तोहफे की कीमत!
17-Apr-2018 07:08 AM 1234841
आए दिन देश भर की सरकारें गरीबों के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू करती हैं। सरकारों का दावा होता है कि गरीबों के लिए तोहफे के रूप में जो नई योजनाएं शुरू की जा रही हैं, उससे गरीबों की स्थिति में सुधार आएगा। लेकिन वास्तविकता का इन दावों से कोई मेल नहीं। ये योजनाएं भले ही गरीबों के लिए शुरू की जाती हैं, लेकिन इसका फायदा कोई और ही उठाता है। दिल्ली में भी कुछ ऐसी ही स्थिति सामने आई है। सीएजी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि दिल्ली में कम से कम 50 मामलों में गड़बड़ी हुई है। सबसे बड़ा मामला गरीबों तक पहुंचाए जाने वाले राशन का है। कैग की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि जिन गाडिय़ों से राशन ढोए जाने की बात कही गई है, उनमें दोपहिया और तीन पहिया वाहन भी हैं। जिन 207 गाडिय़ों से राशन ढोया गया, उनमें 42 गाडिय़ां ऐसी थीं, जिनका रजिस्ट्रेशन परिवहन विभाग के पास था ही नहीं। इसके अलावा 8 ऐसी गाडिय़ां पाई गईं, जिनसे 1500 क्विंटल से भी अधिक राशन ढोया गया, लेकिन जब उनका रजिस्ट्रेशन नंबर देखा गया तो पता चला कि उनके रजिस्ट्रेशन बस, दोपहिया और तीन पहिया वाहनों के हैं। इससे संदेह उठता है कि आखिर इन गाडिय़ों से इतना अधिक राशन कैसे ढोया जा सकता है। राशन कार्ड बनाने में भी अनियमितता पाई गई है। राशन कार्ड अमूमन घर की महिला सदस्य के नाम पर बनाया जाता है, लेकिन 13 मामलों में घर के सबसे बड़े सदस्य की उम्र 18 साल से कम पाई गई। वहीं 12,852 ऐसे मामले सामने आए जिनमें घरों में एक भी महिला सदस्य नहीं पाई गई। रिपोर्ट के अनुसार करीब 792 राशन की दुकान वाले सब्सिडी राशन का फायदा उठा रहे हैं, जिसे गरीबों को दिया जा सकता था। जो राशन गरीबों तक नहीं पहुंचा और उसे रास्ते में ही डकार लिया गया, वह कभी उन गरीबों तक नहीं पहुंचेगा। जो योजनाएं गरीबों को सौगात की तरह दी जाती हैं, उसकी कीमत भी वही गरीब चुकाते हैं, जैसा कैग की रिपोर्ट ने दिखाया है। राशन को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। जहां एक ओर इसके लिए केजरीवाल सरकार को दोषी ठहराया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर केजरीवाल इसका दोष केंद्र सरकार के माथे मढ़ रहे हैं। केजरीवाल ने एक ट्वीट करते हुए कहा है- जब वह लोगों के घरों तक राशन पहुंचाने की योजना को खारिज करते हैं तो यह वही है जिसे उपराज्यपाल बचाने की कोशिश करते हैं। पूरी राशन प्रणाली माफियाओं के कब्जे में है, जिसे राजनीति की कुछ बड़ी हस्तियों का संरक्षण मिला हुआ है। आपको बता दें कि दिल्ली सरकार हर व्यक्ति के घर तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था शुरू करना चाहती थी, जिसे उपराज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी। हालांकि, दिल्ली सरकार ने कहा है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, चाहे वह कोई भी हो। कैग की रिपोर्ट में राशन वितरण के अलावा और भी कई खुलासे किए गए हैं। रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि दिल्ली परिवहन निगम की करीब 2682 बसें बिना इंश्योरेंस के ही दौड़ रही हैं, जिससे निगम को करीब 10.34 करोड़ रुपए का घाटा भी हो चुका है। दिल्ली के 68 ब्लड बैंकों में से 32 के पास वैध लाइसेंस भी नहीं है। आपको सन्न कर देने वाली बात ये है कि अधिकतर ब्लड बैंक के खून में एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी जैसी गंभीर बीमारियां जांचने के लिए एनएटी यानी न्यूक्लिक एसिड टेस्ट की भी व्यवस्था नहीं है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ दिल्ली में ही राशन बांटने में अनियमितता देखने को मिली है। यही हाल पूरे देश का है। अगर सिर्फ 2016 के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2016 में राशन वितरण प्रणाली से जुड़ी करीब 1106 शिकायतें दर्ज कराई गई थीं। इन शिकायतों को सभी राज्यों के पास भेज दिया गया था, लेकिन कितने मामलों का निपटारा हुआ, इसे लेकर कोई डेटा नहीं मिल सका है। इससे पहले 2015 में सरकार के पास कुल 818 शिकायतें आई थीं, जबकि 2014 में इन शिकायतों की संख्या 460 थी। यानी शिकायतों का दौर बदस्तूर जारी है, लेकिन उन पर कोई सख्त एक्शन देखने को नहीं मिल रहा है और इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है गरीबों को। सवाल है कि अनियमितता को रोका कैसे जाए? केजरीवाल सरकार ने घर-घर राशन पहुंचाने की जो व्यवस्था शुरू करने पर जोर दिया था, उससे राशन वितरण में हो रहे भ्रष्टाचार पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती थी। उस व्यवस्था में राशन पैकेटों में सीधे लाभार्थी तक पहुंचाया जाना था और लाभार्थी की बायोमीट्रिक पहचान और आधार नंबर के जरिए सही जगह पर राशन पहुंचाए जाने की पुष्टि होती। केजरीवाल सरकार की इस व्यवस्था को उपराज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी थी। उनका मानना था कि एक तो इससे सरकारी खजाने पर करीब 250 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा और दूसरा सभी को राशन नहीं मिल पाएगा। वहीं दूसरी ओर, अगर डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर स्कीम को लागू कर दिया जाए तो भी राशन वितरण में होने वाले भ्रष्टाचार से काफी हद तक मुक्ति पाई जा सकती है। इस स्कीम की वकालत आए दिन मोदी सरकार करती रहती है, जिससे दावा किया जा रहा है कि बिचौलिए पूरी तरह खत्म हो जाएंगे। - इन्द्र कुमार
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^