17-Apr-2018 07:51 AM
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मध्यप्रदेश में लगातार चौथी बार सरकार बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर वर्ग को साधने के लिए रोज नई घोषणाएं कर रहे हैं। किसानों को खुश करने के लिए सरकार गेहंू की एमएसपी पर खरीदी करने के साथ 265 रूपए प्रति क्विंटल का अतिरिक्त भुगतान कर रही है। सरकारी कर्मचारियों को साधने के लिए रिटायरमेन्ट की उम्र 60 साल से बढ़ाकर 62 साल कर दी गई है।
सार्वजनिक उपक्रमों अन्य अर्ध शासकीय संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों को भी इसका लाभ देने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की है। राज्य में आठ लाख से अधिक रेग्युलर कर्मचारी हैं। अध्यापकों का संविलियन शिक्षा विभाग में करने की घोषणा दो माह पहले ही मुख्यमंत्री कर चुके हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार कह रहे हैं कि वे संविदा व्यवस्था के खिलाफ हैं। उनके इस बयान के बाद राज्य के संविदा कर्मचारी भी रेग्यूलर होने की उम्मीद लगाकर बैठे हैं।
राज्य में सक्रिय किसी भी कर्मचारी अथवा अधिकारी संगठन ने रिटायरमेन्ट की उम्र साठ से बढ़ाकर बासठ साल करने की मांग नहीं की थी। रिटायरमेन्ट की उम्र बढ़ाए जाने की चर्चाएं सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के बाद से ही चल रहीं थीं। वेतन आयोग ने रिटायरमेन्ट की उम्र बढ़ाए जाने पर कोई अनुशंसा नहीं की थी। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर मध्यप्रदेश सरकार ने अपने नियमित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इसका लाभ भी दे दिया है।
रिटायरमेन्ट की उम्र बढ़ाए जाने का फैसला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अचानक ही ले लिया। फैसले से पूर्व कैबिनेट की मंजूरी भी नहीं ली गई। अध्यादेश भी कैबिनेट की मंजूरी के बगैर जारी कर दिया। इस फैसले की बड़ी वजह सरकार की कमजोर वित्तीय स्थिति बताई जाती है। राज्य सरकार पर डेढ़ लाख करोड़ रूपए से अधिक का कर्ज है। वित्त विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसर हाल ही में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में दस हजार करोड़ रूपए से अधिक का खर्च सिर्फ पेंशन मद में किया गया है।
चालू वित्तीय वर्ष में ढ़ाई हजार करोड़ रूपए का अतिरिक्त वित्तीय भार पेंशन मद में आने की संभावना प्रकट की जा रही थी। सरकार ने रिटायरमेन्ट की उम्र बढ़ाकर इस अतिरिक्त खर्च को रोकने की कोशिश की है। फैसले के जरिए भारतीय जनता पार्टी चुनाव में इसका लाभ भी लेना चाहती है। राज्य के कर्मचारी समय पर पदोन्नति न मिलने से नाराज हैं। हजारों कर्मचारी हर माह बिना पदोन्नति के रिटायर हो रहे थे। हाईकोर्ट द्वारा पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने के लिए बनाए गए नियम निरस्त कर दिए थे।
नियम निरस्त होने के बाद से सरकार ने पदोन्नति पर अघोषित रोक लगा रखी है। हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सरकार याचिका का निपटारा होने तक पदोन्नति न देने की जिद पर अड़ी हुई है। इससे सरकारी अमला नाराज है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि रिटायरमेन्ट की उम्र बढऩे से कर्मचारियों के आर्थिक नुकसान की भरपाई काफी हद तक हो जाएगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रिटायरमेन्ट की उम्र 62 साल कर सरकारी कर्मचारियों को साधने की कोशिश में युवाओं को नाराज कर दिया है। युवाओं की नाराजगी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री को 89 हजार नई भर्ती करने का ऐलान करना पड़ा। राजस्व विभाग में 9500 पटवारियों, 400 नायब तहसीलदार और 100 अन्य पद सहित कुल 10 हजार पदों पर भर्ती की जायेगी। स्कूल शिक्षा विभाग में 60 हजार शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती की जायेगी। स्वास्थ्य विभाग में 3500 पदों पर भर्ती होना है। इनमें 1300 चिकित्सक, 700 पैरामेडिकल स्टॉफ, 1053 स्टॉफ नर्स और शहरी क्षेत्र में 500 एएनएम की भर्ती होगी। पुलिस में 8 हजार पदों पर भर्ती के अलावा होमगार्ड में रिक्त 4 हजार पदों पर भर्ती होगी।
महिला-बाल विकास विभाग में 3300 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और 700 पर्यवेक्षक सहित कुल 4 हजार पदों पर भर्ती होगी। राज्य में ढाई करोड़ से अधिक युवा वोटर हैं। पचास लाख से अधिक युवा तीस से पैंतीस वर्ष की उम्र वाले हैं। अगले दो साल में इन युवाओं को नौकरी नहीं मिली तो वे सरकारी नौकरी के लिए ओवरएज हो जाएंगे। राज्य के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी भाई कहते हैं कि आठ वर्ष पूर्व यह प्रस्ताव मेरे सामने भी आया था। मैंने इस टर्न डाउन कर दिया था।
वे कहते हैं कि रिटायरमेन्ट की उम्र बढ़ाए जाने से युवाओं के अवसर समाप्त होते हैं। राज्य के रोजगार कार्यालयों में पिछले ग्यारह साल में डेढ़ करोड़ से अधिक बेरोजगारों ने अपना पंजीयन कराया था। सरकार सिर्फ 56 हजार लोगों को ही नौकरी दे पाई। बेरोजगार सेना के प्रमुख अक्षय हूंका कहते हैं कि हम सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। सरकार द्वारा रिटायरमेन्ट की उम्र बढ़ाए जाने के कारण सुरक्षा इंतजामों से जुड़े विभाग पुलिस और वन विभाग अपने आपको मुश्किल में महसूस कर रहे हैं। अगले दो साल राज्य सरकार का कोई कर्मचारी रिटायर नहीं होगा।
चुनाव में पुलिस की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। पुलिस अफसर मध्यप्रदेश के इंदौर एवं भोपाल शहर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आईपीएस अफसरों के दबाव में कमिश्नर सिस्टम लागू करने पर अपनी सैद्धांतिक मंजूरी भी दे दी। आईएएस अफसरों ने इसका विरोध किया तो मुख्यमंत्री ने फिलहाल अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वे पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने पर अभी विचार कर रहे हैं। पुलिस अफसरों द्वारा तैयार किए गए जन सुरक्षा कानून का भी जमकर विरोध हो रहा है। राज्य की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने कहा कि जन सुरक्षा कानून में लोगों की निजता को प्रभावित करने वाले कई प्रावधान है। इसे लागू किए जाने से लोगों का सम्मान हमेशा खतरे में बना रहेगा। प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह कहते हैं कि कानून पूरी तरह से अव्यवहारिक है।
पट्टों का होगा नवीनीकरण
सालों से पट्टे के नवीनीकरण को लेकर चल रहे विवाद को सरकार ने दूर कर दिया। अब न सिर्फ पट्टों का नवीनीकरण आसानी से हो सकेगा, बल्कि मामूली दंड चुकाकर उसे नियमित भी किया जा सकेगा। शर्तों के उल्लंघन पर जो दंड बाजार दर का 50 प्रतिशत होता था, उसे घटाकर मात्र पांच फीसदी कर दिया है। नियम में संशोधन से भोपाल, इंदौर समेत प्रदेशभर के पांच लाख परिवारों को सीधा फायदा होगा। नए नियम का फायदा लेने के लिए एक साल के भीतर आवेदन करना होगा। कम्पाउंडिंग के अधिकार कलेक्टरों को होंगे। उल्लेखनीय है कि भाजपा विधायक हेमंत खंडेलवाल ने विधानसभा के बजट सत्र में यह मुद्दा उठाया था, जिस पर राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने आश्वासन दिया था कि नियमों को बहुत जल्द ही सरल किया जाएगा। जुलाई 2014 में स्थाई पट्टों के नवीनीकरण को लेकर राजस्व विभाग ने नियम बनाए थे। इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल थी कि ज्यादातर लोगों ने नवीनीकरण ही नहीं कराया। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान तो हुआ ही रहवासियों के मकान और प्लाट भी उलझ गए। नियमों के तहत बाजार दर का 50 फीसदी जुर्माना लगने से कोई आगे भी नहीं आया। लगातार प्रकरणों की संख्या बढ़ती जा रही थी। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर राजस्व विभाग ने पुराने नियम की जगह नए नियम बनाकर कैबिनेट में प्रस्तुत किए, जिन्हें मंजूरी मिल गई।
किसानों को साधने सम्मान यात्रा
मंदसौर के गोलीकांड के बाद किसानों की नाराजगी भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी समस्या है। किसानों की नाराजगी को दूर करने के लिए लाई गई भावातंर योजना भी कोई ज्यादा असरकारक साबित नहीं हुई। सरकार को चना, मसूर और सरसों की खरीदी एमएसपी पर करने का निर्णय लेना पड़ा। पहले इसे भावांतर योजना में शामिल किया गया था। गेहंू की खरीदी भी एमएसपी पर की जा रही है। इस 265 रूपए प्रति क्विंटल अतिरिक्त देने का ऐलान भी किया गया है। मुख्यमंत्री चौहान ने इसे मामा रेट का नाम दिया है। फरवरी माह में हुई ओला-वृष्टि से नुकसान की भरपाई के लिए 50 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति पर सिंचित फसल के लिये 30 हजार रुपये तथा वर्षा आधारित फसल के लिये 16 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के मान से अनुदान सहायता राशि दिए जाने का फैसला हुआ है। किसानों का आरोप है कि अफसरों ने मौके पर सर्वे ही नहीं किया।
-अरविन्द नारद