मचारी चयन आयोग को लेकर भी युवाओं में रोष है। देशभर से युवा हजारों की संख्या में दिल्ली आकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इनकी बेचैनियों की कई वजहें हैं। एसएससी की भर्तियां कम होने लगी हैं। भर्ती की परीक्षा होती है तो बिना चोरी और धांधली के आरोपों के पूरी नहीं होती है। एसएससी परीक्षा कराने और रिजल्ट निकालने में काफी वक्त लेती है। रिजल्ट आने के बाद ज्वाइनिंग कराने में भी लंबा वक्त लग जाता है। एसएससी के मारे लाखों छात्रों को पुलिस लाठी से भगा तो सकती है मगर कब तक वे समस्याओं को लेकर घर लौटते रहेंगे, उनके भीतर वह समस्या उबलती रहेगी। उसी तरह रेलवे एप्रेंटिस वाले नौजवान देश भर से जमा कर मुंबई में सेंट्रल रेलवे लाइन को तीन चार घंटे के लिए जाम नहीं कर देते। ये तमाम आयोग छात्रों को कुचलते रहेंगे।
-अजय धीर