02-Apr-2018 06:41 AM
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छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा को हराकर सत्ता में आने के लिए कांग्रेस और छजका जोरदार तैयारी कर रहे हैं। अजीत जोगी की पार्टी ने विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की तीसरी लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट के मुताबिक अजीत जोगी इस बार के चुनाव में प्रदेश के सीएम रमन सिंह के खिलाफ राजनांदगांव से उम्मीदवारी करेंगे। वहीं चौदह सालों से सत्ता का सुख भोग रही भाजपा चौथी बार सत्ता में तो आना चाहती हैं, लेकिन भाजपा के सामने कई ऐसी चुनौतियां हैं, जिससे लगता है कि भाजपा को चौथी बार सत्ता में आने के लिए काफी पापड बेलने पड़ेंगे। भाजपा को चौथी बार सत्ता के सिहांसन तक पहुंचाने की सबसे बड़ी मुसीबत एंटी इनकम बैंसी का फेक्टर है जिसे खुद भाजपा के नेता भी मान रहे हैं। उधर बसपा भी वोट कटवा की भूमिका में नजर आएगी।
जानकारों की मानें तो इस बार के विधानसभा चुनाव में जातिगत समीकरणों का बोल बाला होने वाला है। इसके लिए राजनीतिक बिसात बिछनी शुरू हो गई है। राजनीतिक दल सभी वर्गों को साधने कवायद कर रहे हैं। 90 सीटों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 39 सीटें आरक्षित हैं। इसके अलावा जनरल वर्ग के लिए 51 सीटें हैं। इस बार के आगामी विधानसभा चुनाव में हर वर्ग अपनी ताकत का राजनीतिक दलों को एहसास करा रहा है।
सर्व आदिवासी समाज जहां एक ओर भाजपा से नाराज चल रहा हैं, तो वहीं कांग्रेस से भी कुछ खास इत्तेफाक नहीं रख रहा है। दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी भी अपने वर्ग के वोटबैंक को खींचने में लगी है। छत्तीसगढ़ की कुल आबादी 2 करोड़ 55 लाख 45 हजार 198 है। जातिगत जनगणना 2011 के मुताबिक छत्तीसगढ़ में हिन्दू 93.2 प्रतिशत, मुसलमान 2.01 प्रतिशत, ईसाई 1.92 प्रतिशत, सिक्ख 0.27 प्रतिशत, बौद्ध 0.27 प्रतिशत, जैन 0.24 प्रतिशत अन्य जातियां 1.93 प्रतिशत हैं। जबकि ओबीसी- 48 प्रतिशत, एसटी- 32 प्रतिशत, एससी- 10 से 12 प्रतिशत, सामान्य वर्ग- 8 से 10 प्रतिशत है।
सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष बीपीएस नेताम का कहना है कि इस चुनाव में आदिवासी समाज सोच समझकर वोट करेगा। आदिवासियों के हित में काम करने वालों का साथ समाज देगा। वहीं बसपा के प्रदेश प्रभारी एमएल भारती का कहना है कि एससी वर्ग के लोग उनके साथ हैं। भाजपा भलीभांति जानती है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में किसी भी वर्ग को नाराज करके जीत हासिल करना मुश्किल होगा। इसलिए वो सभी वर्गो को अपना हितैषी बता रही है। कांग्रेस पार्टी भी कहां पीछे रहनी वाली है। वो तो सभी वर्गों का हितैशी और उनके लिए हमेशा सतर्क रहने वाली पार्टी बता रही है।
उधर भाजपा के सर्वे सहित दूसरी एजेंसियों के सर्वे में ये बात बार-बार सामने आ रही हैं कि मौजूदा विधायकों और मंत्रियों की कार्यशैली से जनता काफी ज्यादा दुखी हैं। इन सबके बीच भाजपा के कार्यकर्ता भी विधायकों और मंत्रियों से खासे नाराज हैं। साफ है कि भाजपा के लिए इस बार सत्ता का सिहांसन हासिल करना काफी बड़ी चुनौती होगी। पूर्व संगठन महामंत्री रामप्रताप सिंह भी मान रहे हैं कि भाजपा के खिलाफ एंटी इनकम बैंसी हैं, लेकिन वे इस बात से आश्वसत हैं कि पार्टी को इसके बारे में जानकारी है। पार्टी इस दिशा में काम भी कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा जल्द ही एंटी इनकम बैंसी की खाई को पाट लेगी।
कांग्रेस-भाजपा के इस एंटी इनकम बैंसी फैक्टर का फायदा उठाने की जुगत में लगी हुई है। कांग्रेस का मानना हैं कि एंटी इनकम बैंसी भाजपा के लिए चिंता का विषय हो सकता हैं। इससे कांग्रेस को कुछ लेना देना नहीं है। कांग्रेस नेता मनोहर लूनिया का मानना हैं कि कांग्रेस को भाजपा की इस कमजोरी से कोई लेना देना नहीं है। वह जनता के हित में सोचती हैं और इस बार तय हैं कि जनता कांग्रेस को जीत का ताज जरूर पहनाएगी।
त्रिपुरा रणनीतिकार संभालेंगे मोर्चा
त्रिपुरा के विधान चुनाव में भाजपा की जीत के रणनीतिकार अब छत्तीसगढ़ में मोर्चा संभालेंगे। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए संघ ने कमर कसते हुए त्रिपुरा में कैंपेन का जिम्मा संभाल रहे रणनीतिकारों को छत्तीसगढ़ भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के त्रिपुरा से 10 से 12 वरिष्ठ पदाधिकारी छत्तीसगढ़ आएंगे। वे संघ की गतिविधियों के साथ सरकार से जनता की नाराजगी, उसको दूर करने के उपाय और अन्य मुद्दों पर फोकस करेंगे। यानी चौथी बार भाजपा सत्ता पाने के लिए संघ का पूरा सहारा लेने जा रही है। विधानसभा चुनाव से पहले संघ के पदाधिकारी हर विधानसभा में कारोबारी, युवा, महिला, किसानों का एक समूह बनाएंगे। इसके लिए राजधानी रायपुर में एक कंट्रोल रूम बनाया जाएगा, जहां पर संघ का विशेष फोकस आदिवासी इलाकों में रहेगा। भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता का कहना है कि चुनाव की तैयारी भाजपा ने पहले से ही शुरू कर दी है।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला