04-Jul-2013 09:20 AM
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एजबेस्टन में इंग्लैंड के विरुद्ध जब 20 ओवरों के एकदिवसीय मैच में भारत ने पांच रन से रोमांचक जीत दर्ज की तो यह तय हो गया कि भारत निर्विवाद रूप से वर्तमान में दुनिया की सबसे मजबूत

क्रिकेट टीम है। भारत की बैटिंग बॉङ्क्षलग, फील्डिंग तीनों लाजवाब हैं और महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। फाइनल मैच में जिस तरह भारत ने 129 रन का मामूली सा लगने वाला स्कोर बचाया उसे अभूतपूर्व ही कहा जाएगा। आमतौर पर इतना छोटा स्कोर बनने के बाद टीमें जीतने की उम्मीद छोड़ देती हैं और उनका जुझारूपन एक औपचारिकता मात्र बनकर रह जाता है, लेकिन धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया ने जो प्रदर्शन किया वह किसी विजेता की तरह ही था इसमें खास बात यह थी कि छोटे स्कोर को पूरी तरह कस कर रखा गया। न कोई ढील दी गई और न ही किसी प्रकार की गलत फील्डिंग देखने में आई। शुरू-शुरू में ईशांत शर्मा की गेंदबाजी अवश्य उतनी कसी हुई नहीं थी, जितनी कि उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ की थी, लेकिन बाद में ईशांत शर्मा ने दो महत्वपूर्ण विकेट झटककर इंग्लैंड को बैकफुट पर ला दिया, जिससे उबरने में इंग्लैंड नाकामयाब रहा। महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में इंग्लैंड की लगातार असफलता इस बार फिर देखने में आई। यूं इंग्लैंड की टीम भी अच्छा खेल रही थी, लेकिन भारत की बात ही कुछ और थी, जिस वक्त भारत इस स्पर्धा में गया था उस समय मैच फिक्सिंग की काली परछाई क्रिकेट को लील रही थी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष श्रीनिवासन जोंक की तरह कुर्सी से चिपके हुए थे और तमाम बेइज्जती के बावजूद हटने को तैयार नहीं थे। विभिन्न जोनों के क्रिकेट प्रमुख भी स्वार्थ लोलुपता के चलते श्रीनिवासन का साथ देने के लिए विवश थे। स्वयं धोनी के दामन पर भी कुछ छींटे उछले थे लेकिन सारे झंझावातों से बेखबर भारतीय टीम ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए मैच के हर क्षेत्र में लगभग सभी प्रमुख टीमों को पराजित किया।
अभ्यास मैच में जहां आस्ट्रेलिया और श्रीलंका को बुरी तरह रौंदा तो लीग मैचों में दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज पर प्रभावी जीत दर्ज की। सेमीफाइनल में श्रीलंका को बुरी तरह पराजित करने के बाद भारतीय टीम ने यह संकेत दे दिया था कि इस बार चैम्पियन ट्राफी उसी की होना है। इंग्लैंड के खिलाफ यद्यपि बल्लेबाजों का प्रदर्शन भारतीय टीम की प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं रहा, लेकिन गेंदबाजों ने अपना जलवा दिखा दिया। इस पूरी शृंखला में टीम के हर खिलाड़ी ने हर दृष्टि से महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जिस तरह की ओपनिंग पारियां रोहित शर्मा और शिखर धवन ने दिखाईं वैसी लंबे समय बाद देखने को मिली हैं। इससे पहले सौरभ गांगुली और सचिन तेंदुलकर उसके बाद सहवाग सचिन तेंदुलकर फिर गंभीर और सहवाग और अब शिखर धवन और रोहित शर्मा की जोड़ी लाजवाब बन चुकी है। यही फार्म कामयाब रहा तो आगामी विश्वकप में खिताब बचाने से भारत को कोई रोक नहीं सकता। खास बात यह है कि इस प्रदर्शन में निरंतरता है, लय है और जुझारूपन है। आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड जैसी मजबूत टीमों तथा श्रीलंका-पाकिस्तान जैसी जुझारू टीमों को लगातार मैचों में हराते जाना मामूली बात नहीं है। इससे सिद्ध होता है कि भारत चैम्पियनों का चैम्पियन है और भारतीय क्रिकेट में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। भारत का प्रदर्शन पूरी चैम्पियन ट्राफी के दौरान बेहतरीन रहा। शिखर धवन को सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी के लिए गोल्डन बैट दिया गया तो रवींद्र जडेजा को सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी के लिए गोल्डन बॉल दी गई। जडेजा ने आल राउंड प्रदर्शन किया। नाजुक मौकों पर रन भी बनाए और जमे-जकड़े खिलाडिय़ों को आउट करके साझेदारियां तोड़ी। वे मैन ऑफ द सीरीज के भी हकदार हैं।