आपसी मतभेद
17-Apr-2018 06:06 AM 1234803
छत्तीसगढ़ में मार्च के मध्य में चिलचिलाती दोपहरी में मुख्यमंत्री रमन सिंह का हेलीकॉप्टर अचानक महासमुंद जिले के तूरीझार गांव के करीब एक खेत में उतरा। वह हेलीकॉप्टर से उतरे और धान के खेतों के बीच उबडख़ाबड़ रास्ते पर चलने लगे। खेतों को पार कर वह गांव में पहुंचे, गांव के लोगों को इक_ïा किया और उनकी शिकायतें सुनी। यह उनके ग्राम सुराज अभियान का हिस्सा था। इसके तहत वह गांवों का औचक दौरा करके लोगों से बात करते हैं और सरकार के कामकाज का आंकलन करते हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री प्रदेश में लगातार चौथी बार भाजपा की सरकार बनाने के लिए ऐसा कर रहे थे, लेकिन सरकार का अभियान जारी ही था कि भाजपा ने भी साथ-साथ जन आशीर्वाद यात्रा शुरू कर दी। इसका स्तर गांव के स्तर पर मतदाताओं के साथ संपर्क साधना है। इन दोनों अभियानों का मकसद रमन सिंह सरकार के 15 साल के शासन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को परास्त करना और कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए तैयार करना था। नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव सिंह के लिए अब तक की सबसे बड़ी कसौटी होंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के वोटों में महज 0.72 फीसदी का अंतर था। भाजपा को 92,000 वोट ज्यादा मिले थे और उसने 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस से 10 सीटें ज्यादा जीती थीं। छह सीटें ऐसी थीं जिनमें कांग्रेस को 1,500 या उससे कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में प्रदेश में सरकार और संगठन के बीच उपजा मतभेद पार्टी पर भारी पड़ सकता है। इसीलिए अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के मंत्रियों और विधायकों को जीत का मंत्र दिया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव रमेश वरलियानी ने कहते हैं कि अंतर बहुत कम है और राज्य में सत्ता विरोधी लहर को देखते हुए कांग्रेस का मत प्रतिशत में 3 से 4 फीसदी बढ़ सकता है। यह भाजपा सरकार को बाहर करने में अहम होगा। पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पूनिया चुनाव जीतने के लिए बूथ स्तर पर बहुत मेहनत कर रहे हैं। भाजपा के नेता स्वीकार करते हैं कि सरकार के प्रदर्शन और पार्टी काडर को लेकर सबकुछ ठीक नहीं है। भाजपा के वरिष्ठï नेता सुभाष राव कहते हैं कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर है और पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष है लेकिन अक्टूबर में यह स्थिति नहीं होगी जब समर्पित कार्यकर्ता अपना काम शुरू कर देंगे और काडर सक्रिय हो जाएगा। वह कहते हैं कि पार्टी और सरकार के अभियानों से यह संकट 50 फीसदी तक सुलझ गया है। राव कहते हैं कि असली संकट कांग्रेस में है। भाजपा में केवल रोष है और कोई अंतरकलह नहीं है लेकिन कांग्रेस के नेताओं की फूट जगजाहिर हो गई है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष भूपेश बघेल दूसरे नेताओं को विश्वास में लेने में नाकाम रहे हैं। कांग्रेस को भी लग रहा है कि वह केवल बघेल के नेतृत्व में पार्टी सत्ता में नहीं आ सकती है। पार्टी ने छत्तीसगढ़ चुनावों के लिए चरणदास महंत को प्रभारी बनाया है और मोतीलाल वोरा सहित दूसरे नेताओं को भी अलग-अलग भूमिकाएं सौंपी हैं। भाजपा कांग्रेस के अंतरकलह से फायदा उठाने की फिराक में है। राव की मानें तो टिकट वितरण के बाद कांग्रेस में अंतरकलह बढ़ जाएगी जिससे भाजपा को फायदा होगा। भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को अनुशासन में रखती है। लेकिन उन्होंने आशंका जताई कि अगर कांग्रेस एकजुट रहती है तो फिर भाजपा के लिए यह आसान लड़ाई नहीं होगी। निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए अपने वरिष्ठï नेताओं को एकजुट रखना बहुत बड़ी समस्या होगी क्योंकि वह एक बड़े नेता को पहले ही गंवा चुकी है। छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रवक्ता अजित जोगी ने पार्टी से किनारा करके छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का गठन किया है। इन चुनावों में जोगी तीसरी शक्ति के रूप में उभर सकते हैं और सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। राव के मुताबिक जोगी कांग्रेस के ही वोट बैंक में सेंध लगाएंगे। जोगी से किसको फायदा छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी पहेली बने हुए हैं। जोगी को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं। पूर्व मंत्री वीरेंद्र पांडे ने कहा, 2013 के चुनावों में जोगी कांग्रेस के साथ थे और मतदाताओं के एक वर्ग ने इस आंशका में पार्टी को वोट नहीं दिया कि वह मुख्यमंत्री बन जाएंगे। अब जब जोगी कांग्रेस में नहीं हैं तो उनके विरोधी वोट कांग्रेस की झोली में आएंगे जिससे पार्टी का मत प्रतिशत बढ़ेगा। जोगी विरोधी मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में जाने से रोकने के लिए कांग्रेस ने जोगी पर रमन सिंह के साथ मिले होने का आरोप लगाया है। -रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला
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