26-Apr-2018 12:20 PM
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आंकड़ों के बारे में एक पुरानी पर ग्लैमरस कहावत है:- वे बिकिनी की तरह होते हैं जो दिलचस्प चीजों को उघाड़ देते हैं लेकिन बुनियादी चीजों को छुपा ले जाते हैं। यह बात भारत में जंगलों के बढ़ते क्षेत्रफल के आंकड़ों की व्याख्या पर भी लागू होती दिखती है। हाल ही में जारी की गई इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट, 2017 के आंकड़े बता रहे हैं कि देश में आजादी के बाद से ही जंगलों के क्षेत्रफल में कोई कमी नहीं आई है। इसके मुताबिक, 2015 के बाद से देश में वन क्षेत्र में करीब 6,778 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है, जो कि करीबन 0.21 फीसदी है। कहने का मतलब यह हुआ कि इस वक्त देश के क्षेत्रफल में वन क्षेत्र का हिस्सा 21.54 फीसदी है।
पर्यावरण की दृष्टि से भले ही सरकार वनों के संरक्षण पर करोड़ रुपए सालाना खर्च करती है। लेकिन इसके बाद भी वनों का रकवा नहीं बढ़ा है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मप्र में बीते 2 वर्ष में 38 किमी वन क्षेत्रफल कम हो गया है। प्रदेश के 3 लाख 8 हजार 245 किमी भौगोलिक क्षेत्रफल में 30.72 फीसदी हिस्से में 94 हजार 689 किमी क्षेत्र को वन क्षेत्र घोषित किया गया है। लेकिन प्रतिवर्ष इसमें 19 किमी क्षेत्रफल कम हो रहा है। यह कमी सिर्फ खुले वन क्षेत्र में ही नहीं बल्कि अति सघन वन और सामान्य सघन वन में भी दर्ज की जा रही है। विभागीय अधिकारियों की माने तो वर्ष 2013 से लेकर वर्ष 2015 के बीच अतिसघन वन में 3 किमी और सामान्य सघन वन में 19 किमी क्षेत्र में कम हो गए है। वर्ष 2013 से लेकर वर्ष 2017 तक के आंकड़े बताते हैं कि वन प्रबंधन की कार्यप्रणाली के चलते साल रोपण में भी कमी आई है। वर्षाकाल में रोपण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2016 में जहां 5406 पौधे रोपे गए थे। वहीं वर्ष 2017 में यह संख्या 4464 में सिमट गई है। वहीं अन्य योजनाओं के माध्यम से होने वाले पौध रोपण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2016 में जहां 4765 पौधे लगाए गए वहीं वर्ष 2017 में यह कवायद 3607 पौधों में समाप्त हो गई है।
उधर, रिपोर्ट जारी करते केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन यह बताते हुए खासे खुश दिख रहे थे कि पिछले एक दशक में दुनिया भर में जहां वन क्षेत्र घट रहे हैं वहीं भारत में इनमें लगातर बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने दावा किया कि वन क्षेत्र के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष 10 देशों में है और ऐसा तब है जबकि बाकी 9 देशों में आबादी का घनत्व 150 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है और भारत में यह आंकड़ा 382 का है।
दस साल के बाद पहली दफा ऐसा हुआ कि देश में सघन वनों (जिसमें अति सघन वन भी शामिल हैं) के इलाके में 5,198 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसमें मध्यम सघन और अति सघन दोनों दर्जे के वन शामिल हैं (गौरतलब है कि अति सघन वनों में गाछों की छाया 70 फीसदी से अधिक होती है जबकि मध्यम सघन वनों में यह 40 से 70 फीसदी होती है)। सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवायर्नमेंट की महानिदेशक सुनीता नारायण इस आंकड़े को कुछ यूं समझाती हैं, इस रिपोर्ट के मुताबिक, वनों की परिभाषा में वैसा हर इलाका आ जाता है, जो एक हेक्टेयर से ज्यादा का हो और जहां गाछों की छाया 10 फीसदी से ज्यादा हो। इसमें भू-उपयोग, मालिकाना हक या कानूनी स्थिति का जिक्र नहीं होता। दूसरे शब्दों में, देश के 21.54 फीसदी वन क्षेत्र में सरकारी जंगली जमीन पर उग रहे पेड़ों के साथ निजी जमीन के पेड़ भी शामिल हैं। लेकिन रिकॉर्डेड वन क्षेत्र में जंगलों के क्षेत्रफल को आंकना मुमकिन नहीं क्योंकि सभी राज्य सरकारों ने इन जमीनों के सीमांकन का काम पूरी तरह डिजिटाइज नहीं किया है।
वन क्षेत्रों की सर्वे रिपोर्ट 1987 से जारी होने का सिलसिला शुरू हुआ। तब से जंगलों के क्षेत्रफल में महज 67,454 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी पाई गई थी। लेकिन 2015 की फॉरेस्ट रिपोर्ट के बरक्स 2017 में महज दो साल में यह बढ़ोतरी 6,778 वर्ग किलोमीटर की है। इन आंकड़ों को देखकर साफ कहा जा सकता है कि किस तरह वन क्षेत्र बढऩे का कागजी दावा किया जा रहा है।
जंगल बढ़ाने में आंध्र, कर्नाटक व ओडिशा आगे
पूरे भारत में इन दिनों जंगल बढ़ाने और संरक्षित करने की दिशा में काम हो रहा है। छत्तीसगढ़ भी इस दौड़ में शामिल है, मगर वह वर्ष 2017 में आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और ओडिशा से भी पीछे चल रहा है और टॉप पांच राज्यों में नाम नहीं आ सका है, जबकि 2015 में टॉप पांच राज्यों में छत्तीसगढ़ का नाम शामिल था। प्रदेश में खुला जंगल तो काफी है, मगर घना जंगल 5.23 फीसदी तक ही सिमट कर रह गया है। 23.83 फीसदी जंगल कम घनत्व वाले हैं। यानी इतने ही जंगल वन्य प्राणियों के गुजारे के लिए बचे हैं। 12.03 प्रतिशत जंगल खुला है। यह इलाका ज्यादातर आबादी से सटे हुए हैं, इस कारण वन्य प्राणियों के अधिकार क्षेत्र में इंसान का दखल बढ़ रहा है। भारत वन स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के टॉप दस उन देशों में भारत शामिल है, जहां जंगल के विस्तार और संरक्षण का काम पूरी गंभीरता से चल रहा है। इसके लिए कई तरह की योजनाएं जारी की गईं हैं। इस कारण देश के सभी राज्यों के वनों पर हर साल रिपोर्ट जारी की जाती है। इसके अनुसार देश में वन और पौधरोपण की स्थिति में 2015 की तुलना में 8021 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। इसमें 6,778 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि वन क्षेत्रों में हुई है, जबकि आबादी क्षेत्र में 1243 वर्ग किलोमीटर की बढोत्तरी दर्ज की गई है।
-धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया